कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वती को कांची कामकोटि पीठ में उनके पूर्ववर्ती श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती के समाधि स्थल के बगल में समाधि दी गई। जयेंद्र सरस्वती की महासमाधि के पहले उनके शरीर पर भभूत का लेप लगाया गया और संतों-महंतों-ऋषियों-आचार्यों ने शंकराचार्य की आत्मा की शांति के लिए मंत्रोच्चार किए। 28 फरवरी को कांची कामकोटि मठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का चेन्नई में निधन हो गया था। 83 साल के शंकराचार्य लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे।
जनवरी,2018 में उन्हें अस्पताल में सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
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अंतिम प्रक्रिया में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई पलानीसामी समेत दक्षिण की कई बड़ी हस्तियां शामिल हुई। उनके निधन के बाद 1 लाख से ज्यादा लोग दर्शन किए हैं।
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जयेंद्र सरस्वती कामकोटि पीठ में हिंदुओं के 69 वें शंकराचार्य थे। जयेंद्र सरस्वती 1954 में शंकराचार्य बने थे। इससे पहले 22 मार्च 1954 को चंद्रशेखेंद्ररा सरस्वती स्वामीगल ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। उस वक्त वो सिर्फ 19 साल के थे। उनका जन्म 18 जुलाई 1935 में तमिलनाडु में हुआ था। पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का पद पर आसीन होने से पहले का नाम सुब्रमण्यम था।
शंकराचार्य के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जयेंद्र सरस्वती के निधन पर शोक जताया। कांची स्थित जामा मस्जिद के ईमाम जे मुहम्मद के नेतृत्व में मुसलमानों के एक समूह ने कामकोटि मठ जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
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