किसान आंदोलन जारी है, और तब तक जारी रहेगा जब तक किसानों की बाकी 6 मांगें नहीं मान ली जातीं। संयुक्त किसान मोर्चा ने आज सिंघु बॉर्डर पर हुई बैठक में सरकार की तरफ से आए प्रस्ताव पर चर्चा के बाद यह ऐलान किया। मोर्चा ने कहा कि बैठक में सरकार के प्रस्ताव के हर पहलू पर गंभीरता से विचार के बाद तय किया गया है कि सरकार से कुछ मुद्दों पर स्पष्टीकरण मिलना चाहिए। इस सिलसिले में किसान बुधवार को फिर बैठक करेंगे और आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी।
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न्यूज एजेंसी के मुताबिक किसानों की मुख्य मांग एमएसपी पर कानून और आंदोलनकारी किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने की है। एक किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने बताया कि केंद्र सरकार एमएसपी तय करने के लिए जो समिति बना रही है, उसमें संयुक्त किसान मोर्चा के पांच सदस्य शामिल होंगे। लेकिन साथ ही किसानों ने कहा कि इस पर सरकार की तरफ से स्पष्टीकरण चाहिए कि इसमें किसानों के अलावा और कौन लोग होंगे।
मोटे तौर पर किसानों की मुख्य पांच मांगे इस तरह हैं:
एमएसपी पर कानून बनाया जाये
किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिये जायें
आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिजनों को मुआवजा दिया जाये
पराली बिल को निरस्त किया जाये
लखीमपुरखीरी मामले में मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त किया जाये
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता युद्धवीर सिंह ने बताया कि, "विषय नोट कर लिए गए हैं उन्हें सरकार को भेजा जाएगा। उम्मीद है कि कल तक सरकार की तरफ से जवाब मिल जाएगा। उसपर कल 2 बजे फिर से बैठक होगी। सरकार की तरफ से जो भी उत्तर आएगा उसपर चर्चा की जाएगी।"
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इस बीच भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि "सरकार कहती है कि पहले धरना खत्म करो, उसके बाद मुकदमे वापस लिए जाएंगे। लेकिन ऐसा तो सरकार एक साल से कह रही है। जब तक सारी मांगे नहीं मान ली जाएंगी, किसान घर नहीं जाएंगे।" उन्होंने आगे कहा कि हमें मांगों को लेकर कुछ संदेह हैं जिन्हें सरकार दूर करे उसके बाद कल की बैठक में उस पर विचार किया जाएगा।
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वहीं किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने हा है कि हम आंदोलन के दौरान शहीद हुए 700 किसानों के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि "आंदोलन में 700 से अधिक किसानों ने जान गंवाई है, जिनके लिए पंजाब सरकार ने 5 लाख रुपये मुआवजा और परिवार में एक को सरकारी नौकरी की बात की है। यही मॉडल केंद्र सरकार को भी लागू करना चाहिए।"
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किसानों ने कहा कि, "जो केस वापस लेने की बात है, उसपर सरकार की तरफ से कहा गया है कि आंदोलन वापस लेने के बाद केस वापस लेने की शुरुआत होगी। हरियाणा में 48,000 लोगों पर मामले दर्ज हैं और भी देशभर में मामले दर्ज हैं। सरकार को तुरंत मामले वापस लेने की शुरुआत करनी चाहिए।"
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