केरल विधानसभा ने मंगलवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के खिलाफ सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर दिया। इसी के साथ केरल यूसीसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाला देश का पहला राज्य बना गया है। यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने पेश किया। प्रस्ताव को कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने भी पूरा समर्थन दिया।
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केरल विधानसभा ने सर्वसम्मति से मांग की कि केंद्र सरकार देश की पूरी आबादी को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर कोई भी कदम उठाने से बचे। प्रस्ताव पेश करते हुए सीएम विजयन ने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए केंद्र सरकार का एकतरफा और जल्दबाजी वाला कदम संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को खत्म कर रहा है।
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प्रस्ताव में कहा गया है कि केंद्र सरकार बिना किसी वैचारिक बहस में शामिल हुए या सर्वसम्मति की तलाश किए इस एकतरफा कदम के साथ आगे बढ़ी है। इससे देशवासियों के विभिन्न वर्गों में चिंता पैदा हो रही है। यह चिंता केरल विधानसभा द्वारा साझा की गई है। यह रेखांकित करता है कि एकल नागरिक संहिता एक विभाजनकारी कदम है जो लोगों की एकता को खतरे में डालता है और राष्ट्र की एकजुटता के लिए हानिकारक है।
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इसी के साथ केरल समान नागरिक संहिता के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाला देश का पहला राज्य बना गया है। इससे पहले केरल विधानसभा 31 दिसंबर 2021 को विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को रद्द करने की मांग का प्रस्ताव पारित कर, ऐसा करने वाली देश की पहली राज्य विधानसभा बन गई थी।
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