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लोकसभा चुनावः हरियाणा में बीजेपी को सबक सिखाने को तैयार मतदाता, सभी 10 सीट पर कल होगा मतदान

यहां के किसान यह भी नहीं भूले हैं कि कैसे उनके रास्ते में अड़चनें लगाई गई थीं। रास्ते खोद दिए गए थे, कीलें बिछा दी गई थीं और यहां तक कि उन पर गोलियां भी चलाई गईं। उन पर कड़कड़ाती सर्दी में जल तोपों से हमले हुए और उन्हें देशद्रोही और खालिस्तानी तक कहा गया।

हरियाणा में बीजेपी को सबक सिखाने को तैयार मतदाता, सभी 10 सीट पर कल होगा मतदान
हरियाणा में बीजेपी को सबक सिखाने को तैयार मतदाता, सभी 10 सीट पर कल होगा मतदान फोटोः सोशल मीडिया

हरियाणा के कई गांवों में जब ऐसे पोस्टर और बैनर नजर आने लगे जिन पर लिखा था ‘बीजेपी की नो एंट्री’, तो बहुत से लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया था। माना जा रहा था कि किसानों का गुस्सा ज्यादा दिन नहीं चलेगा और फिर बीजेपी-जेजेपी के पास सत्ता और पैसे की ताकत तो है ही, ऐसे में लोगों को अपने पक्ष में आसानी से किया जा सकता है। लेकिन हाल के दिनो में बीजेपी नेताओं और मंत्रियों को खुलेआम काले झंडे दिखाने और बीजेपी कार्यकर्ताओं और गांव वालों के बीच टकराव जब आम होने लगे, तो बीजेपी और इसके कार्यकर्ताओं ने खुद ही अपने आप को चुनिंदा इलाकों में सीमित कर लिया।

अब जब मतदान की तारीख आ ही गई है तो हरियाणा के मिजाज में नाटकीय बदलाव हो चुका है और शायद ही कोई हो जो यह कहता हो कि बीजेपी चुनाव जीत रही है। यहां तक कि बीजेपी की सत्ता में वापसी की वकालत करने वाले प्रशांत किशोर भी करण थापर के साथ इंटरव्यू में यह संकेत देते दिखे कि हरियाणा में बीजेपी की हालत अच्छी नहीं है। हालांकि प्रशांत किशोर ने यह जरूर कहा कि बीजेपी को कोई बड़ा नुकसान नहीं है। 

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जमीनी स्तर पर लोग अब बीजेपी से तंग नजर आ रहे हैं। युवाओं को अग्निवीर योजना चुभ रही है। वे कहते हैं कि जब प्रधानमंत्री अपने लिए तीसरी बार 5 साल का कार्यकाल मांग रहे हैं तो युवाओं के लिए सिर्फ 4 साल का कार्यकाल क्यों। हरियाणा के शहरों और कस्बों में ऐसे शैक्षिक संस्थान खुले थे जहां युवाओं को प्रवेश परीक्षाओं के लिए तैयार किया जाता था। इनके नजदीक के पार्क में सैकड़ों युवा जमा होते और एक्सरसाइज आदि करते। यह सिलसिला सुबह-शाम चलता था। लेकिन सरकार की 2022 में शुरु हुई एक योजना के तहत इन संस्थानों को बंद कर दिया गया और युवाओं का उत्साह खत्म हो गया और वे व्यायाम छोड़कर नशाखोरी की तरफ बढ़ चले।

इसी बात को रेखांकित करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा कि देश के देशभक्त युवाओं को हरियाणा ने दिहाड़ी मजदूर बना दिया। उनकी यह बात पूरे हरियाणा में गूंज रही है। अग्निवीर योजना के खिलाफ युवाओं के विरोध को सरकार नजरंदाज करती रही है। हरियाणा के छोटे-बड़े शहर-कस्बे में युवा इस योजना के खिलाफ सड़कों पर उतरे। सरकार से नाराजगी और हताशा में कई युवाओं ने खुदकुशी तक कर ली। कहा जाता है कि सेना में हर दसवां फौजी हरियाणा का होता है। मोटे अनुमान के मुताबिक सेना से रिटायर होने वाले फौजी और पेंशनरों और उन पर आश्रितों की हरियाणा में संख्या करीब 25 लाख है। ऐसे दावे भी हैं कि सेना में भर्ती के लिए तैयारी करने वाले करीब 1.5 लाख युवा महामारी के चलते करीब दो साल तक ठप पड़ी रही भर्ती प्रक्रिया के चलते आयु सीमा से बाहर हो गए।

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बरवाला के बस स्टैंड पर गन्ने का रस बेचने वाले एक युवा ने बताया कि अकेले बरवाला में   करीब 50 ट्रेनिंग सेंटर थे जो युवाओं को सेना में भर्ती के लिए तैयार करते थे। अग्निवीर योजना शुरु होने के बाद ये सभी सेंटर बंद हो चुके हैं और युवाओं की सिर्फ 4 साल के लिए फौज में जाने की दिलचस्पी खत्म हो गई। वह बताता है कि पूरे कस्बे की अर्थव्यवस्था डगमगा गई और छोटे काम-धंधे धीरे-धीरे बंद हो गए। इससे बेरोजोगारी बेतहाशा बढ़ी जो देश में सर्वाधिक है।

ये ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब बीजेपी नेताओं के पास ही हैं। इसके अलावा बीते दिनों में हरियाणा की महिला पहलवानों के  साथ जो कुछ हुआ उससे भी लोगों में गहरा आक्रोश है। महिला पहलवानों के सीधे आरोप थे कि बीजेपी सांसद ने उनका यौन शोषण किया। लेकिन तिरंगा हाथ में उठाए विनेश फोगट और साक्षी मलिक को दिल्ली की सड़कों पर घसीटा गया। और, इस सब पर हरियाणा के बीजेपी नेता मूक दर्शक बने रहे। भले ही इस घटना को एक साल हो चुका है, लेकिन लोगों के जहन में वह तस्वीरें जिंदा हैं।

महिला उत्पीड़न की बात यहीं नहीं रुकती। एक महिला कोच ने राज्य के खेल मंत्री संदीप सिंह पर यौन शौषण के आरोप लगाए थे, लेकिन तब की खट्टर सरकार ने न तो उन्हें मंत्रिमंडल से निकाला और न ही इस्तीफा मांगा।

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इसके अलावा राज्य के किसान बीजेपी से बेहद नाराज हैं। राज्य के 17 जिलों के कम से कम 114 किसानों की कृषि कानूनों के खिलाफ हुए आंदोलन में मौत हुई थी। कुल 700 शहीद किसानों में बाकी पंजाब और यूपी के थे। भारतीय किसान यूनियन (चढ़नी) के प्रवक्ता राकेश बैस स्मरण दिलाते हैं कि ‘शहीद किसानों’ की पूरी सूची नाम-पते के साथ हरियाणा सरकार को सौंपी गई थी, लेकिन उन किसानों के परिवारों के लिए आज तक कोई राहत का ऐलान बीजेपी सरकार ने नहीं किया। किसान यह भी नहीं भूले हैं कि कैसे उनके रास्ते में अड़चनें लगाई गई थीं। रास्ते खोद दिए गए थे, कीले बिछा दी गईं थी और यहां तक कि उन पर गोलियां भी चलाई गईं। खट्टर सरकार में उस समय गृह मंत्री रहे अनिल विज को इन सवालों का कई गांवों में सामना करना पड़ा था और उन्होंने यह कहते हुए इसकी जिम्मेदारी ली थी कि फैसला उनका नहीं था। पूर्व मुख्यमंत्री खट्टर की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने बीजेपी के लिए मुश्किलें ही पैदा कीं।

माना जाता है कि पंजाब के साथ हरियाणा भी पूरे देश का पेट भरता है, फिर भी किसानों के साथ ऐसी बदसुलूकी की गई। उन पर कड़कड़ाती सर्दी में जल तोपों से हमले किए गए और उन्हें देश द्रोही और खालिस्तानी कहा गया। बता दें कि हरियाणा में भी अच्छी तादाद में सिखों की आबादी है। जबकि मेवात जैसे इलाकों में मुस्लिमों की भी ठीक-ठाक संख्या है। राज्य के शहरी इलाकों में खानपान की जगहों, दीवारों आदि पर किसानों से समर्थन का नारे लिखे हुए हैं, इससे साबित होता है कि लोग किसानों के साथ बीजेपी के सुलूक को भूले नहीं हैं।

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इन हालात में बीजेपी ने वही किया जो वह कर सकती थी। उसने राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को राज्य की कमान सौंप दी। मंशा जाट-गैर जाट के बीच संतुलन बनाने की थी। यह काम पहले हुआ होता तो शायद इसका कुछ असर होता, लेकिन यह फैसला लेने में काफी देर हो चुकी थी।

बेरोजगारी, महंगाई के साथ ही फसल उगाने की बढ़ती लागत का असर जाट और गैर-जाट सब पर बराबर है। और वे प्रधानमंत्री के विभाजनकारी भाषणों और पाकिस्तान और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से असहज हैं। ऊपर से प्रधानमंत्री द्वारा लोगों की संपत्ति छीन लेने और भैंसे छीन लेने जैसे बयानों से लोग असहमत ही नहीं बल्कि नाराज भी हुए हैं। इसी तरह बीजेपी के स्टार प्रचारक योगी आदित्यनाथ का यह कहना है कि सत्ता में आने पर पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर वापस मिल जाएगा, लोगों के रिझाने में नाकाम साबित हुआ है।

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हरियाणा के शिक्षित युवाओं का खुला आरोप है कि बीते पांच साल में स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती हुई ही नहीं है। हर जिले में पहले चलने वाली खेल एकेडमी बंद कर दी गई हैं। तकनीकी रूप से शिक्षित और स्नातक युवा फलों का जूस बेच रहे हैं। बेरोजगारी के चलते उनके विवाह नहीं हो पा रहे हैं। इतना ही नहीं हाल ही में एक न्यूज वेबसाइट के साथ बातचीत में एक शिक्षित विवाहित युवती ने बताया कि वे तय नहीं कर पा रहे हैं कि मौजूदा आर्थिक स्थितियों में क्या परिवार बढ़ाना सही होगा या नहीं।

बीजेपी को चौतरफा गुस्से और आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है। पानीपत के सुनील मलिक इसी बात को रेखांकित करते हुए कहते हैं कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि केंद्र में किसकी सरकार बन रही है, लेकिन हरियाणा में तो बीजेपी को सबक सिखाना ही पड़ेगा। जींद के विधायक परमिंदर सिंह धुल भी यही भावना जताते हैं। वे बताते हैं कि लोग खुद ही बीजेपी के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं। उनका कहना है कि, “सत्ता को लेकर लोगों का गुस्सा बीते 47 साल में पहली बार इतना खुलकर सामने आ रहा है।”

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