अगर सरकार को पाखी की चीख नहीं सनाई दे रही है तो ऐसी सरकार को सत्ता में रहने का कोई हक नहीं है दिल्ली के संसद मार्ग पर कठुआ और उन्नाव रेप के खिलाफ हुए भारी जनसमूह के विरोध में लोगों के गुस्से का प्रदर्शन चिल्ला-चिल्लाकर यही कह रहा था। ‘नॉट इन माई नेम’ के नाम से हुए इस प्रदर्शन में तमाम लोगों ने अलग-अलग अंदाज़ में अपने गुस्से और रोष को व्यक्त किया। लेकिन जिस तरह माटर डे स्कूल की 15 वर्षीय छात्रा पाखी ने अपना गुस्सा जताया उसने वहां मौजूद लोगों को झिंझोड़ कर रख दिया।
पाखी ने कहा कि, “शर्म आती है उन लोगों पर जो बलात्कार करने वाले को इसलिए बचा रहे हैं कि उसका धर्म क्या है और वह किस राजनीतिक दल का है। आप लोगों को अब भी लड़की नजर नहीं आती है, उसका धर्म नजर आता है। शर्म है आप सब पर।” द टेलीग्राफ से बातचीत में पाखी ने कहा कि, “जब से गौरी लंकेश की हत्या हुई है, तब से मैं परेशान हूं। हम फेसबुक पर भी बीजेपी खिलाफ लिखते हुए डरते हैं। इससे पहले यह नहीं होता था कि हमारे दोस्तों के नाम क्या हैं। अब लोग पूछते हैं कि वह हिंदू है या मुसलमान।”
पाखी ने कहा कि, “मुझे नहीं मालूम कि क्या लिखूं और अपने अंदर जो चीख मैं महसूस कर रही हूं, उसे कैसे व्यक्त करूं, लेकिन फिर भी मैं अपनी हर संभव कोशिश करूंगी कि मेरे जहन में जो चीखें उठ रही हैं उसको अपने दिल की रोशनाई से इन मसले हुए पन्नों पर पेंट करूं।”
पाखी ने कहा कि, “मुझे वह रात याद है जब मुझे गौरी लंकेश की हत्या के बारे में पता चला था और उसके एक दिन बाद मेरा पेपर था। मुझे पेपर में लोकतंत्र के बारे में लिखना था, लेकिन बदकिस्मती से मुझे लोकतंत्र का ऐहसास अपने ही देश में नहीं हो रहा था। मैं मानती हूं कि अगर आज मैं कुछ कह पा रही हूं तो वह सिर्फ संविधान से मिले अधिकार की वजह से कह पा रही हूं। काश ! मैं अपने पेपर में जो मेरी किताब में लिखा है इसकी जगह यह लिख पाती कि कैसे भारत बदल रहा है, कैसे लोग लोकतांत्रिक देश में खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। ”
पाखी ने अपने भाषण में कई चुभते हुए सवाल किए। उसने पूछा कि, “पहली बार ऐसा हो रहा है जब किसी लड़की के साथ बलात्कार हुआ है और उसकी और बलात्कार करने वाले की धार्मिक पहचान पूछी जा रही है। क्या हो गया है हमें? क्या हम अब भी इंसान बचे हैं? इतना सबकुछ होने के बाद तुम उसका धर्म पूछ रहे हो? क्या धार्मिक पहचान और राजनीतिक पार्टी ही सबकुछ है तुम्हारे लिए?”
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उसने कहा कि, “मेहरबानी करके इस बात को हल्के में न लें। अगर आप खुशी-खुशी घर में बैठे हैं और विरोध को अनदेखा कर रहे हैं और अगर यह महसूस कर रहे हैं कि आप सुरक्षित हैं, को यह मत भूलिए कि यह सुरक्षा और खुशी हमेशा आपके साथ नहीं नहीं रहेगी। अगर आप ऐसा कर रहे हैं तो यह बहुत शर्म की बात है। इस पर गर्व करने की जरूर नहीं है, आप इंसानियत को मार रहे हैं।”
पाखी उन लोगों पर जमकर बरसी जो प्रदर्शन का मजाक उड़ा रहे थे। “मैं खबरे देख रही थी और कुछ लोग इस प्रदर्शन को फैशन वॉक का नाम दे रहे थे। वह कह रहे थे कि लोग सेल्फी ले रहे हैं। मेरा विश्वास कीजिए, मैं वास्तव में खुश हूं कि लोग प्रदर्शन में सेल्फी ले रहे हैं और वीडियो बना रहे हैं। और वह लोग क्या कर रहे हैं। वे भीमारव अंबेडकर की प्रतिमा को भगवा रंग कर उसके साथ सेल्फी नहीं ले रहे थे।” उसने साफ शब्दों में अपनी राय का इजहार करते हुए कहा, “अगर आपके धर्म के मुताबिक लोगों की हत्या करना देशप्रेम और देशभक्ति है, तो मुझे अफसोस है कि आप इंसानियत के लिए जहर हैं।”
माता-पिता और अभिभावकों से विनती करते हुए पाखी ने कहा कि, “मुझे मालूम है कि आप खौफज़दा हैं, भयभीत हैं और हकीकत में सब खौफज़दा हैं, लेकिन आप अपने बच्चों को मत रोकिए। हम सब एक साथ हैं, और अगर हम भी इस सबको नहीं रोकेंगे तो शायद लोकतंत्र, स्वतंत्रता, प्यार-दोस्ती और समानता जैसे शब्द सिर्फ किताबों में ही पढ़ने के लिए रह जाएंगे।”
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