मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रसिद्ध 'गोरक्षपीठ' के चलते ज्यादातर चर्चा में रहने वाला गोरखपुर इस बार लोकसभा चुनाव में भोजपुरी फिल्मों के दो दिग्गज कलाकारों के आमने-सामने होने से चर्चा में है। टीवी धारावाहिक ‘लापतागंज’ से घर-घर चर्चित हुईं ‘इंडिया’ गठबंधन की उम्मीदवार काजल निषाद और हाल ही में आई फिल्म ‘लापता लेडीज’ में अपनी भूमिका के लिए वाहवाही बटोर रहे मौजूदा सांसद और बीजेपी उम्मीदवार रवि किशन की मौजूदगी ने चुनाव प्रचार अभियान को रोमांचक बना दिया है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रमुख लोकसभा क्षेत्रों में शामिल गोरखपुर में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के जावेद सिमनानी सहित कुल 13 उम्मीदवार मुकाबले में हैं, पर मुख्य मुकाबला रवि किशन और काजल निषाद के बीच ही माना जा रहा है। रवि किशन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम लेकर और अपने ग्लैमर के सहारे मतदाताओं को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं उनकी प्रतिद्वंद्वी काजल निषाद मंचों से रवि किशन को फिल्मी शैली में ही ललकारती नजर आ रही हैं।
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काजल मंचों से रवि किशन पर हमला बोलते हुए कहती हैं, ''वह बाहरी हैं, क्षेत्र में आते नहीं हैं, मैं आपकी बहू हूं, आपके घर की हूं।'' वहीं, रवि किशन खुद को यहां का मूल निवासी बताते हुए लगातार पांच वर्ष से जनता की सेवा का दावा करते हैं। वह कभी ‘हर-हर महादेव’ बोलते हुए युवाओं से पंजा लड़ाते नजर आते हैं तो कभी अपने साथ सेल्फी लेने वाले युवाओं को उत्साहित करते दिखते हैं।
लोकसभा चुनाव के अंतिम और सातवें चरण में एक जून को होने वाले मतदान की उलटी गिनती शुरू होने के साथ ही गोरखपुर में सत्ता पक्ष और विपक्ष ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। वे जातीय समीकरण सहित हर पहलू पर ध्यान दे रहे हैं। रवि किशन खुद भी प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी को ही अपनी पिछली जीत का श्रेय देते हैं और इस बार भी उनकी ही बदौलत चुनाव जीतने का दावा करते हैं।
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‘गोरक्षपीठ' (गोरखनाथ मंदिर) के पीठाधीश्वर और राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 1998 से 2014 तक लगातार पांच बार इस क्षेत्र से चुनाव जीते और 2017 में उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद हुए उपचुनाव में विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) ने प्रवीण निषाद को उतारकर यहां कब्जा जमा लिया। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने रवि किशन को चुनाव में प्रत्याशी बनाकर अपनी प्रतिष्ठा वाली सीट को वापस जीत लिया।
यहां दो उप-चुनावों 1970 और 2018 समेत कुल 19 बार हुए लोकसभा चुनाव में गोरक्षपीठ की तीन पीढ़ियों ने 10 बार चुनाव जीता जिसमें पांच बार योगी आदित्यनाथ, चार बार उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ और एक बार उनके पितामह गुरु महंत दिग्विजय नाथ ने चुनाव जीता था। फिलहाल, योगी आदित्यनाथ इसी संसदीय क्षेत्र के गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। गोरखपुर संसदीय क्षेत्र में कुल 20,97,202 मतदाता हैं जिनमें 11,23,868 पुरुष, 9,73,160 महिला और तृतीय लिंग के 174 मतदाता हैं।
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इस क्षेत्र में सबके अपने-अपने तर्क और अलग-अलग दावे हैं। सपा के प्रदेश सचिव और गोरखपुर नगर निगम के पूर्व उपमहापौर जियाउल इस्लाम ने दावा किया कि ''सपा उम्मीदवार काजल निषाद कम से कम डेढ़ लाख से अधिक मतों के अंतर से चुनाव जीतेंगी।'' वहीं, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के एक नेता ने दावा किया कि सपा के परंपरागत मुस्लिम मतदाताओं के वोट में बीएसपी उम्मीदवार जावेद सिमनानी का भी हिस्सा होगा जिसका लाभ बीजेपी को ही मिलेगा।
गोरखपुर में पिछले कई आम चुनावों से विपक्षी दलों ने निषाद समुदाय से संबंध रखने वाले लोगों को ही उम्मीदवार के रूप में आगे किया है और 2018 के उपचुनाव में निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद सपा के चिह्न पर यहां से चुनाव जीत गए थे लेकिन बाद में वह बीजेपी में शामिल हो गए।
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इस लोकसभा क्षेत्र में करीब चार लाख निषाद मतदाता हैं और निषादों का वोट हासिल करने के लिए बीजेपी ने अपने सहयोगी दल ‘निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल’ (निषाद) के अध्यक्ष और प्रदेश सरकार के मंत्री संजय निषाद को आगे करके अपने पक्ष में माहौल बनाने की पूरी कोशिश की है।
चुनाव में विपक्षी दल गोरखपुर के विकास का मुद्दा उठाते हैं लेकिन कई लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ के सात वर्ष के कार्यकाल में यहां की तस्वीर बदल गई है और विकास स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। गोरखपुर में सातवें चरण में एक जून को मतदान होगा और चार जून को मतगणना होगी।
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