आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने अपनी आत्मकथा ‘गोपालगंज टु रायसीना: माइ पॉलिटिकल जर्नी’ में दावा किया है कि नीतीश कुमार ने महागठबंधन में वापसी के लिए कई बार कोशिश की थी। लेकिन उनको यहां से निराशा हाथ लगी थी। उन्होंने अपनी किताब में कहा है कि नीतीश कुमार ने अपने विश्वासपात्र प्रशांत किशोर को उनके पास 5 बार दूत बनाकर भेजा था।
उन्होंने अपनी आत्मकथा किताब में कहा है कि नीतीश कुमार की प्रपोजल को इनकार कर दिया। वजह बताया कि नीतीश कुमार में वह अपना विश्वास खो चुके थे। हालांकि मेरी नाराजगी नीतीश कुमार से नहीं थी, मगर उनपर से भरोसा उठ चुका था।
किताब में लालू यादव आगे कहते हैं, “आरजेडी को मनाने के लिए प्रशांत किशोर ने मेरे बेटे तेजस्वी यादव से भी मुलाकात की थी। उन्होंने कहा था कि अगर नीतीश वापस आ गए तो महागठबंधन यूपी और बिहार में 60 सीटें जीतेगा। हिंदी बेल्ट में बीजेपी का सूपड़ा साफ हो जाएगा। लेकिन मैंने साफ-साफ प्रशांत किशोर के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। मैंने प्रशांत को बताया था कि नीतीश की दगाबाजी से जनता नाराज है। लोगों में मुख्यमंत्री की कोई विश्वसनीयता नहीं है।”
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वही आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा, “मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ यह बात कह रहा हूं। नीतीश कुमार ने वापस आने और हमारे साथ गठबंधन करने की कई बार कोशिशें की। इतना ही नहीं उन्होंने इसके लिए कई तरह से कोशिशें की, वह भी एनडीएम में लौटने के छह महीने के अंदर, लेकिन आरजेडी उनके प्रस्ताव पर साफ इनकार कर दिया था।
वहीं इन आरोपों पर जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने लालू यादव के दावे को न तो खारिज किया और न ही स्वीकार किया। उन्होंने कहा, “मैं न तो किसी चीज की पुष्टि करुंगा और न ही कुछ कहूंगा। आपको जो लिखना है वह आप लिख सकते हैं।”
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