लगातार हो रही बारिश के बावूजद किसानों के हौसले बुलंद है। यही वजह है कि मुजफ्फरनगर में रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा की महापंचायत होने जा रही है। किसान कह रहे हैं कि वो पसीने की बूंद से नहाकर जमीन को सींचते है इसलिए बारिश उनके इरादों को कमज़ोर करने वाली नही है। आपको बता दें, मुजफ्फरनगर में यह महापंचायत राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान पर हो रही है। इस महापंचायत की तैयारी एक महीने से चल रही है। हजारों किसान मुजफ्फरनगर पहुंच चुके हैं। एक सप्ताह से एक लाख से ज्यादा लोगों के लिए खाना बनाने की तैयारी हो रही है। पंचायत में हरियाणा ,पंजाब से किसानों का एक दिन पहले ही पहुंचना शुरू हो गया है।
बता दें, मुजफ्फरनगर भारतीय किसान यूनियन का मुख्य कार्यलय है। दिवंगत किसान नेता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत इसी जनपद के सिसौली गांव के रहने वाले हैं। जिस जगह यह महापंचायत आयोजित की जा रही है उसके निकट ही भारतीय किसान यूनियन का सबसे पहला दफ्तर भी है। जिसकी स्थापना खुद दिवंगत चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने की थी। इस महापंचायत के उद्देश्य को लेकर संकेत मिल रहे हैं कि संयुक्त किसान मोर्चा उत्तर प्रदेश में आगामी चुनाव के मद्देनजर भाजपा सरकार पर दबाव बनाने की नीयत से सरकार बदलने की मुहिम 'यूपी मिशन ' शुरू करने जा रहा है।
नवजीवन के साथ खास बातचीत में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने बताया कि मुजफ्फरनगर की धरती 5 सितंबर को इतिहास रचने की तैयारी में हैं। यहां पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के अलावा कर्नाटक, तमिलनाडू और केरल से भी जत्थे आ रहे हैं। हम उनकी मेहमान नवाजी की तैयारियों में जुटे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में बुलाई गई किसान महापंचायत अपने आप में एतिहासिक होगी। उम्मीद जाहिर की जा रही है कि इस पंचायत में लाखों किसान जुटेंगे और इससे भी बड़ी बात यह होगी कि इस महापंचायत में देश के हर राज्य का प्रतिनिधित्व होगा। यूपी, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के अलावा कर्नाटक और सुदूर दक्षिण से तमिलनाडू और केरल जैसे राज्यों से भी किसानों की जत्थे आने शुरू हो गए हैं।
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भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया कि उन्होंने “बिल वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं” का प्रण ले रखा है। इसलिए वह आंदोलन शुरू होने के बाद आज तक मुजफ्फरनगर जनपद की सीमा में नहीं गए। संयुक्त किसान मोर्चा के आदेश पर वह रविवार को मुजफ्फरनगर में बुलाई गई महापंचायत में जरूर पहुंचेंगे, लेकिन अपने घर नहीं जाएंगे। इस महापंचायत एक खास बात यह भी होगी कि अपने बड़े भाई और भाकियू अध्यक्ष चौ. नरेश टिकैत के साथ भी किसान आंदोलन के दौरान राकेश टिकैत पहली बार मंच साझा करेंगे।
राकेश टिकैत ने बताया कि बाहर से काफी संख्या में किसान-मजदूर इस पंचायत में पहुंचेंगे। इतनी भीड़ के बीच व्यवस्था बनाए रखना एक बड़ी चुनौति है। इस चुनौति को देखते हुए पांच हजार वालंटियर तैयार किए गए हैं। इन्हें बाकायदा पूरी पड़ताल के बाद आईकार्ड जारी किए जा रहे हैं। पुलिस के साथ मिलकर वालंटियर व्यवस्था को संभालने में मदद करेंगे। मुजफ्फरनगर में लंगर सेवा शुरू कर दी गई है। यहां 36 प्रकार के पकवान बन रहे हैं। किसान परिवारों से और किसानी के प्रति लगाव रखने वाले चिकित्सकों और चिकित्सालयों की मदद से करीब सौ मेडिकल कैंप लगाए जाएंगे। एंबुलेंस सेवा की भी व्यवस्था रहेगी। शहर को जाम से बचाने के लिए पार्किंग बनाई गई हैं। किसान पंचायत में आने वाले किसानों से अपने वाहन पार्किंग में लगाकर आयोजन स्थल पर पैदल ही जाने की अपील की गई है। रविवार को शहर में वाहन का इस्तेमाल कम करने की अपील की गई है ताकि व्यवस्था बनाने में सहुलियत हो और जाम की समस्या से बचा जा सके।
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने यह भी कहा है कि पांच सितंबर की किसान महापंचायत से सरकार डरी हुई है और इसे डिस्टर्ब करने का प्रयास कर रही है। सरकार के सिपाहसलार ऐसी अफवाह फैला रहे हैं कि मुजफ्फरनगर में पांच सितंबर को होने वाली पंचायत नौ सितंबर को होगी। इस अफवाह पर ध्यान न दें।
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