उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के राज में प्यार करना जैसे गुनाह हो गया है। योगी सरकार द्वारा लव जिहाद रोकने के नाम पर लाए गए अध्यादेश के बाद तो प्रदेश में कभी मर्जी से और परिवार की रजामंदी से हो रही बालिग जोड़ों की अतंरधार्मिक शादी को रोकने पुलिस पहुंच जा रही है तो कभी मर्जी से कानूनी तरीके से अंतरधार्मिक शादी करने पहुंचे जोड़े को कोर्ट में ही पीटा जा रहा है।
हाल में अलीगढ़ में अदालत परिसर के अंदर एक मुस्लिम युवक के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार और मारपीट इसलिए की गई, क्योंकि वह एक लड़की को लेकर कानूनी रूप से शादी करने पहुंचा था। घटना गुरुवार को हुई और घटना की वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है।
वीडियो में 21 साल के युवक को ई-रिक्शा में पुलिसकर्मियों द्वारा जबरन बैठाते हुए देखा जा सकता है।
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एक दूसरे वीडियो में, लड़की को महिला कांस्टेबलों द्वारा ले जाते हुए भी देखा जा रहा है। वह चिल्लाती दिख रही है कि वह बालिग है और युवक के साथ रहना चाहती है। लड़की, जो अलग धर्म की है, शादी के लिए चंडीगढ़ से आई थी, जबकि युवक, सोनू मलिक एक स्थानीय निवासी है और वह हरियाणा के अंबाला में काम करता है। जोड़े को सिविल लाइन पुलिस स्टेशन ले जाया गया, पर गुरुवार देर रात तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई थी। सर्कल ऑफिसर (सीओ) अनिल समानिया ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है।
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इससे पहले लखनऊ में पुलिस ने एक अंतरधार्मिक विवाह को रोक दिया, जो दोनों परिवारों की सहमति से हो रहा था। विवाह की रस्में शुरू होने से ठीक पहले पुलिस ने हस्तक्षेप किया। खबरों के मुताबिक, हिंदू महासभा के जिला अध्यक्ष बृजेश शुक्ला ने लिखित में शादी के बारे में शिकायत दी थी, जिसके बाद पुलिस बुधवार रात विवाह स्थल पर पहुंची, जहां 22 वर्षीय रैना गुप्ता की अपने बचपन के दोस्त 24 वर्षीय मोहम्मद आसिफ से शादी होनी थी। शादी पहले हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार और फिर मुस्लिम परंपरा के अनुसार की जानी थी।
एडीसीपी ने कहा कि हाल ही में लागू उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 की धारा 3 और 8 (खंड दो) के अनुसार विवाह रोक दिया गया, जिसमें कहा गया है कि किसी को भी सीधे या अन्यथा किसी अन्य तरीके से गलत बयानी, बहका कर, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, खरीद-फरोख्त या किसी धोखेबाजी से या विवाह द्वारा किसी का धर्म परिवर्तन नहीं करना चाहिए। यह दंडनीय अपराध है।
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इस घटना के बाद लोगों में धर्मांतरण विरोधी कानून के खिलाफ गुस्सा भड़क गया है। मारूफ अली ने कहा, "ये वो है जो अब होने जा रहा है। पुलिस तय करेगी कि शादी होगी या नहीं। अदालतों ने कहा है कि कोई भी वयस्कों को एक साथ रहने से नहीं रोक सकता है, लेकिन इस कानून के साथ, अब पुलिस फैसला करेगी।"
दुल्हन के पिता विजय गुप्ता ने कहा कि शादी के लिए कोई जबरन धर्म परिवर्तन नहीं किया गया था और दोनों परिवारों ने बिना शर्त के अपनी सहमति दी थी। उन्होंने कहा, "पुलिस के बताने से पहले मैं अनजान था कि सभी पक्षों से सहमति के बाद भी, एक अंतरधार्मिक विवाह केवल जिला मजिस्ट्रेट की मंजूरी के साथ किया जा सकता है।"
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दुल्हन पक्ष के एक रिश्तेदार शिरीष गुप्ता भी उतने ही परेशान थे। उन्होंने कहा, "शादी दोनों परिवारों की मौजूदगी में हो रही थी, लेकिन पुलिस ने समारोह रोक दिया। मेहमानों को बिना डिनर कराए वापस भेज दिया गया। कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसी घटना आजाद भारत में होगी।"
एक मुस्लिम धर्मगुरु ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, "हमारी आशंकाएं अपेक्षा से जल्द सामने आई हैं। पुलिस अब राज्य चला रही है और इस नए कानून द्वारा व्यक्तिगत स्वतंत्रता खत्म हो गई है।"
फिलहाल इस मामले में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है, क्योंकि लड़का-लड़की परिवार की सहमति से शादी कर रहे थे। वहीं, रैना और मोहम्मद आसिफ अब जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करने की तारीख से दो महीने बाद ही शादी कर सकते हैं।
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