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खड़गे का पीएम मोदी से सीधा सवाल- अकेले काफी तो INDIA से क्यों डरते हैं?

खड़गे ने कहा कि मोदी अक्सर यह दावा करते रहे हैं कि विपक्ष उन्हें स्वीकार नहीं कर रहा है और बर्दाश्त नहीं कर रहा है, क्योंकि वह एक 'गरीब आदमी के बेटे' हैं। काश हर भारतीय उनकी तरह गरीब होता जो 10 लाख रुपये का कोट पहन सकता।

खड़गे का पीएम मोदी से सीधा सवाल- अकेले काफी तो INDIA से क्यों डरते हैं?
खड़गे का पीएम मोदी से सीधा सवाल- अकेले काफी तो INDIA से क्यों डरते हैं? फोटोः @INCIndia

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह अहंकारी हैं, मगर डरे हुए हैं। खड़गे ने मोदी के गरीब आदमी का बेटा होने के दावे को लेकर भी उन पर तंज कसा और कहा कि अगर हर कोई आपकी तरह गरीब होता और 10 लाख रुपये का सूट पहनता तो भारत एक महान और समृद्ध देश होता।

खड़गे ने आज दिल्ली में आयोजित महिला कांग्रेस के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन 'प्रतिज्ञा उज्ज्‍वल भारत की' को संबोधित करते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं से यह संकल्प लेने का आह्वान किया कि चाहे कुछ भी करना पड़े, देश को बीजेपी सरकार से छुटकारा दिलाना है, क्‍योंकि इस पार्टी ने समाज के सभी वर्गों को निराश किया है, चाहे वे अल्पसंख्यक हों, महिलाएं हों, युवा हों, गरीब हों या छात्र हों।

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यह कहते हुए कि मोदी अहंकारी होने के साथ डरे भी हुए हैं उन्होंने कहा कि एक तरफ पीएम "एक अकेला सब पे भारी" कहकर दावा करते हैं कि पूरे विपक्ष के लिए वह अकेले ही काफी हैं। मगर सच्‍चाई यह है कि वह विपक्षी गठबंधन 'भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (इंडिया)' से डरेे हुए हैं, इसलिए देखादेखी एनडीए बनाने में लगे हुए हैं और इंडिया के नेताओं को बदनाम करने और उन पर आधारहीन आरोप लगाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। वह अपने हर भाषण में ज्‍यादा समय इंडिया पर बोलने के लिए मजबूर हो गए हैं।"

राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने कहा, "अगर वह खुद को अकेले ही विपक्ष से मुकाबला करने के लिए पर्याप्त समझते हैं, तो इंडिया से क्यों डरते हैं और हमेशा डर के मारे रोते रहते हैं।" खड़गे ने कहा, ''मोदी अक्सर यह दावा करते रहे हैं कि विपक्ष उन्हें स्वीकार नहीं कर रहा है और बर्दाश्त नहीं कर रहा है, क्योंकि वह एक 'गरीब आदमी के बेटे' हैं। काश हर भारतीय उनकी तरह गरीब होता जो 10 लाख रुपये का कोट पहन सकता।''

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उन्होंने मोदी को याद दिलाया, ''गुजरात के 12 साल के मुख्यमंत्री और नौ साल तक प्रधानमंत्री के रूप में हमने आपको काफी सहन किया है और फिर भी आप कहते हैं कि आपको बर्दाश्त नहीं किया जा रहा है। आपको बर्दाश्त ही तो किया जा रहा है, मगर यह मत भूलिए कि बर्दाश्त करने की भी एक सीमा होती है।''

कांग्रेस अध्यक्ष ने राहुल गांधी को 'मनमाने ढंग से' और 'साजिश रचकर' सांसद के तौर पर अयोग्य ठहराए जाने का भी जिक्र किया। उन्‍होंने कहा, “राहुल गांधी ने एक चुनाव अभियान के भाषण के दौरान किसी जाति या समुदाय विशेष का नाम लिए बिना केवल एक उपनाम का उल्लेख किया था। इसके लिए उन्हें अधिकतम दो साल की सजा दी गई और 24 घंटे के भीतर उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। और दूसरी तरफ हमारा बड़ा दिल देखिए कि पूर्व पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने पति राजीव गांधी के हत्यारों को माफ कर दिया।“

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खड़गे ने बीजेपी नेताओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि एक तरफ सोनिया गांधी जैसी करुणा से भरी महिला और नेता हैं और दूसरी तरफ ऐसे नेता हैं, जो उन लोगों को मारते हैं और जेल में डालते हैं जो केवल उनके गलत काम का विरोध करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि मोदी सरकार किस तरह विपक्षी नेताओं के खिलाफ झूठे और निराधार आरोप लगाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय, आयकर और सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है। वह ऐसा इसलिए कर रही है, क्‍योंकि एकजुट विपक्ष से डरी हुई है। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और खुद उन्हें ईडी ने तलब किया है। लेकिन हम इन चीजों से डरेंगे नहीं। कांग्रेस पार्टी डरेगी नहीं और लड़ती रहेगी। यह कुर्बानी लेने वाली नहीं, देने वाली पार्टी है और इतिहास इसका गवाह है।'

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पार्टी की महिला कार्यकर्ताओं, जिनमें देशभर के लगभग 4,000 ब्लॉक अध्यक्ष, जिला और राज्य अध्यक्ष शामिल थे, से जोरदार अपील करते हुए खड़गे ने कहा, अगर वे बीजेपी से छुटकारा पाने का संकल्प लें, तो वे उन्हें सबक सिखा सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पहले महिलाओं को अतिरिक्त लाभ मिलता था, क्योंकि महिला मतदाता पुरुष मतदाताओं की तुलना में एक प्रतिशत अधिक हैं।

खड़गे ने कहा कि यह पंडित जवाहरलाल नेहरू, अंबेडकर और अन्य नेताओं की प्रगतिशील दृष्टि और दूरदर्शिता थी, जिन्होंने आजादी के तुरंत बाद महिलाओं को सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के माध्यम से वोट देने का समान अधिकार दिया। उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों ने भी आजादी के समय महिलाओं को समान मतदान का अधिकार नहीं दिया था और उन्हें यह अधिकार बहुत बाद में मिला। उन्होंने कहा, ''एक सफाई कर्मचारी और एक पूंजीपति दोनों को समान अधिकार प्राप्त है, यही हमारेे लोकतंत्र और संविधान की ताकत है, जिसे मौजूदा सराकर खत्‍म करने पर तुली हुई है।''

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