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मध्य प्रदेश: राज्य में बारिश के लिए महाकाल के दरबार पहुंचे शिवराज, कलमनाथ बोले- CM को बहुत सारी पूजा करनी पड़ेगी

राज्य में अच्छी बारिश हो, इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं उज्जैन में बाबा महाकाल के दरबार पहुंचे और विशेष पूजा अर्चना की।

फोटो: IANS
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मध्य प्रदेश में सूखे जैसे हालात हैं, बारिश नहीं होने की वजह से खेती पर गहरा असर पड़ा है। इसी बीच राज्य में बारिश के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंदिर में पूजा अर्चना करने पहुंचे। जिसको लेकर कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने निशाना साधा है। उन्होंने कहा, "शिवराज सिंह को बहुत सारी पूजा करनी पड़ेगी। सूखा, बिजली, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, घोटाले की पूजा करनी पड़ेगी, ये सब पूजा वे (शिवराज सिंह चौहान) करें तब कुछ बात बने।"

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दरअसल, मध्य प्रदेश में बीते माह अगस्त में बारिश के दौर पर लगे ब्रेक के कारण सूखे के हालात बनने लगे हैं। खेती-किसानी प्रभावित हो रही है तो आने वाले समय के संकट की आहट भी सुनाई देने लगी है। लिहाजा देवताओं को प्रसन्न करने का दौर भी शुरू हो गया है।

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राज्य में अच्छी बारिश हो, इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं उज्जैन में बाबा महाकाल के दरबार पहुंचे और विशेष पूजा अर्चना की। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सोमवार को उज्जैन पहुंचे और उन्होंने यहां उत्तम जलवृष्टि की कामना के लिए महारुद्र अनुष्ठान किया। चौहान ने यहां भगवान महाकालेश्वर का पंचामृत पूजन किया और यहां 66 ब्राह्मण के माध्यम से महारुद्र अनुष्ठान के 1331 रूद्र पाठ किए जा रहे हैं।

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मुख्यमंत्री चौहान ने महाकाल बाबा के दरबार में पूजन करने के बाद संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा, "उन्होंने बाबा महाकाल के दरबार में विशेष पूजा अर्चना कर प्रार्थना की है कि अल्प वर्षा के कारण लगभग पूरा सूखा हो गया है और इसलिए सुखे की स्थिति मध्य प्रदेश में पैदा हो रही है और फसलों पर संकट छाया है, बाबा कृपा की वर्षा करें, अच्छी वर्षा हो जाए, फसलें बच जाए और किसानों का भी कल्याण हो।"

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मुख्यमंत्री चौहान ने प्रदेशवासियों से भी अपील की है कि वह जिस गांव में और शहर में हैं और वहां की जो परंपराएं हैं वहां भी अपनी परंपराओं का निर्वहन करें, सभी अच्छी वर्षा के लिए प्रार्थना करें, प्रार्थना सुनी जाती है, प्रार्थना में असर होता है। सच्चे दिल से प्रार्थना की जाय तो भगवान कृपा की वर्षा करते हैं।

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बता दें कि राज्य में बारिश नहीं होने से बिजली का संकट भी पैदा हो गया है। सावन भादौ में इतनी बिजली की जरूरत नहीं पड़ती थी क्योंकि ट्यूबवेल नहीं चलते थे, मोटर नहीं चलता था, किसानों को पानी आसानी से मिलता रहता था। पानी की बिजली भी प्रचुर मात्रा में बनती थी। इस समय आठ हजार मेगावाट की जरूरत पड़ती थी लेकिन इस बार 15 हजार मेगावाट बिजली की मांग है, इसलिए मांग और आपूर्ति में अंतर पैदा हो गया। इसलिए कुछ जगह किसानों को कम बिजली मिल पा रही है।

आईएएनएस के इनपुट के साथ

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