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दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर जमे किसान बुधवार सुबह फिर से करेंगे दिल्ली कूच, रैपिड एक्शन फोर्स बुलाई गई

क्या हम लोग आतंकवादी हैं, जो हमें दिल्ली में दाखिल होने से रोका जा रहा है? हमारी क्रांति यात्रा में क्या अभी तक कोई हिंसा हुई है, जिसे लेकर केंद्र सरकार आशंकित है? किसान क्रांति यात्रा के संयोजक नेता राकेश टिकैत ने यह सवाल उठाए हैं।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया दिल्ली-यूपी सीमा पर किसानों के जमावड़े के बीच दिल्ली पुलिस ने रैपिड एक्शन फोर्स को बुलाया है

दिल्ली-यूपी सीमा पर किसानों का जमावड़ा, बुधवार सुबह दिल्ली कूच का ऐलान

क्या हम आतंकवादी हैं जो केंद्र सरकार हमें दिल्ली आने से रोक रही है: राकेश टिकैट

मोदी जी ने जो रवैया अपनाया है, उसका बदला तो मोदी जी मुजफ्फरनगर तब उन्हें सबक सिखाएंगे: आंदोलन में शामिल किसान

पुलिस ने किसानों के गैस सिलेंडर तक छीने, खाना बनाने के लाले

सभी विपक्षी दलों ने किसानों के प्रति मोदी सरकार के रवैये की आलोचना की

कांग्रेस ने कार्यसमिति में प्रस्ताव पास कर किसानों पर बल प्रयोग की निंदा की

लाठीचार्ज, आंसू गैस और पानी की बौछार...गांधी जयंती के मौके पर देश की राजधानी दिल्ली में किसानों के साथ केंद्र की मोदी सरकार के आदेश पर दिल्ली पुलिस ने जो रवैया अपनाया उससे केंद्र की मोदी सरकार सवालों के घेरे में आ गई है कि क्या वह वास्तव में किसानों की हितैषी है या दुश्मन। विपक्षी पार्टियां तो पहले से ही मोदी सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगती रही हैं, लेकिन मंगलवार को किसानों के साथ केंद्र सरकार ने जो कुछ किया, उससे किसानों के प्रति केंद्र सरकार का असली रूप सामने आ गया है।

इस बीच दिल्ली सीमा पर किसानों के जमावड़े को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने रैपिड एक्शन फोर्स को बुला लिया है। देर रात क्या कार्रवाई होती है, अभी कोई अंदाज़ा नहीं लगाया जा सका है, लेकिन आरएएफ की मौजूदगी ने किसानों को आशंकित कर दिया है।

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इसके अलावा किसानों के आंदोलन को देखते हुए गाजियाबाद प्रशासन ने बुधवार को सभी स्कूल-कालेज बंद रखने का ऐलान किया है।

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कांग्रेस समते सभी प्रमुख विपक्षी दलों, बीएसपी, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी ने दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर किसानों पर लाठीचार्ज और बल प्रयोग की तीखी निंदा की है। महाराष्ट्र के वर्धा में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में पार्टी ने प्रस्ताव पारित कर केंद्र के रवैये की आलोचना की। पार्टी ने कहा कि, “आज महात्मा गाँधी की 150वीं जन्मजयंती पर देश के हज़ारों किसान सैंकड़ों किलोमीटर की यात्रा कर अपनी माँगो को लेकर ,मोदी सरकार के द्वार आये थे। उनकी पीड़ा की चीत्कार सुनने की बजाय,अहंकारी व क्रूर मोदी-योगी सरकारों ने उनपर बर्बरता पूर्वक लाठियाँ भांजी।“

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वहीं बीएसपी प्रमुख मायावती ने कहा, “यह बीजेपी सरकार की निरंकुशता की पराकाष्ठा है. इसका खामियाजा भुगतने के लिए बीजेपी सरकार तैयार रहे।”

राजनीति अपनी जगह लेकिन दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस की ज्यादती ने किसानों को बेहद खफा कर दिया है। किसानों से सहानुभूति के बजाए उन पर सख्ती दिखाने से किसान काफी गुस्से में हैं। पुलिस की ज्यादती और बल प्रयोग के दौरान कई बुजुर्ग किसानों को चोटें आईं हैं, इनमें कुछ बुजुर्ग महिलाएं भी हैं।

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ऐसे ही एक किसान हैं मुजफ्फरनगर जिले के गांव तुगलकपुर के रामदीन सिंह। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि, “पहले भी हम लोग किसानों की समस्या को लेकर दिल्ली आते रहे हैं। मेरी उम्र 67 साल है। आज जिस बेदर्दी से सरकार हमारे साथ पेश आई है, इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ। मोदी जी का हम लोग मुजफ्फरनगर में अबकी बार जमकर स्वागत करेंगे।“

वहीं संभल के मननपाल, छत्रपाल और जांझनलाल कहते हैं कि, “पिछले 10 दिनों से इस आंदोलन में हम लोग साथ हैं. पिछले सीजन का गन्ने का पैसा अभी तक नहीं आया है। अब गन्ने का सीजन फिर से आ गया है। हमलोग छोटे किसान हैं. बताइए कैसे घर चलाएं? बच्चों को पढ़ाएं? और बेटियों की शादी कैसे करें?”

किसान क्रांति यात्रा में उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड के किसान भी शामिल हैं। मध्यप्रदेश और राजस्थान के किसानों का कहना है कि इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को इस ज्यादती का खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

पिछले महीने 23 सितंबर को उत्तराखंड के हरिद्वार से भारतीय किसान यूनियन के आव्हान पर ‘किसान क्रांति यात्रा’ शुरू हुई है। यह यात्रा सोमवार को गाजियाबाद पहुंची थी और इसे 2 अक्टूबर को दिल्ली में किसान घाट पर पहुंचकर सम्पन्न होना था। लेकिन केंद्र सरकार के आदेश पर दिल्ली पुलिस ने दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर इन किसानों को रोक रखा है।

किसानों को रोकने के ऑपरेशन में शामिल एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि, “ ‘हम लोगों को साफ हिदायत दी गई है कि किसी भी कीमत पर दिल्ली में किसानों को नहीं घुसने देना है।“

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पुलिस के जबरदस्त बल प्रयोग, लाठीचार्ज, आंसू गैस और पानी की बौछार के बाद भी किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कूच पर अडिग हैं। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के साथ किसानों की कई दौर की बातचीत हुई है, लेकिन, कोई नतीजा नहीं निकल सका है। हालांकि मंगलवार दोपहर में खबर आई थी कि सरकार ने सात मांगें मान ली हैं, जबकि, दो मांगों के लिए कुछ और वक्त देने को कहा है।

किसानों की प्रमुख मांगों में स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों के आधार पर फसल के मूल्य सी-2 लागत में कम से कम 50 प्रतिशत जोड़ कर दिए जाने, सभी फसलों की सौ फीसदी खरीद की गारंटी, पिछले 10 सालों में आत्महत्या करने वाले लगभग 3 लाख किसानों के परिवार को मुआवजे के साथ परिवार के एक सदस्य को नौकरी, किसानों के सभी प्रकार के कर्ज पूरी तरह माफ किए जाने, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बदलाव करने आदि की मांगें हैं। किसानों का कहना है कि फसल बीमा योजना से किसानों के बजाए बीमा कंपनियों को लाभ मिल रहा है। इसके अलावा किसान सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली और दिल्ली एनसीआर में दस साल से ज्यादा पुराने ट्रैक्टरों के इस्तेमाल पर लगी रोक हटाने की मांग भी कर रहे हैं।

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किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना में बिना ब्याज लोन दिए जाने, महिला किसानों के लिए क्रेडिट कार्ड योजना अलग से बनाने, चीनी का न्यूनतम मूल्य 40 रुपए प्रति किलो करने और 7 से 10 दिन के अंदर गन्ना किसानों का भूगतान सुनश्चित करने की मांग उठाई है।

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने ऐलान कर दिया है कि जब तक सरकार सभी मांगें मान नहीं लेती, किसान वापस नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि, “हम शांतिपूर्वक मार्च कर रहे थे। पिछले 23 तारीख से ही हमलोग रोड पर हैं, क्या मीडिया में कहीं खबर आई कि हमारे साथियों ने कहीं पर कोई हंगामा किया है। क्या मैं आतंकवादी हूं कि हमें दिल्ली में घुसने तक नहीं दिया जा रहा है? मुझसे से कई पार्टियों के नेताओं ने संपर्क किया और आंदोलन को समर्थन दिया. बीजेपी के नेताओं ने भी मेरे आंदोलन का समर्थन किया है फिर केंद्र सरकार इस तरह का रवैया क्यों अपना रही है?” उन्होंने बताया कि पुलिस ने हमारे सिलेंडर, ट्रैक्टरों के टायर और सामान जब्त कर लिए हैं। बताइए कि रात को कैसे खाना बनाएं?

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