लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में सोमवार को बिहार की भी पांच सीट- मुजफ्फरपुर, मधुबनी, सीतामढी, सारण और हाजीपुर में भी वोटिंग होगी। इस चरण में 95 लाख से ज्यादा मतदाता चिराग पासवान, रोहिणी आचार्य और राजीव प्रताप रूड़ी समेत कई दिग्गजों के राजनीतिक भाग्य का फैसला करेंगे। इन पांचों सीट पर 80 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।
इन सीटों पर निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिए तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं। राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के मुताबिक पांच लोकसभा सीट- मुजफ्फरपुर, मधुबनी, सीतामढी, सारण और हाजीपुर पर शांतिपूर्ण और निष्पक्ष मतदान कराने के लिए निर्वाचन आयोग ने 9436 मतदान केंद्र बनाए हैं और कुल 11323 ‘बैलेट यूनिट’, 11323 ‘कंट्रोल यूनिट’ और 12267 ‘वीवीपैट’ की व्यवस्था की है।
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इन पांचों सीट पर कुल 9511186 मतदाता हैं जिनमें से 4999627 पुरुष, 4511259 महिलाएं और 300 तृतीय लिंगी हैं। इन मतदाताओं में 1987622 लोग 20 से 29 वर्ष तक के हैं, जबकि 126154 मतदाता 18 से 19 वर्ष के हैं। मतदान के सिलसिले में 82975 विकलांग मतदाताओं और 85 वर्ष से अधिक आयु के 86702 मतदाताओं के लिए विशेष व्यवस्था की गयी है।
इन पांच सीट में से हाजीपुर में सबसे अधिक 1972915 मतदाता हैं जबकि सारण में सबसे कम 1800790 मतदाता हैं। इन पांचों सीट पर कुल 80 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं जिनमें 74 पुरुष और छह महिलाएं हैं। इन उम्मीदवारों में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के पांच, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के चार, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के तीन और कांग्रेस, जनता दल (यूनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के एक-एक प्रत्याशी शामिल हैं।
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हाजीपुर में एनडीए में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान का मुकाबला आरजेडी प्रत्याशी और पूर्व मंत्री शिव चंद्र राम से है। चिराग के दिवंगत पिता राम विलास पासवान ने आठ बार हाजीपुर सीट जीती थी। निकटवर्ती सारण सीट पर आरजेडी की नवोदित उम्मीदवार और पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य का मुकाबला मौजूदा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी से है।
मुजफ्फरपुर में मौजूदा सांसद अजय निषाद बीजेपी से इस बार टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। बीजेपी ने राज भूषण चौधरी को यहां से इस बार चुनाव मैदान में उतारा है। चौधरी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के उम्मीदवार के रूप में लड़ा था।
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बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी के नेतृत्व वाली वीआईपी राज्य में विपक्षी गठबंधन का हिस्सा है जिसमें कांग्रेस, आरजेडी और तीन वामपंथी दल शामिल हैं। दिलचस्प बात यह है कि मुजफ्फरपुर में सबसे ज्यादा 26 उम्मीदवार हैं, जिनमें स्थानीय वकील सुधीर कुमार ओझा भी शामिल हैं। ओझा शीर्ष राजनीतिक हस्तियों, बॉलीवुड सितारों के खिलाफ अपनी याचिकाओं के कारण खबरों में रहते हैं।
मधुबनी एक ऐसी सीट है जिसे बीजेपी 2009 से लगातार जीत रही है। यहां के मौजूदा बीजेपी सांसद अशोक यादव ने 2019 में अपनी जीत शुरुआत की थी। उनके पिता हुकुम देव नारायण यादव इस सीट से कई बार सांसद रहे। अशोक यादव का इस बार इस सीट पर मुकाबला आरजेडी उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहम्मद अली अशरफ फातमी से है, जो कई बार दरभंगा लोकसभा सीट से जीत चुके हैं।
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सीतामढी पर वर्तमान में जेडीयू का कब्जा है लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली इस पार्टी ने मौजूदा सांसद सुनील कुमार पिंटू को एकबार फिर मौका नहीं देकर इस सीट पर विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर को प्रत्याशी बनाया है। ठाकुर इसी जिले से आते हैं। आरजेडी ने सीतामढी लोकसभा सीट से अर्जुन राय पर भरोसा जताया है जो 2019 के चुनाव में पिंटू से लगभग 2.5 लाख वोटों से हार गए थे। राय ने 2009 में जेडीयू के टिकट पर इस सीट से जीत हासिल की थी।
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