यूपी के हाथरस में दलित लड़की से गैंगरेप-मर्डर मामले की रिपोर्टिंग के दौरान योगी की पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए पत्रकार सिद्दीक कप्पन को आखिरकार 28 महीने बाद जेल से रिहा कर दिया गया है। आपको बता दें, केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को जमानत के लिए अदालत में श्योरिटी पेश करने के एक दिन बाद गुरुवार यानी आज रिहा कर दिया गया।
जेल से बाहर आने पर कप्पन ने कहा, ‘मैं 28 महीने बाद जेल से बाहर आया हूं। मुझे सपोर्ट करने के लिए मैं मीडिया का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। मुझ पर झूठे आरोप लगाए गए। मैं अब बाहर आकर खुश हूं।
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सिद्दीकी कप्पन और तीन अन्य को अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था, जब वे हाथरस जा रहे थे, जहां एक दलित महिला की कथित रूप से बलात्कार के बाद मौत हो गई थी। कप्पन को पुलिस ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया था। हालांकि आज वो जेल से रिहा हो गए हैं। बता दें, सिद्दीकी को ये राहत सुप्रीम कोर्ट ने दी। जब उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट को पत्रकार को रिहा करने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश 9 सितंबर 2022 को दिया था।
अपने आदेश में प्रधान न्यायाधीश यू.यू. ललित ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है। पीठ ने कहा, हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है।। वह यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि पीड़िता को न्याय चाहिए।। क्या यह कानून की नजर में अपराध होगा? सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद 23 दिसंबर 2022 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कप्पन को जमानत दी थी। (पूरी खबर यहां पढ़ें)
गौरतलब है कि केरल के पत्रकार कप्पन को उत्तर प्रदेश पुलिस ने अक्टूबर 2020 में चार लोगों के साथ मथुरा से उस वक्त गिरफ्तार किया था, जब वे हाथरस जा रहे थे। हाथरस में एक दलित लड़की के साथ गैंगरेप कर उसकी हत्या कर दी गई थी। पुलिस का कहना था कि कप्पन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़े हैं और वे हाथरस में दंगे फैलाने की साजिश रचने जा रहे थे। हालांकि कप्पन का दावा है कि वे हाथरस में युवती के गैंगरेप-मर्डर के बाद घटनास्थल पर मामले को कवर करने जा रहे थे।
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सिद्दीकी कप्पन पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), राजद्रोह (आईपीसी की धारा 124-ए), धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना (आईपीसी की धारा 153-ए), धार्मिक भावनाओं (आईपीसी की धारा 295-ए) की धारा 17 और 18 और आईटी अधिनियम की धारा 65, 72 और 75 की के तहत आरोप लगाए गए हैं।
दरअसल, हाथरस के बूलगढ़ी गांव में साल 2020 में एक दलित लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने के बाद हत्या करने का मामला सामने आया था, जिसमें 4 लड़कों को गिरफ्तार किया गया था। पीड़िता की मौत के बाद आनन-फानन में पुलिस द्वारा रात में ही शव को जला दिया गया था, जिसे लेकर देशव्यापी प्रदर्शन देखने को मिला था।
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