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ईएमआई चुकाने से मिल सकती है और छूट, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- 2 साल बढ़ सकती है लोन मोरेटोरियम की अवधि

लोन मोरेटोरियम यानी आप द्वारा लिए गए कर्ज की किस्तें चुकाने की मीयाद दो साल तक बढ़ सकती है। यह बात केंद्र सरकार और आरबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में कही। सुप्रीम कोर्ट मोरेटोरियम के दौरान ब्याज पर ब्याज लिए जाने पर निर्देश की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है।

फोटो : आईएएनएस
फोटो : आईएएनएस 

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि कर्च चुकाने की छूट यानी लोन मोरेटोरियम दो साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है। सरकार ने यह बात कोर्ट में उस याचिका पर सुनवाई के दौरान कही जिसमें लोन मोरेटोरियम के दौरान ब्याज पर छूट देने के लिए दिशा निर्देश देने की मांग की गई है। सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया कि कर्ज स्थगन दो साल के लिए बढ़ सकता है। लेकिन यह कुछ ही सेक्टरों को दिया जाएगा।

मेहता केंद्र के साथ ही रिजर्व बैंक की तरफ से भी पैरवी कर रहे थे। उन्होंने न्यायाधीश अशोक भूषण की अगुवाई वाली पीठ के सामने दलील दी कि केंद्र संकटग्रस्त क्षेत्रों पर पड़े प्रभाव के अनुसार यह तय करने के लिए इन क्षेत्रों की पहचान करने की प्रक्रिया में है कि किस तरह की राहत प्रदान की जा सकती है।

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उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि केंद्र ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत शक्तियों पर अपना जवाब दायर किया है, और अदालत से केंद्र, आरबीआई, बैंकर संघों को एक साथ बैठक करने की अनुमति देने का आग्रह किया है। पीठ ने जवाब दिया कि वह पिछले तीन सुनवाई के दौरान इस बैठक के बारे में सुनती आ रही है। मेहता ने कहा कि वे उधारकर्ताओं के वर्ग की पहचान करेंगे। पीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे पर कुछ ठोस चाहती है।

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मेहता ने दोहराया कि स्थगन की अवधि वैसे भी दो साल तक बढ़ाई जा सकती है। पीठ ने जोर देकर कहा कि उसे योग्यता के आधार पर कई अन्य मुद्दों पर भी निर्णय लेना है, और जानना चाहा कि क्या अगले दो दिनों में इस पर कोई फै सला हो जाएगा? मेहता ने कहा कि अदालत हलफनामे को देख सकती है और इसके आधार पर दो दिनों में मामले को उठा सकती है। पीठ ने फिर जानना चाहा कि क्या दो दिन में फैसला लिया जा सकता है? मेहता ने कहा कि संभव नहीं है। जिस पर, पीठ ने कहा कि वह बुधवार को मौरैटोरियम अवधि के दौरान ईएमआई पर ब्याज की माफी, या ब्याज पर छूट की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।

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ध्यान रहे कि पिछले सप्ताह इसी मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि लोन मोरेटोरियम मुद्दे पर वह अपना रुख स्पष्ट करे और इस संबंध में अदालत में जल्द से जल्द हलफनामा दायर करे। कोर्ट ने कहा था कि अर्थव्यस्था जिन समस्याओं का सामना कर रही है, उसके पीछे की वजह लॉकडाउन है। 

गौरतलब है कि कोरोना संकट को देखते हुए रिजर्व बैंक के निर्देश पर बैंकों ने कंपनियों और व्यक्तिगत लोगों को लोन की किस्तों के भुगतान के लिए छह महीने की छूट दी थी। इसकी अवधि 31 अगस्त को समाप्त हो गई है। हालांकि, अब इसे 31 अगस्त से आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। 

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