विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के 76वें दिन सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में इस मुद्दे पर अपनी बात रखी। हालांकि, इस दौरान प्रधानमंत्री ने समाधान पर कोई स्पष्ट बात करने की बजाए विपक्ष और आंदोलन कर रहे लोगों पर जमकर निशाना साधा। इस दौरान पीएम ने कटाक्ष के तौर पर किसान आंदोलन कर रहे नेताओं के लिए 'आंदोलनजीवी' शब्द का इस्तेमाल किया, जिस पर संयुक्त किसान मोर्चा ने आपत्ति जताया है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, "हम प्रधानमंत्री द्वारा किसानों के किये गए अपमान की निंदा करते हैं और प्रधानमंत्री को याद दिलाना चाहेंगे कि वे आंदोलनजीवी ही थे, जिन्होंने भारत को औपनिवेशिक शासकों से मुक्त करवाया था और इसीलिए हमें आंदोलनजीवी होने पर गर्व भी है। यह बीजेपी और उसके पूर्वज ही हैं, जिन्होंने कभी भी अंग्रेजों के खिलाफ कोई आंदोलन नहीं किया। वे हमेशा जन आंदोलनों के खिलाफ थे, इसलिए वे अभी भी जन आंदोलनों से डरते हैं।"
Published: 08 Feb 2021, 10:32 PM IST
हालांकि, प्रधानमंत्री ने सोमवार को अपने भाषण में कृषि कानूनों पर फिर बातचीत कर इस मसले को हल करने की बात कही। इस पर संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा, "अगर सरकार अब भी किसानों की मांगों को स्वीकार करती है, तो किसान वापस जाकर पूरी मेहनत से खेती करने के लिए अधिक खुश होंगे। यह सरकार का अड़ियल रवैया है, जिसके कारण ये आंदोलन लंबा हो रहा है जो कि आंदोलनजीवी पैदा कर रहा है।"
प्रधानमंत्री के भाषण में एमएसपी था, है और रहेगा कहने पर किसान मोर्चा ने कहा कि "एमएसपी पर खाली बयानों से किसानों को किसी भी तरह से फायदा नहीं होगा और अतीत में भी इस तरह के अर्थहीन बयान दिए गए थे। किसानों को वास्तविकता में और समान रूप से टिकाऊ तरीके से तभी लाभ होगा जब सभी फसलों के लिए एमएसपी को खरीद समेत कानूनी गारंटी दी जाती है।"
Published: 08 Feb 2021, 10:32 PM IST
प्रधानमंत्री ने आज आंदोलनजीवियों से देश को सावधान रहने की जरूरत बताते हुए 'एफडीआई' का नया अर्थ बताते हुए कहा कि फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी नामक नए एफडीआई से सावधान रहना होगा। इस पर मोर्चा ने कहा कि, "हम सभी तरह के एफडीआई का विरोध करते हैं। पीएम का एफडीआई दृष्टिकोण भी खतरनाक है, यहां तक कि हम खुद को किसी भी (एफडीआई) 'विदेशी विनाशकारी विचारधारा' से दूर करते हैं।"
मोर्चा ने कहा, "हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा रचनात्मक लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के साथ खड़ा है जो दुनिया में कहीं भी बुनियादी मानवाधिकारों को बनाए रखते हैं और पूरी दुनिया में सभी न्याय संगत विचारधारा वाले नागरिकों से समान पारस्परिकता की अपेक्षा करते हैं, क्योंकि "कहीं भी हो रहा अन्याय हर जगह के न्याय के लिए खतरा है।"
Published: 08 Feb 2021, 10:32 PM IST
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में दो नए शब्दों के जरिए किसान आंदोलन को हवा देने वाले नेताओं और एक्टिविस्ट पर निशाना साधा था। प्रधानमंत्री ने कहा था कि, "हम कुछ शब्दों से बहुत परिचित हैं, जैसे श्रमजीवी और बुद्धिजीवी। पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है, नई बिरादरी सामने आई है। यह जमात है आंदोलनजीवी। वकीलों का आंदोलन हो, मजदूरों का आंदोलन हो, छात्रों या कोई भी आंदोलन हो, ये पूरी टोली वहां नजर आती है। आंदोलन के बगैर जी नहीं सकते। ऐसे लोगों को पहचानना होगा। ये बहुत आइडियोलॉजिकल स्टैंड दे देते हैं। देश आंदोलनजीवी लोगों से बचे। आंदोलनजीवी परजीवी होते हैं।"
संयुक्त किसान मोर्चा किसानों की मांगों को गंभीरता से और ईमानदारी से हल करने में सरकार की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाता है। मोर्चा ने कहा कि हम इस तथ्य पर सवाल उठाते हैं कि सरकार किसान संगठनों को ड्राफ्ट बिल वापस लेने का आश्वासन देने के बावजूद विद्युत संशोधन विधेयक संसद में पेश कर रही है।
Published: 08 Feb 2021, 10:32 PM IST
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Published: 08 Feb 2021, 10:32 PM IST