गंगा की धारा का मार्ग बदलने की वजह से भले ही माघ मेला टाउनशिप के लिए भूमि सिकुड़ गई हो, लेकिन इसके बावजूद 3,000 से अधिक धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक संगठनों ने 47 दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में अपने-अपने शिविर स्थापित करने के लिए जमीन की मांग की है। अधिकारियों ने कहा कि मिट्टी के कटाव की समस्या अभी भी बनी हुई है, जिसके चलते मेला अधिकारियों को वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
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जिलाधिकारी (माघ मेला) शेषमणि पांडेय ने बताया कि सभी पांच सेक्टरों में भूमि आवंटन का कार्य चल रहा है। पांडे ने कहा कि नदी के तेज बहाव के कारण मिट्टी के कटाव की समस्या का सामना करने के बाद मेला अधिकारियों ने वैकल्पिक व्यवस्था की है और विभिन्न संगठनों के शिविरों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जा रहा है।
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हालांकि, उन्होंने कहा कि आने वाले महीने भर चलने वाले आयोजन में तीर्थयात्रियों, भक्तों और विजिटर्स को सभी प्रकार की सुविधाएं दी जाएंगी और सभी विभाग एक दूसरे के साथ समन्वय कर रहे हैं और 13 पुलिस स्टेशन और 36 पुलिस चौकी स्थापित करने का काम भी प्रगति पर है। माघ मेला 1 जनवरी से शुरू होकर 1 मार्च तक चलेगा।
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इस बार मेला प्रशासन ने टेंट में रहने वाले संतों, तीर्थयात्रियों और 'कल्पवासियों' को दी जा रही सुविधाओं की जांच के लिए मेला अधिकारियों और तीसरे पक्ष की एक संयुक्त टीम को शामिल करने का फैसला किया है। अधिकारियों ने दावा किया कि यह अभ्यास मेला अधिकारियों को पारदर्शिता बनाए रखने में मदद करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि भक्तों और तीर्थयात्रियों को सुविधाओं और सेवाओं के मामले में लाभ मिल सके।
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