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देश के ज्वलंत मुद्दों से लोगों का ध्यान भटका रही है मोदी सरकार, इसकी मंशा से सतर्क रहना जरूरी: खड़गे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हैदराबाद में शुरु हुई कांग्रेस कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक के उद्घाटन भाषण में देश की स्थिति का खाका सामने रखा। उन्होंने कहा कि असली मुद्दों से केंद्र सरकार ध्यान भटका रही है, इसकी मंशा से सतर्क रहना जरूरी है।

फोटो : @INCIndia
फोटो : @INCIndia 

तेलंगाना के हैराबाद में कांग्रेस कार्य समिति की दो दिवसीय बैठक आज से शुरु हुई है। इस बैठक में शुरुआती भाषण के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने देश के सामने मौजूद चुनौतियों को सिलसिलेवार तरीके से सामने रखा। उन्होंने जहां देश की आर्थिक स्थिति पर टिप्पणी की, वहीं वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा संघीय ढांचे को तहस-नहस करने और संवैधानिक और लोकतांत्रिक व्यवस्था को धराशायी करने की कोशिशों को भी उठाया। उनके भाषण के प्रमुख अंश।

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मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने भाषण की शुरुआत में कहा कि आज देश कई गंभीर आंतरिक चुनौतियों से जूझ रहा है। उन्होंने अपने भाषण में मुख्य रूप से इन बातों को उठाया:

  • मणिपुर की दिल दहला देनेवाली घटनाओं को पूरी दुनिया ने देखा। 3 मई 2023 से शुरु हुई हिंसा वहां आज भी जारी है। मणिपुर की आग को मोदी सरकार ने हरियाणा में नूँह (NUH) तक पहुंचने दिया। यहां हिंसा की वारदातें हुईं, जिस कारण राजस्थान, UP और दिल्ली में सांप्रदायिक तनाव फैला।

  • ये घटनाएं आधुनिक, प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष भारत की छवि पर धब्बा लगाती हैं। ऐसे हालात में सत्ताधारी दल, सांप्रदायिक संगठन और मीडिया का एक वर्ग, आग में घी डालने का काम करता है। देश का “सर्वधर्म समभाव” बिगाड़ता है। हमें मिलकर ऐसी ताक़तों को IDENTIFY करके बेनक़ाब करते रहना है।

  • हमारी अर्थव्यवस्था आज गंभीर खतरे में है। महंगाई से गरीबों और आम लोगों के जीवन पर संकट है। पिछले 5 सालों में एक साधारण थाली की क़ीमत 65% बढ़ गयी है। 74% लोग पौष्टिक आहार से वंचित हैं। दाल की कीमत एक साल में 37% (सैंतीस) तक बढ गयी है।

  • हमारे देश में 65% आबादी नौजवानों की है। रिकॉर्ड unemployment rate, उनके सपनों को लगातार रौंद रही है। युवाओं का भविष्य अंधकार में है।

  • विचार करने की जरूरत है कि आज देश के top 1% सबसे अमीर लोगों के कब्जे में देश की 40% दौलत है, वहीं निचले 50% जनता के पास सिर्फ़ 3% दौलत है। सरकारी नीतियों के कारण अमीर और अमीर हो रहे हैं जबकि गरीब और गरीब हो रहा है। उनके बीच की खाई लगातार और गहरी हो रही है। इससे सामाजिक असंतोष और तनाव पैदा हो रहा है। ऐसी दशा सामाजिक-आर्थिक तरक्की की रफ्तार पर ब्रेक लगाती है।

  • केंद्र सरकार Data की हेराफ़ेरी कर रही है। 2021 का Census न कराने से 14 करोड़ लोग Food Security Act से और करीब 18% लोग मनरेगा से बाहर हो गये। मनरेगा की मजदूरी महीनों PENDING रहती है।

  • हमारी मांग है कि 2021 Census की प्रक्रिया तुरंत शुरू की जाये। उसके साथ ही जातिगत जनगणना भी करायी जाए, ताकि समाज के ज़रूरतमंद तबके को Health, Education, Employment, Food Security समेत दूसरे हक मिल सकें।

  • आजादी के बाद बनी देश की बहुमूल्य PSUs को मोदी सरकार चंद पूँजीपति मित्रों के हवाले कर रही है। उनके फ़ायदे के लिए नीतियां बदली जा रही हैं, उनके हक के कानून बन रहे हैं।

  • पिछले दिनों PM के करीबी कारोबारी की कंपनियों में 20,000 हज़ार करोड़ रुपए का शेल कंपनियों द्वारा निवेश हुआ। इसका पर्दाफ़ाश होने पर भी मोदी सरकार जांच नहीं करा रही है। सारे बड़े घोटालों पर सरकार मौन है, परदा डाल रही है।

  • राहुल गांधी की extended ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के तहत लद्दाख के स्थानीय नेताओं ने उनको बताया कि चीन भारतीय हिस्से पर कैसे कब्जा कर रहा है। लेकिन मोदी सरकार चीन को लगातार क्लीन-चिट देती जा रही है। राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति ऐसी लापरवाही बेहद निंदनीय है।

  • पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भयावह प्राकृतिक त्रासदी आई। हमारी मांग है कि इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित कर केंद्र सरकार जरूरी मदद करे और पुनर्निर्माण में सहयोग दे।

  • कई राज्य सूखे से जूझ रहें हैं। भारत सरकार अपने-पराये की राजनीति से हट कर किसानों-मजदूरों की मदद करे।

  • जब भी विपक्षी दल इन बुनियादी मसलों को उठाते हैं तो सरकार जवाब देने की जगह नये नये हथकंडे अपनाते हुए नए नारे देती है। “आत्मनिर्भर भारत”, ‘5 trillion economy’, ‘New India 2022’ और “अमृतकाल” नारा दिया गया।

  • आजकल “3rd largest economy” का सपना सरकार बेच रही है। नारों से देश की तरक़्क़ी नहीं होगी।

  • हमें जनता को समझाना होगा कि ये विफलताओं को छुपाने वाले नारे है। सरकार सोचती है कि event और advertisements पर करोड़ों रुपये ख़र्च कर हिमालय जैसी नाकामियों को वो छिपा लेगी।

  • आप सबको पता है कि 18 सितंबर से मोदी सरकार ने 5 दिनों का संसद का विशेष सत्र बुलाया है। लंबे सस्पेंस के बाद चंद बातें एजेंडे के तौर पर आयी हैं, जिसमें प्रमुख है चुनाव आयोग पर सरकार का पूर्ण नियंत्रण। पर हमें सत्तादल की मंशा पर सतर्क रहना होगा। ये सरकार विपक्ष विहीन संसद चाहती है। वो नहीं चाहती है कि उससे कोई सांसद, मीडिया या आम लोग सवाल पूछें।

  • PM और BJP नेताओं के हमलों से हमारे INDIA गठबंधन की 3 बैठकों की सफलता का अंदाजा लगाया जा सकता है। हमारा कारवां जैसे जैसे आगे बढ़ेगा, इनके हमले तेज होंगे।

  • INDIA गठबंधन की मुंबई बैठक के बाद ED, IT, CBI को सरकार ने विपक्षी नेताओं से राजनीतिक बदला लेने के लिए लगा दिया है। ये स्वस्थ लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है। लेकिन अफ़सोस कि यही हकीकत है।

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