मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 5 संतों को शिवराज सरकार की ओर से राज्यमंत्री का दर्ज दिए जाने पर सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर धर्मगुरुओं के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया है। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ को खत्म करने के लिए सरकार ने इन संतों को राज्यमंत्री का दर्ज दिया है।
शिवराज सरकार ने जिन 5 धर्मगुरुओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है, उसमें कंप्यूटर बाबा, नर्मदानंद महाराज, हरिहरानंद महाराज, भैयू महाराज और पंडित योगेंद्र महंत शामिल हैं। इनमें से कंप्यूटर बाबा ने नर्मदा बचाओ के काम में भ्रष्टाचार को सामने लाने के लिए ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकालने का ऐलान किया था। इसे लेकर 28 मार्च को इंदौर के गोम्मटगिरि स्थित मां कालिका आश्रम में संतों की बैठक हुई थी। यह यात्रा 1 अप्रैल से 15 मई तक प्रदेश भर में निकाली जानी थी।
राज्यमंत्री का दर्ज मिलने के बाद कंप्यूटर बाबा के सुर बदल गए हैं। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ निरस्त कर दी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए साधु-संतों की समिति बनाने की मांग पूरी कर दी है। कंप्यूटर बाबा ने कहा, “साधू समुदाय की ओर से हम पर विश्वास जताने के लिए सरकार का शुक्रिया। हम समाज के कल्याण के लिए तत्पर रहेंगे और अपना योगदान देंगे।”
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राज्य में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शिवराज सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई है। कांग्रेस नेता राज बब्बर ने शिवराज सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवाधारी बन गए हैं और बीजेपी बाबाओं के सहारे चुनाव जीतने की कोशिश में जुटी गई है, जोकि असंभव है।
कांग्रेस का कहना है कि सूबे की शिवराज सरकार संतों के नाम पर राजनीति कर रही और उनका फायदा उठाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले को राजनीतिक नौटंकी करार दिया है। कांग्रेस का कहना है कि संतों को इस बात का निरीक्षण करना चाहिए कि आखिर प्रदेश सरकार ने 6 करोड़ रुपये के पौधे कहां लगाए हैं, जैसा कि वह दावा करती है।
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