मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी की शिवराज सिंह चौहान सरकार को तगड़ा झटका लगा है। शिवराज सिंह सरकार में मंत्री का दर्जा प्राप्त कंप्यूटर बाबा ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने शिवराज सिंह पर कोई भी धर्म का काम नहीं करने देने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि शिवराज सिंह धर्म का काम नहीं करना चाहते हैं।
मंत्री पद छोड़ने का एलान करते हुए कंप्यूटर बाबा ने सीधे शिवराज सिंह पर आरोप लगाते हुए कहा, “मैंने गाय और नर्मदा नदी में अवैध खनन के मुद्दों पर चर्चा करना चाहा, लेकिन मुझे उसकी अनुमति नहीं दी गई। मैं सरकार के समक्ष साधु-संतों के विचार भी नहीं रख सका, इसलिए मैं ऐसी सरकार का हिस्सा बनकर नहीं रहना चाहता हूं। मुझे ऐसा लगा कि शिवराज धर्म के ठीक विपरीत हैं और वह धर्म का काम नहीं करना चाहते हैं, लिहाजा मैंने इस्तीफा दे दिया।” इस्तीफे का ऐलान करते हुए कंप्यूटर बाबा ने आगे कहा, “हमारी व्यवस्था में सारे संत एक जगह बैठकर मुद्दों पर फैसले लेते हैं। वे कहते हैं कि मैं शिवराज सरकार में कुछ कर नहीं पाया। मुझे लगता है कि वे सही हैं।”
Published: 01 Oct 2018, 7:12 PM IST
बताया जा रहा है कि शिवराज सिंह के प्रदेश में फिर से सरकार बनने पर गौमंत्रालय खोलने की घोषणा से नाराज कंप्यूटर बाबा ने ये कदम उठाया है। एक दिन पहले रविवार को अपनी जन आशिर्वाद यात्रा के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने आगामी विधानसभा चुनाव जीतने पर राज्य में गौमंत्रालय खोलने की घोषणा की थी। शिवराज सिंह की घोषणा पर सवाल उठाते हुए कंप्यूटर बाबा ने कहा था कि मध्यप्रदेश में पहले से ही गौ संरक्षक बोर्ड है, जिसके अध्यक्ष अखिलेश सोलंकी जी हैं। ऐसे में अलग से कोई और मंत्रालय बनाने की जरूरत नहीं है। कंप्यूटर बाबा के साथ अन्य संतों ने भी शिवराज की घोषणा पर सवाल उठाते हुए पूछा कि सरकार को अब जाकर ही क्यों गौमंत्रालय बनाने की याद आई?
Published: 01 Oct 2018, 7:12 PM IST
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने इसी साल पांच हिंदू संतों को मंत्रिमंडल में जगह देते हुए राज्य मंत्री का दर्जा दिया था। इनमें कंप्यूटर बाबा, भैय्यूजी महाराज, नर्मदानंदजी, हरिहरानंदजी और पंडित योगेन्द्र महंत के नाम शामिल हैं। इन सभी को नर्मदा संरक्षण समिति का सदस्य भी चुना गया था। इससे पहले कंप्यूटर बाबा ने शिवराज सरकार के खिलाफ ‘नर्मदा घोटाला यात्रा’ निकालने का ऐलान किया था। हालांकि, बाद में उन्होंने बिना कोई कारण बताए उसे टाल दिया।
बता दें कि इसी साल के अंत तक मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को राज्य में अपनी जमीन खिसकती नजर आ रही है। राज्य में बीजेपी के परंपरागत वोटर माने जाने वाले सवर्ण इस बार सरकार के खिलाफ नजर आ रहे हैं। एससी-एसटी एक्ट को लेकर हुए विवाद को लेकर पहले ही कई सवर्ण संगठन सरकार के खिलाफ बिगुल फूंक चुके हैं।ऐसे में शिवराज सिंह अपनी इस घोषणा से राज्य के रूठे हुए सवर्ण वोटरों को मानने की कोशिश कर रहे हैं।
Published: 01 Oct 2018, 7:12 PM IST
दरअसल चौतरफा आलोचना से घिरे शिवराज सिंह को गौशालाओं के निर्माण का ख्याल यूं ही नहीं आया है। इसके पीछे कांग्रेस की सधी हुई रणनीति है। हाल ही में मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने विदिशा में रोड शो के दौरान घोषणा की थी कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो राज्य की हर पंचायत में गौशाला का निर्माण करेगी। जिसके बाद से ही शिवराज सिंह की सरकार को इस बात का डर सता रहा है कि कहीं उनसे रूठा सवर्ण कहीं कांग्रेस के पाले में ना चला जाए।
गौरतलब है कि बीजेपी को मध्यप्रदेश की सत्ता पर काबिज हुए 14 साल से अधिक हो गए हैं। शिवराज सिंह चौहान को ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे 13 साल हो चुके हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि शिवराज सिंह को गौमंत्रालय की जरूरत चुनाव के 2 महीने पहले ही क्यों महसूस हुई ?
Published: 01 Oct 2018, 7:12 PM IST
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Published: 01 Oct 2018, 7:12 PM IST