महाराष्ट्र की घनसावंगी विधानसभा सीट पर ओबीसी मतदाताओं का दबदबा है और वे इस चुनाव में किसी प्रत्याशी की जीत या हार में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र में अंतरवाली सराटी इलाका भी आता है, जो मनोज जारांगे के नेतृत्व में चलाये जा रहे मराठा आरक्षण आंदोलन का केंद्र रहा है।
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घनसावंगी, जालना जिले का हिस्सा है और यह मराठवाड़ा क्षेत्र में है। मराठवाड़ा में आरक्षण आंदोलन के प्रभाव के कारण लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की हार हुई और महा विकास आघाडी (एमवीए) ने आठ में से सात लोकसभा सीटें जीतीं।
वर्ष 2009 से इस सीट का प्रतिनिधित्व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के नेता और पूर्व मंत्री राजेश टोपे कर रहे हैं। 20 नवंबर को होने वाले चुनाव में उनका मुकाबला मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के हिकमत उधन से है। टोपे ने 2019 का चुनाव 1,600 मतों के मामूली अंतर से जीता था। टोपे ने कहा कि निर्वाचन क्षेत्र में कोई भी मुद्दा उनके लिए नया नहीं है।
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उन्होंने कहा, ‘‘मैंने हर वर्ग के लिए काम किया है। मैंने जारांगे से बात नहीं की है। मैं बस अपना काम करता रहता हूं। महा विकास आघाडी के लिए अनुकूल माहौल है।’’
वरिष्ठ टेलीविजन पत्रकार रवि मुंडे ने कहा कि बागियों, सतीश घाडगे (जो भाजपा के साथ थे) और शिवाजीराव चोथे (जो उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना-यूबीटी के साथ थे) की मौजूदगी से मराठा मतों का विभाजन हो सकता है।
मुंडे ने कहा, ‘‘घनसावंगी निर्वाचन क्षेत्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के वोट महत्वपूर्ण होंगे। चुनाव के संबंध में जारांगे द्वारा लिए गए फैसले भी एक कारक होंगे। अन्य समुदाय मराठा आरक्षण आंदोलन में मदद के लिए टोपे से नाराज हैं।’’
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