लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी द्वारा जारी किए गए घोषणापत्र पर कांग्रेस पार्टी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने बीजेपी से कई सवाल पूछे हैं। साथ ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन वादों की याद भी दिलाई, जिनका वादा बीजेपी ने साल 2014 और 2019 के अपने घोषणापत्र में किया था। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने प्रेस से बात करते हुए कहा कि हमें संकल्प पत्र के नाम से घोर आपत्ति है। इसका नाम माफीनामा होना चाहिए। माफीनामे में तो वैसे भी ये एक्सपर्ट हैं। इन्हें दलितों से माफी मांगनी चाहिए थी। किसानों और जो बेरोजगार नौवजवान हैं, उनसे माफी मांगनी चाहिए थी। अग्निवीर के जवानों से माफी मांगनी चाहिए थी। आदिवासियों, अंकिता भंडारी के परिवार से माफी मांगनी चाहिए थी।
पवन खेड़ा ने कहा कि तांक-झांक की आदत, लोगों की थालियों में झांकने की आदत मोदी जी की है ही। वो तांक-झांक करने में पारंगत हैं। जरा गरीब की थाली को देख लेते। तो खुद आज उसे माफीनामा कहते। वो आंकड़े जो पिछले 10 साल से छुपाए जा रहे हैं। उन आंकड़ों में पिछले 10 साल की रिपोर्ट कार्ड है। वो आंकड़े अगर सामने आ जाएं तो वो खुद इसे माफीनामा कहते।
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कांग्रेस नेता ने कहा कि साल 2014 के अपने घोषणापत्र में बीजेपी ने स्पेशल टास्क फोर्स बनाकर काला धन लाने का वादा किया था। हुआ क्या? चुनावी बॉन्ड आ गए। बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में कहा था कि जो गिरती हुई करेंसी है, उसकी कीमत को सुधारेंगे। आज क्या हुआ, डॉलर 83 रुपये पार हो गया। नॉर्थ ईस्ट में कानून व्यवस्था को मजबूत करने का वादा किया था। अब मणिपुर में साहब न जा पाते हैं न मणिपुर पर एक शब्द बोल पाते हैं, ये है असल हकीकत। बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में कहा था कि स्पेशल पैकेज से 100 जिलों की गरीबी दूर करेंगे। हंगर इनडेक्स में आप आंकड़ा देखेंगे तो आपको समझ में आ जाएगा कि कितनी गरीबी दूर हुई है।
उन्होंने कहा कि बीजेपी ने 2014 के घोषणापत्र में 100 नए स्मार्ट सिटी बनाने का वादा किया था। हुआ क्या? चीन हमारे भीतर घुसकर कुछ स्मार्ट गांव बनाकर जा रहा है। हमने स्मार्ट सिटी नहीं बनाई। ऐसे कई जुमले हैं। हैरानी की बात यह है कि इनकी पार्टी और सरकार में नंबर दो हैं, अमित शाह, वो खुद कहते हैं कि यह जुमलेबाजी है। किसी देश के प्रधानमंत्री के लिए इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता कि उसकी जुबान पर से लोगों का भरोसा उठ जाए और लोग झूठा कहने लग जाएं।
पवन खेड़ा ने कहा कि साल 2014 से 2019 के बीच में लोगों को इनके (पीएम मोदी) शब्द पर भरोसा था इनके जुबान पर। साल 2019 के बाद लोगों को उनकी जुबान पर मनोरंजन होने लगा, लेकिन अब लोगों को खीज होने लगी, गुस्सा आने लगा है। देश के प्रधानमंत्री की यह यात्रा बताती है कि 10 साल में इस देश का क्या हाल बना दिया है। जो लोग इनको हीरो मानते थे, इनकी बात को सुनना चाहते थे अब वही लोग उन्हें देखकर चैनल बदल देते हैं।
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स्पेशल टास्कफोर्स बनाकर काला धन वापस लाएंगे, लेकिन इलेक्टोरल बॉन्ड आ गया।
नार्थ ईस्ट में कानून व्यवस्था मजबूत करेंगे, लेकिन आज मणिपुर में हिंसा जारी है, जिसपर PM मोदी चुप्पी साधे हुए हैं।
स्पेशल पैकेज से 100 जिलों की गरीबी दूर करेंगे, लेकिन हंगर इंडेक्स के आंकड़े पोल खोलते हैं।
100 नई स्मार्ट सिटी बनाएंगे, लेकिन चीन सीमा पर स्मार्ट गांव बसा रहा है।
नरेंद्र मोदी के इन वादों से जनता ऊब चुकी है और बेहद आक्रोशित है।
2022 तक किसान की आय दोगुनी करेंगे, लेकिन असलियत ये है कि आज किसानों की आय घटी है और कर्ज दोगुना हुआ है।
PM किसान योजना के तहत सभी किसान कवर होंगे। सच ये है कि लाभार्थियों की संख्या 67% घटी है।
एक से पांच साल की अवधि वाले लोन पर 0% ब्याज देना होगा। सच ये है कि किसान क्रेडिट कार्ड पर 7% ब्याज देना पड़ रहा है।
देश में सिंचाई का स्तर अधिकतम होगा, सच्चाई ये है कि देश में सिंचाई का स्तर केवल 52% है।
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