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कोलकाता रेप-मर्डर केस: आरजी कर अस्पताल में हिंसा के बाद बड़ा फेरबदल, 10 डॉक्टर्स और 190 नर्सिंग स्टाफ का ट्रांसफर

14 अगस्त को कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के परिसर में आधी रात को घुसकर कुछ हिस्सों में तोड़फोड़ की गई थी।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर मामले के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बीच आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के 10 डॉक्टरों का तबादला कर दिया गया है। आरोप है कि इन डॉक्टरों ने अस्पताल में हंगामे को सपोर्ट किया था। इसके अलावा 190 नर्सिंग स्टाफ का भी ट्रांसफर। बीती 14 और 15 अगस्त की रात को अस्पताल में जो हंगामा और तोड़फोड़ हुई थी, उसके बाद से नर्सिंग स्टाफ भी स्ट्राइक पर चले गए थे और प्रिंसिपल के खिलाफ उन्होंने माहौल बनाया था।

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अस्पताल में कब की गई थी तोड़फोड़?

14 अगस्त को कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के परिसर में आधी रात को घुसकर कुछ हिस्सों में तोड़फोड़ की गई थी। पुलिस के मुताबिक, करबी 40 लोगों का समूह कथित तौर पर प्रदर्शनकारियों के रूप में अस्पताल परिसर में घुसा, संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और पुलिसकर्मियों पर पथराव किया, जिसके बाद पुलिसकर्मियों को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े।

पुलिस के मुताबिक, इस घटना में एक पुलिस वाहन और मौके पर मौजूद कुछ दोपहिया वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। हिंसा में कुछ पुलिस अधिकारी घायल भी हो गए। इसी मामले में अब डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को ट्रांसफर किया गया है।

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आरजी कर मेडिकल कॉलेज-अस्पताल में क्या हुआ था?

सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात 31 साल की पोस्टग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर के साथ कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया गया। इसके बाद उसकी हत्या कर दी गई। चेस्ट मेडिसिन विभाग के सेमिनार हॉल में द्वितीय वर्ष की छात्रा का अर्धनग्न शव मिला था। तभी से डॉक्टर गुस्से में हैं।

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हत्या, मौत से पहले की प्रकृति और सेक्सुअल पेनेट्रेशन की बात की कही गई है। कहा गया है कि पीड़िता की हत्या गला घोंटकर की गई थी। उससे पहले उसके साथ बलात्कार हुआ था। इस घटना ने धीरे-धीरे तूल पकड़ा। अब देशभर में इसके विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

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प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों की मांग क्या है?

  • आरजी कर मेडिकल कॉलेज पीड़िता को तत्काल न्याय मिले।

  • कार्यस्थलों पर स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ हिंसा की जांच के लिए एक केंद्रीय कानून बनाई जाए।

  • डॉक्टरों के लिए बना सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट लागू हो।

  • सुरक्षा की ऑडिट हो और तत्काल सुरक्षाकर्मी उपलब्ध हो।

  • अस्पताल में लगे कैमरा की पूरी रिपोर्ट सामने लाई जाए।

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