कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सीएजी की उस रिपोर्ट को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है जिसमें नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे निर्माण में जरूरत से ज्यादा खर्च किया जा रहा है। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दिल्ली में द्वारका एक्सप्रेसवे की लागत को 14 गुना बढ़ा दिया गया। कैबिनेट कमेटी ने इसकी लागत 18 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर तय की थी, लेकिन इस पर खर्च 250 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर हुआ है।
संसद में पेश सीएजी की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि बीजेपी के भ्रष्टाचार और लूट के चलते ‘देश को हाईवे के बजाए हेल में ले जाया जा रहा है।’ उन्होंने ट्विटर पर कहा प्रधानमंत्री मोदी अपने राजनीतिक विरोधियों पर तो भ्रष्टाचार को लेकर हमले करते हैं, लेकिन उन्हें अपनी ही सरकार के गिरेबान में झांककर देखना चाहिए।
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खड़गे ने कहा कि द्वारका एक्सप्रेसवे इस लूट और धोखाधड़ी की एक मिसाल है। उन्होंने कहा कि, “द्वारका एक्सप्रेसवे की योजना और मंजूरी बिना प्रोजेक्ट रिपोर्ट के ही दी गई थी। इस एक्सप्रेसवे पर टोल की जो दरें तय की गई हैं वे पूंजीगत लागत की वसूली में बाधा बनेंगी और इससे कम्यूटर्स पर गैरजरूरी वित्तीय बोझ पड़ेगा।” उन्होंने कहा कि इस एक्सप्रेसवे की योजना सपास के इलाकों और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को ध्यान में रखे बिना ही बना ली गई।
उन्होंने दोहराया कि, “प्रधानमंत्री जी अपने विरोधियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने से पहले अपनी सरकार में ही झांक कर देख लें। 2024 में INDIA आपकी सरकार को इसके लिए जवाबदेह ठहराएगी।”
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बता दें कि भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने कहा है कि केंद्र सरकार की भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत निर्मित द्वारका एक्सप्रेसवे की लागत तय रकम से 14 गुना ज्यादा रही है। सीएजी ने संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केंद्र की आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने जितनी रकम की मंजूरी दी थी, उससे कहीं ज्यादा पैसा इस एक्सप्रेसवे पर खर्च कर दिया गया।
सीएजी ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) को बोर्ड ने द्वारका एक्सप्रेसवे के लिए 250.77 करोड़ रुपए प्रति किलोमोटीर के हिसाब से कुल 7,287.29 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं, जबकि केंद्रीय कैबिनेट समिति ने इसके लिए महज 18.20 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर की मंजूरी दी थी।
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सीएजी रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेसवे के लिए करीब 32,839 करोड़ रुपए एनएचएआई के स्तर से ही मंजूर कर दिए गए जबकि कैबिनेट कमेटी ने भारतमाला प्रोजेक्ट की मंजूरी में इसे शामिल नहीं किया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि, “सीसीईए ने भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत कुल 76,999 किलोमीटिर नेशनल हाईवे बनाने को मंजूरी दी थी, जिसमें से फिलहाल एनएचएआई कुल 70,950 किलोमीटर मार्ग को विकसित कर रहा है और अपने ही स्तर से निर्माण के तौर-तरीके तय कर रहा है।” सीएजी के ऑडिट में कहा गया है कि एनएचएआई बिना किसी वैध तर्क के अपने स्तर से निर्माण करने के तरीकों को तय कर रहा है।
सीएजी ने यह भी कहा है कि एनएचएआई ने बिना किसी तकनीकी और वित्तीय अनुमोदन के ही निविदा आमंत्रण नोटिस जारी किए। रिपोर्ट के अनुसार, “जिन एक्सप्रेसवे के लिए ऐसा किया गया उनमें शामली-मुजफ्फरनगर और दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेसवे शामिल हैं।”
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