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कोलकाता रेप-मर्डर केस: स्वास्थ्य विभाग कार्यालय के बाहर 5वें दिन भी डॉक्टरों का प्रदर्शन जारी, बारिश में भी डटे

चिकित्सकों ने कहा कि वे गतिरोध को हल करने के लिए सक्षम प्राधिकारियों के साथ बातचीत करने के इच्छुक हैं।

फोटो: PTI
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कोलकाता के आरजी कर अस्पताल मामले के विरोध में साल्ट लेक में राज्य स्वास्थ्य विभाग मुख्यालय के बाहर कनिष्ठ चिकित्सकों का धरना प्रदर्शन मूसलाधार बारिश के बावजूद शनिवार को लगातार पांचवें दिन भी जारी रखा। अस्पताल में एक महिला प्रशिक्षु चिकित्सक से कथित बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में न्याय की मांग को लेकर जूनियर डॉक्टर प्रदर्शन कर रहे हैं।

चिकित्सकों ने कहा कि वे गतिरोध को हल करने के लिए सक्षम प्राधिकारियों के साथ बातचीत करने के इच्छुक हैं। प्रदर्शनकारी चिकित्सकों में शामिल अनिकेत महतो ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘अभया (पीड़िता का काल्पनिक नाम) को जब तक न्याय नहीं मिल जाता और हमारी अन्य मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक बारिश, गर्मी, भूकंप भी हमारे प्रदर्शन को रोक नहीं पाएंगे। हम यहां एक नेक उद्देश्य के लिए आए हैं और कोई भी ताकत हमें इसे पाने से नहीं रोक पाएगी।’’

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एक अन्य प्रदर्शनकारी चिकित्सक सौम्या चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘लेकिन अगर कोई सोचता है कि हम अड़ियल एवं जिद्दी हैं तो यह बिल्कुल गलत बात है, उनके दिमाग में जरूर कुछ चल रहा है। हम चिकित्सक हैं, नेता नहीं। यहां कोई राजनीति नहीं है। यह स्वास्थ्य व्यवस्था को साफ करने की सिर्फ एक मांग है।’’

कनिष्ठ चिकित्सकों ने 9 अगस्त की शाम से काम बंद कर रखा है और वे कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल, स्वास्थ्य सचिव एन एस निगम, स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक और चिकित्सा शिक्षा निदेशक को आरजी कर घटना के संदर्भ में अपने कर्तव्यों के निर्वहन में ‘‘विफल’’ रहने के लिए निलंबित किए जाने की मांग कर रहे हैं। वे राज्य में सभी महिला स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए जाने की भी मांग कर रहे हैं।

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उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा को भी पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप कर जांच में तेजी लाने की मांग की है।

परास्नातक महिला चिकित्सक का शव नौ अगस्त को आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के सेमिनार हॉल से बरामद किया गया था। इस घटना के अगले दिन कोलकाता पुलिस के एक नागरिक स्वयंसेवक को गिरफ्तार किया गया था। कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इस मामले की जांच अपने हाथ में ले ली थी।

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