राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में बसी झुग्गियों में इन दिनों भुखमरी जैसे हालात हैं। इन झुग्गियों में रहने वाले तमाम लोगों को बिना राशन कार्ड के राशन नहीं मिल रहा है। पका हुआ भोजन जो भी आ रहा है वह नाकाफी है, और कई बार तो इन लोगों तक पहुंचने से पहले ही खराब हो चुका होता है। दक्षिण दिल्ली के सरिता विहार के नजदीक ऐसे ही एक बस्ती राजस्थानी कैंप में खाने के सिर्फ 600 पैकेट ही पहुंचे जबकि यहां कम से कम 5,500 लोग रहते हैं। इतना ही नहीं मंगलवार दोपहर को यहां पैकेट में भेजा गया खाना खराब हो चुका था, जिसे लोगों को फेंकना पड़ा।
इस झुग्गी में खाने को जो 600 पैकेट आए थे, उसमें से भयंकर गंध आ रही थी और वह खाने लायक नहीं थे। राजस्थानी कैंप में रहने वाले हरपाल का कहना है कि, “आज खाना बहुत देर से आया और जब हमने इसे खोला तो इसमें से सड़ी हुई गंध आ रही थी। अगर हमने इसे खा लिया होता तो बीमार पड़ जाते। जो पैकेट आए थे उनमें चावल और दाल थी। हमें नहीं पता कि अब क्या करें, आज की रात तो भूखा ही सोना पडेगा।”
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ध्यान रहे कि मौसम बदला है और गर्मियां शुरु हो चुकी हैं, ऐसे में पका हुआ खाना जल्दी खराब होता है। कैंप के प्रधान अरुण ने बताया कि, “हम शिकायत नहीं करना चाहते, लेकिन हम इसे कैसे खा सकते हैं। वे हमें सड़ा हुआ खाना भेज रहे हैं, इससे तो हम बीमार हो जाएंगे। अगर फूड प्वाज़निंग हो गई तो हमारे पास तो अस्पताल तक जाने की सुविधा नहीं है।” अरुण बताते हैं कि इस खाने को बनाने में कितने लोगों की मेहनत लगी होगी, लेकिन इसे भेजने में हुई कोताही के कारण सब बेकार हो गया। उनका कहना है कि ऐसे हालात में कम से कम खाने की बरबादी नहीं होनी चाहिए।
इन झुग्गियों में दोपहर और शाम के वक्त आम तौर पर खाने लेने के लिए भीड़ लग जाती है। कई बार तो खाने के पैकेट को लेकर लोगों का आपस में झगड़ा भी हो जाता है। कारण साफ है कि 5,500 लोगों के लिए जब खाने के सिर्फ 600 पैकेट ही आएंगे तो क्या होगा। इस बस्ती के 5.500 लोगों में से सिर्फ 250- लोगों के पास ही राशन कार्ड है, उन्हें तो राशन मिल रहा है लेकिन बाकी की खैर-खबर लेने वाला कोई नहीं है।
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ध्यान रहे कि 31 मार्च को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया था कि वह पहली अप्रैल से राजधानी में 10 से 12 लाख लोगों के खाने का इंतजाम करेंगे। फिर 4 अप्रैल को उन्होंने घोषणा की कि सरकार ने 6.5 लाख लोगों को खाने पहुंचाने के लिए 1,500 डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर बनाए हैं।
लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। इसी महीने में शालीमार बाग के नजदीक हैदरपुर बस्ती के करीब 20,000 लोग सड़कों पर निकल आए थे। उनकी शिकायत भी राशन न मिलने की थी। उन लोगों ने भी कई दिनों से खाना नहीं खाया था।
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