सुप्रीम कोर्ट द्वारा शफीन जहां से शादी को बरकरार रखने के फैसले के बाद केरल पहुंची हादिया ने कहा , “संविधान अपना धर्म चुनने की पूरी आजादी देता है, जो हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और यह सब मेरे इस्लाम कबूलने की वजह से हुआ।”
तमिलनाडु के सेलम लौटने से पहले हादिया तीन दिन और केरल में रहेंगी। वह सेलम पढ़ाई कर रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को केरल हाईकोर्ट के उस आदेश को पलट दिया, जिसमें दोनों की शादी को रद्द कर दिया गया था। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश एएम खानविलकर और न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “हादिया उर्फ अखिला अशोकन को कानून के मुताबिक अपना जीवन जीने की आजादी है”
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हादिया ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट द्वारा हमारी शादी बरकरार रखे जाने से हमें ऐसा लग रहा है कि हमें आजादी मिल गई है।”
इस्लाम कबूलने से पहले हादिया का नाम अखिला अशोकन थी, उसने इस्लाम कबूल कर शफीन जहां से शादी कर ली थी। हादिया के शादी के बाद उनके पिता ने आरोप लगाया था कि आतंकवादी संगठनों से संबंधित समूहों ने जबरन उसका धर्म परिवर्तन कराया।
हादिया ने कहा, “मुश्किल की घड़ी में सिर्फ पीएफआई ने उनका साथ दिया और सबसे हैरानी की बात यह रही कि जिन दो मुस्लिम संगठनों से हमने मदद मांगी, उन्होंने हमारी सहायता करने से इनकार कर दिया।”
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