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23 साल बाद पाक जेल से रिहा हुए प्रहलाद, गलती से चले गए थे पाकिस्तान, अटारी बॉर्डर के रास्ते आए भारत

मध्य प्रदेश के सागर जिले के निवासी प्रहलाद राजपूत को नया जीवन मिला है, वह 23 साल से पाकिस्तान की जेल में बंद था, और अब उसकी वतन वापसी हुई है

फोटो: IANS
फोटो: IANS 

मध्य प्रदेश के सागर जिले के निवासी प्रहलाद राजपूत को नया जीवन मिला है, वह 23 साल से पाकिस्तान की जेल में बंद था, और अब उसकी वतन वापसी हुई है। बीते 23 साल में उसकी दुनिया काफी बदल चुकी है, क्योंकि अब उसकी मां इंतजार करते करते दुनिया ही छोड़ गई है। सागर के गौरझामर के घोसीपटटी गांव का निवासी है प्रहलाद राजपूत। वह मानसिक रुप से कमजोर है और सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंच गया था। उसकी खोज की गई मगर सफलता न मिलने पर हर किसी को लगने लगा था कि अब शायद ही प्रहलाद कभी मिले।

पुलिस अधीक्षक अतुल सिंह ने बताया, "सन 1998 प्रहलाद अचानक लापता हो गया था जो कि मानसिक रूप से कमजोर है। छानबीन करने पर भी कोई पता नहीं चला। फिर अचानक वर्ष 2014 में पता चला कि प्रहलाद पाकिस्तान की जेल में बंद है, उसके बाद प्रहलाद की रिहाई के प्रयास तेज हुए। प्रदेश सरकार के पुलिस विभाग और एसपी सागर ने प्रहलाद की वतन वापसी के लिए प्रयास शुरू किए। आखिरकार इन प्रयासों को सफलता मिली।"

सिंह के मुताबिक, "23 साल बाद सोमवार को पाकिस्तान की जेल से प्रहलाद रिहा हुए। गौरझामर के सब इंस्पेक्टर अरविंद सिंह, आरक्षक अनिल सिंह एवं प्रहलाद के भाई वीर सिंह को सोमवार को बाघा अटारी वार्डर पर प्रहलाद को सौंप दिया गया। जब भाई वीरसिंह ने अपने भाई प्रहलाद को लंबे बरसों के बाद देखा तो आंखें भर आई और वीर सिंह ने प्रहलाद को गले से लगा लिया।"

वीर सिंह ने बताया कि उनकी मां अपने पुत्र प्रहलाद की वतन लौटने की आस लगाए रही, मगर मां आज अपने बेटे केा देखने के लिए दुनिया में नहीं है क्योंकि वह पांच वर्ष पहले ही गुजर चुकी है। लेकिन आज मां का सपना पूरा हो गया है और प्रहलाद अपने घर लौट आया है। इसके लिए उन्होंने प्रशासन का धन्यवाद व्यक्त किया। प्रहलाद की वापसी पर परिजनों व गांव में उत्सव, खुशी का माहौल है।

प्रहलाद जब लापता हुआ था तब उसकी उम्र 33 साल थी, 23 साल बाद जब वह अपने घर लौट रहा है तब वह 56 साल का हो गया है। इन 23 सालों में उसके लिए बहुत कुछ बदल चुका है। उसके बावजूद सबसे ज्यादा राहत देने वाली बात यह है कि वह अपने वतन लौट आया है।

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