उत्तराखंड के ऋषिकेश के अंकिता भंडारी हत्याकांड के आरोपी पुलकित आर्य, अंकित और सौरभ भास्कर की कोर्ट में पैरवी करने से कोटद्वार के वकीलों ने इनकार कर दिया है। कोटद्वार बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय कुमार पंत की अध्यक्षता में हुई बैठक में निंदा प्रस्ताव भी पारित किया गया है। वहीं, कोटद्वार में वकीलों द्वारा आरोपियों का मुकदमा नहीं लड़ने के फैसले के कारण सभी आरोपियों की जमानत अर्जी पर सुनवाई नहीं हो पाई। आरोपियों की न्यायिक हिरासत 6 अक्टूबर को खत्म हो रही है।
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वहीं, जेल जाने के बाद अंकिता के हैवानों की पहली तस्वीर पुलिस ने जारी की है। इन तस्वीरों में आरोपियों के चेहरे पर कोई शिकन तक नहीं है। इस केस में मुख्य आरोपी पुलकित आर्य है, जो अब बीजेपी से निलंबित नेता विनोद आर्य का बेटा है। पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि इन सबने अंकिता भंडारी को सुनसान जगह पर ले जाकर शराब पिलाई और उसके बाद शराब के नशे में उसे मार पीटकर नहर में फेंक दिया। वहीं, अंकिता के दोस्त ने मीडिया के सामने आकर पुलकित आर्य और उसके दोस्तों का काला चिट्ठा खोलकर रख दिया।
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इस बीच अंकिता हत्याकांड को लेकर आरोपियों की बेल की अर्जी लगाने वाले विधिक प्राधिकरण की तरफ से नियुक्त रिमांड एडवोकेट ने अब केस लड़ने से मना कर दिया है। एडवोकेट जितेंद्र रावत ने कोटद्वार न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी भावना पांडे की अदालत में बेल अर्जी लगाई थी। अब उन्होंने कहा कि मामले की संदेवनशीलता को देखते हुए उन्होंने आरोपियों की बेल की अर्जी का प्रार्थना पत्र वापस ले लिया है।
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वहीं, बार एसोसिएशन कोटद्वार के अध्यक्ष अजय पंत ने कहा कि अगर अंकिता हत्याकांड को लेकर कोई अधिवक्ता बाहर से आरोपियों की पैरवी करने आते हैं, तो बार एसोसिएशन उसका पूरा विरोध करेगी। उन्होंने कहा कि अंकिता हम सबकी बेटी थी और मामला संवेदनशील होने के कारण मैं खुद अंकिता की तरफ से कोर्ट में पैरवी करूंगा।
अधिवक्ता जितेंद्र रावत ने कहा कि बुधवार को एसआईटी की टीम ने वनंत्रा रिजॉर्ट में काम करने वाले कर्मचारियों के कलमबंद बयान दर्ज किए हैं। वहीं, आरोपियों से पूछताछ के लिए एसआईटी की तरफ से कोई प्रार्थना पत्र कोर्ट को नहीं दिया गया है। वकीलों के मुताबिक 302 के मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी की कोर्ट जमानत नहीं दे सकती है।
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कोटद्वार पौड़ी जिले में आता है। कोटद्वार में न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत है। आज कोटद्वार न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी कोर्ट में 302 में जमानत और पुलिस रिमांड लेने की तारीख तय थी। जिला विधिक शिविर से नियुक्त अभिवक्ता जितेन्द्र रावत को अंकिता भंडारी की हत्या के आरोपियों पुलकित आर्य, अंकित और सौरभ की तरफ से जमानत और पुलिस रिमांड के खिलाफ पैरवी के लिए नियुक्त किया गया था। जिसमें अभिवक्ता जितेन्द्र रावत ने न्यायिक मजिस्ट्रेट भावना पाण्डेय को प्रार्थना पत्र देकर पुलकित, अंकित और सौरभ की पैरवी करने से मना कर दिया।
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अंकिता भंडारी हत्याकांड को लेकर उत्तराखंड के साथ-साथ पूरे देश में आक्रोश है। हत्याकांड की सीबीआई जांच की मांग को लेकर लोगों ने दीवानी कोर्ट परिसर के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन को देखते हुए कोर्ट परिसर के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। प्रदर्शनकारी सरकार से पूरे मामले की जांच सीबीआई द्वारा कराने की मांग कर रहे हैं।
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