कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को आरोप लगाया कि राष्ट्रपति के ‘‘मोदी सरकार लिखित’’ अभिभाषण को सुनकर ऐसा लगा कि प्रधानमंत्री मोदी 2024 के लोकसभा चुनाव के जनादेश को नकारने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह दावा भी किया कि प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति से ‘झूठ बुलवाकर’ अपनी वाहवाही करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि देश की जनता उन्हें नकार चुकी है। खड़गे ने कहा कि अभिभाषण में महंगाई, बेरोजगारी, मणिपुर में हिंसा और जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों जैसे प्रमुख मुद्दों का उल्लेख नहीं था।
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अठारहवीं लोकसभा में पहली बार संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को गुरुवार को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि दुनिया देख रही है कि भारत के लोगों ने लगातार तीसरी बार स्थिर और स्पष्ट बहुमत की सरकार बनाई है और छह दशक बाद ऐसा हुआ है। अभिभाषण पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया, ‘‘कुल मिलाकर, मोदी जी, महामहिम राष्ट्रपति जी से झूठ बुलवाकर, वाहवाही लूटने का ओछा प्रयास कर रहे हैं, जबकि उन्हें 2024 के चुनाव में भारत की जनता नकार चुकी है।’’
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खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में लिखा, ‘‘राष्ट्रपति के, मोदी सरकार द्वारा लिखित अभिभाषण को सुनकर ऐसा लगा जैसे मोदी जी जनादेश को नकारने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। जनादेश उनके ख़िलाफ़ था, क्योंकि देश की जनता ने “400 पार” के उनके नारे को ठुकरा दिया और बीजेपी को 272 के आंकड़े से भी दूर रखा। मोदी जी इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। वह ऐसा बर्ताव कर रहे हैं जैसे कुछ बदला ही नहीं, जबकि सच्चाई यह है कि देश की जनता ने बदलाव मांगा था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं राज्यसभा में अपने भाषण में विस्तृत प्रतिक्रिया दूंगा, पर प्रथमदृष्टया मैं कुछ बातें कहना चाहता हूं। नीट घोटाले में लीपापोती नहीं चलेगी।’’ कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया, ‘‘पिछले पांच वर्षों में एनटीए द्वारा कराई गईं 66 भर्ती परीक्षाओं में कम से कम 12 में पेपर लीक और धांधली हुई है, जिससे 75 लाख से अधिक युवा प्रभावित हुए हैं। मोदी सरकार केवल यह कहकर कि "दलगत राजनीति से ऊपर उठना चाहिए", अपनी जवाबदेही से भाग नहीं सकती।’’ उन्होंने कहा कि युवा न्याय मांग रहा है और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को इसकी ज़िम्मेदारी लेनी होगी।
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खड़गे ने कहा, ‘‘देश का हर दूसरा युवा बेरोज़गार है और भाषण में बेरोज़गारी दूर करने की कोई ठोस नीति सामने नहीं आई है। सिर्फ़ बातें करने से समस्या का हल नहीं निकलता, इसके लिए निर्णायक कदम उठाने होते हैं।’’ उन्होंने कहा कि देश के समक्ष खड़े पांच प्रमुख मुद्दों- कमरतोड़ महंगाई, मणिपुर की हिंसा, रेल दुर्घटना और यात्री ट्रेनों की दुर्दशा, जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले और दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों पर बीजेपी शासित राज्यों में बढ़ते अत्याचार को लेकर अभिभाषण में कुछ नहीं कहा गया।
खड़गे ने आरोप लगाया कि चुनाव के दौरान नरेन्द्र मोदी जी के भाषणों ने इस तथ्य पर कई बार मुहर लगाई कि बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सोच केवल समाज को बांटने की है।उन्होंने दावा किया, ‘‘ ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, असम और उत्तर प्रदेश जैसे बीजेपी शासित राज्यों में मोदी सरकार के आते ही मॉब लिंचिंग, भीड़तंत्र, सांप्रदायिक हिंसा और ग़रीबों के घरों पर ग़ैरकानूनी तरीके से बुलडोज़र चलाए जाने की घटनाएं बढ़ी हैं। पर सत्ताधारी दल पूरी तरह मौन धारण किए हुए है।’’
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