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मध्य प्रदेशः खनन माफियाओं पर नकेल कसने वाली महिला अफसर का तबादला, कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर बोला हमला

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि चंबल इलाके में मात्र 94 दिनों में रेत माफियाओं पर नकेल कसने वाली आयरन लेडी एसडीओ (वन) श्रद्धा पंढरे का रेत माफियाओं के दबाव में तबादला किया गया है। इस तरह के तबादले साबित करते हैं कि सरकार माफियाओं के समक्ष आत्मसमर्पण कर चुकी है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल इलाके के मुरैना जिले में अवैध खनन माफियाओं से मोर्चा लेने और इस दौरान कई बार जानलेवा हमले झेलने वाली वन विभाग की अनुविभागीय अधिकारी श्रद्धा पंढरे का तबादला कर दिया गया है। वह केवल तीन माह ही इस इलाके में अपनी ड्यूटी निभा पाईं। इस तबादले पर कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर हमला बोला है।

मुरैना में श्रद्धा पंढरे खनन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई किए जाने के कारण चर्चाओं में थीं। उन पर तीन माह की अवधि में 11 हमले हुए। अपने तीन माह के कार्यकाल में श्रद्धा ने अवैध खनन में लगे 70 से ज्यादा वाहनों को जब्त किया और 20 आरोपियों को जेल भेजा। अब उनका तबादला बांधवगढ़ रिजर्व कर दिया गया है।

श्रद्धा पंढरे का तबादला होने पर कांग्रेस बीजेपी सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस महामंत्री और मीडिया प्रभारी के.के.मिश्रा ने शिवराज सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार के काल में भयभीत माफिया प्रदेश से पलायन कर गए थे, वे आज सरकार, मंत्रियों के अघोषित ओएसडी बन उन्हें संचालित कर रहे हैं। यही कारण है कि प्रदेश अपराधियों का अभ्यारण बन गया है, कानून व्यवस्था चौपट है और माफिया अपनी समानांतर सरकार चला रहे हैं।

केके मिश्रा ने आरोप लगाया कि चम्बल इलाके में रेत माफियाओं के खिलाफ मात्र 94 दिनों में 15 हमले सहने वाली आयरन लेडी एसडीओ (वन) श्रद्धा पंढरे का रेत माफियाओं के दबाव में तबादला किया गया है। इस तरह के तबादले और निलम्बन आदेश जहां ईमानदार कर्मचारियों और अधिकारियों का मनोबल तोड़ रहे हैं, वहीं यह साबित कर रहे हैं कि सरकार माफियाओं के समक्ष आत्मसमर्पण कर चुकी है।

वहीं कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमल नाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने महिला अधिकारी के तबादले पर तंज कसते हुए कहा, "प्रदेश में अवैध खनन बेरोक टोक जारी, रेत माफियाओं के हौसले बुलंद, तीन माह में रेत माफियाओं के 15 हमले झेल चुकी महिला अधिकारी श्रद्धा का रेत माफियाओं के दबाव में तीन माह में ही मोरैना एसडीओ पद से तबादला। माफिया न गड़ रहे, न टंग रहे और उन्हें रोकने वाले निबट जरूर रहे।"

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