ओडिशा के पुरी में भक्तों की अनुपस्थिति में पहली बार भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों की वार्षिक रथ यात्रा मंगलवार को शुरू हुई। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जनता की उपस्थिति के बिना सीमित तरीके से इसे आयोजित करने के निर्देश के बाद वार्षिक उत्सव की शुरुआत की गई। पुजारियों ने भोर में 'मंगल आरती' का आयोजन किया।
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ओडिशा के कानून मंत्री प्रताप जेना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि जो भी लोग इस रथ यात्रा में शामिल होंगे सबका कोविड-19 टेस्ट होना चाहिए। सभी सेवायत का कोरोना वायरस टेस्ट हुआ है, एक सेवायत पॉजिटिव आया है, उसे रथयात्रा में शामिल होने नहीं दिया गया है। वहीं रथ यात्रा शुरु करने से पहले मंदिर को सेनिटाइज किया गया।
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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ओडिशा में अधिकारियों को पुरी में भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा आयोजित करने की अनुमति दी थी। इसके बाद से ओडिशा के पूरी और गुजरात के अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा शुरू हो गई है। वही कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए गुजरात हाई कोर्ट ने रथयात्रा पर रोक का आदेश दिया था, जिसके बाद मंदिर परिसर के अंदर ही रथयात्रा निकालने का फैसला किया गया है। इस बार रथयात्रा मंदिर परिसर में ही सात फेरे लगाएगी।
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गौरतलब है कि शंखनाद की ध्वनि, झांझ और ढोलक की थाप के साथ मंदिरों से देवताओं को रथ पर बिठाकर यात्रा की शुरुआत की गई। तीनों देवताओं को तीन पारंपरिक तौर पर बने लकड़ी के रथ- नंदीघोसा (जगन्नाथ के लिए), तलाध्वजा (बलभद्र के लिए) और देवदलन (सुभद्रा के लिए) पर बिठा कर ले जाया गया।
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रथों को पुरी के गुंडिचा मंदिर तक खींचा जाएगा, जो मुख्य जगन्नाथ मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। इस साल 500 से अधिक लोगों को रथ खींचने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्हें कोविड -19 टेस्ट कराने के बाद नेगेटिव रिपोर्ट आने के बाद ही अनुमति दी जाएगी। इनमें मंदिर के सेवक और पुलिसकर्मी शामिल होंगे।
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(आईएएनएस के इनपट के साथ)
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