हरियाणा सरकार के घपलों-घोटालों पर चर्चा से बचने के प्रयासों के तहत बजट सत्र में समय से कैग रिपोर्ट न रखने के गंभीर सवालों के बीच रखी गई रिपोर्ट पर विधान सभा में काफी हंगामा हुआ। राज्य के खजाने को कई हजार करोड़ का चूना लगने की तस्दीक करती इस रिपोर्ट ने हरियाणा की पिछली मनोहर लाल सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। बिक्री कर से लेकर मनोरंजन शुल्क तक में हुई गंभीर वित्तीय अनियमितताओं पर कैग ने मोहर लगाई है।
हरियाणा विधानसभा में वर्ष 2018-19 के लिए पेश अपनी रिपोर्ट में कैग ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं। कैग ने लिखा है कि बिक्री कर, वैट, राज्य उत्पाद शुल्क, स्टांप शुल्क, पंजीकरण फीस, मोटर वाहन कर तथा अन्य कर मदों के 275 यूनिटों के रिकॉर्ड की वर्ष 2018-19 के दौरान की गई नमूना जांच ने 9,836 मामलों में कुल 2,279.04 करोड़ के राजस्व के नुकसान को सामने रखा है। कैग ने सिलसिलेवार ब्यौरा देते हुए लिखा है कि इस दौरान विभागों ने 5,211 मामलों को कम मूल्य का माना और इसके लिए में 948.12 करोड़ वसूलने की व्यवस्था की, लेकिन सिर्फ 304 मामलों में 13.29 करोड़ ही वसूले जा सके।
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वैट और बिक्री कर के प्रबंधन में 331.13 करोड़ से अधिक की अंडरअसेसमेटं और अन्य कमियां पाई गई हैं। कैग ने लिखा है कि 17 डीलरों ने 1,151 करोड़ की बिक्री को छिपा दिया था। कैग का कहना है कि टैक्स तय करने वाले अधिकारियों ने इन डीलरों के बिक्री-खरीद का सत्यापन ही नहीं किया, जिसके चलते राज्य को 60.06 करोड़ के टैक्स का नुकसान उठाना पड़ा। इतना ही नहीं 180.17 करोड़ रुपए के जुर्माने की भी वसूली नहीं हो सकी। कैग ने कहा है कि टैक्स तय करने वाले अधिकारियों की गलती से सरकार को 26.23 करोड़ के टैक्स का नुकसान भी हुआ जो अधिकारियों द्वारा गलत गणना के कारण हुआ। इसके अलावा 9 डीलरों को टैक्स की गलत दर दे दी गई जिससे सरकार को 4.82 करोड़ का नुकसान हुआ।
कैग ने इसी किस्म के तमाम उदाहरणों को सामने रखते हुए सरकार की लापरवाही और कार्यशैली के चलते हुए नुकसान का ब्योरा पेश किया है। कैग द्वारा सरकार पर इन गंभीर सवालों के बाद विपक्ष ने विधानसभा में खट्टर सरकार पर हमला बोल दिया। सबसे पहले तोशाम से विधायक किरण चौधरी ने सरकार से सवाल किया कि यह रिपोर्ट 5 मार्च को ही आ गई थी और सरकार ने जानबूझकर इसे विधान सभा के पटल पर रखने में देरी क्यों की? किरण चौधरी ने स्पीकर से इस पर प्रोटेक्शन की भी मांग की।
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विधान सभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने रिपोर्ट को रखने में देरी की बात स्वीकार करते हुए कहा कि अगले बजट सत्र में इसका ध्यान रखा जाएगा। गोहाना से विधायक जगबीर मलिक, पूर्व स्पीकर डा. रघुबीर कादियान आदि विपक्ष के कई विधायकों ने कैग रिपोर्ट को विधानसभा में देर से पेश करने पर सवाल उठाए। इन विधायकों का कहना था कि रिपोर्ट में उजागर हुए घपलों पर चर्चा से बचने के लिए सरकार ने ऐसा किया।
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