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कश्मीर: प्रेमिका की दगाबाज़ी से मारा गया जाकिर मूसा, अब निशाने पर रियाज़ नाइकू

सूत्रों के मुताबिक मूसा दो प्रेमिकाओं के चक्कर में फंस गया था, जिनमें से एक ने खुफिया एजेंसियोंसे उसकी मुखबिरी की। इस जानकारी पर सुरक्षा बलों ने मूसा को मार गिराया।

मारा गया आतंकी जाकिर मूसा (फोटो : सोशल मीडिया)
मारा गया आतंकी जाकिर मूसा (फोटो : सोशल मीडिया) 

कश्मीर में आतंकी जाकिर मूसा को ढेर कर सुरक्षा बलों ने घाटी में आतंकवाद के खिलाफ बेहद महत्वपूर्ण कामयाबी हासिल की है। मूसा को दक्षिण कश्मीर में मारा गया जहां के जंगलों का इस्तेमाल स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए किया जाता रहा है। मूसा आज की पीढ़ी का था, जिसने वहाबी सलफी विचारधारा के प्रभाव में आकर आतंकवाद का रास्ता चुना था।

जाकिर राशिद भट उर्फ जाकिर मूसा को सुरक्षाबलों ने दक्षिण कश्मीर में गुरुवार रात एक तीन मंजिला मकान में घेर लिया था और उसे बाहर निकालने के लिए ऑपरेशन के दौरान घर में आग लगा दी। मूसा कश्मीर में सक्रिय सबसे बड़े आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर रह चुका था। हालांकि बाद में उसने अपना खुद का संगठन बनाया और 2017 में आतंकवादी संगठन अल कायदा के साथ खुद को संबद्ध घोषित किया।

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सूत्रों के मुताबिक मूसा दो प्रेमिकाओं के चक्कर में फंस गया था, जिनमें से एक ने खुफिया एजेंसियों से उसकी मुखबिरी की। इस जानकारी पर सुरक्षा बलों ने मूसा को मार गिराया। माना यही जाता है कि पोस्टर ब्वॉय बुरहान वानी और समीर टाइगर भी इसलिए मारे गए थे क्योंकि इनकी पूर्व प्रेमिकाओं ने पुलिस को इनके बारे में, इनके छिपने के ठिकाने के बारे में एकदम सही जानकारी दी थी।

कहा जाता है कि कश्मीर के नए आईजी एस पी पानी ने अपने खुफिया नेटवर्क का बहुत अच्छा इस्तेमाल किया और इन आतंकियों को एक-एक कर ढेर किया।

लेकिन, घाटी के मामले में सबसे खतरनाक बात यह है कि पत्थर फेंकने वाले युवा हथियारबंद आतंकवाद की तरफ जा रहे हैं। 12 से 20 वर्ष के युवा इसके निशाने पर सर्वाधिक हैं। मूसा को ढेर करने के बाद अब सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों के निशाने पर रियाज नाइकू है।

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रियाज़ नाईकू (घेरे में)

33 साल के रियाज नाइकू के सिर पर 12 लाख रुपये का इनाम है। मूसा के बाद वह घाटी में सर्वाधिक वांछित आतंकी कमांडर है। हालांकि वह मूसा की तरह अल कायदा से संबद्ध नहीं है, लेकिन वह पाकिस्तान समर्थक हिजबुल मुजाहिदीन का सर्वाधिक वरिष्ठ कमांडर है।

खुफिया एजेंसियों ने नाइकू को ए डबल प्लस श्रेणी के आतंकवादी की सूची में रखा है। खुफिया एजेंसियों का मानना है कि वह मूसा की तुलना में अधिक 'लिबरल आतंकी कमांडर' है। मूसा कश्मीर में इस्लामी सत्ता की स्थापना से कम पर राजी नहीं था। नाइकू ने कोई दो साल पहले पुलिसकर्मियों के परिजनों का अपहरण किया था। इसी के बाद पुलिस वालों को बिना वरिष्ठों की इजाजत और बिना सुरक्षा लिए दक्षिण कश्मीर स्थित अपने परिजनों से मिलने जाने से मना किया गया था।

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यह खतरा तब और वास्तविक हो गया था जब नाइकू के धमकाने वाले वीडियो सोशल मीडिया पर जारी हुए। मारे गए आतंकियों के जनाजे में नाइकू का पहुंचना और उनके सम्मान में बंदूक से सलामी देना सुरक्षा बलों के लिए बड़ी समस्या बन गया है। वह इन जनाजों का इस्तेमाल नए युवकों की आतंक में भर्ती करने के लिए भी करता है।

लेकिन, स्थानीय आतंकी नेटवर्क को अब बिल में छिपना पड़ रहा है क्योंकि 41 साल के आईजी कश्मीर एस पी पानी अपने शिकार का लगातार पीछा कर रहे हैं और एक के बाद दूसरे को ढेर कर रहे हैं।

ओडिशा के आईपीएस अफसर स्वयं प्रकाश पानी को बीती फरवरी में कश्मीर रेंज का पुलिस महानिरीक्षक नियुक्त किया गया। 2000 बैच के आईपीएस पानी इससे पहले दक्षिण कश्मीर रेंज के पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) थे। वह आतंक रोधी अभियानों और अपने शिकार को ढेर करने के लिए खुफिया सूचना पर बहुत अधिक भरोसा करते हैं।

उनके दक्षिण कश्मीर के डीआईजी रहने के दौरान मुठभेड़ों में कई आतंकी कमांडर मारे गए। आतंकवाद रोधी अभियानों के साथ-साथ पानी भटके हुए युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए भी पूरा जोर लगाते हैं। वह सात युवाओं को वापस मुख्यधारा में लाने में सफल रहे हैं। उनके डीईजी रहने के दौरान मुठभेड़ स्थलों से चार आतंकी गिरफ्तार किए गए थे।

अब कश्मीर में दो पीढ़ी हैं जो पूरी तरह से 'आजादी' की मुहिम के साथ है। उनकी जंग अब चालीस साल पुरानी हो चली है। कश्मीरी इन चालीस सालों में भूल चुके हैं कि वे विलय के दस्तावेज के साथ भारत में शामिल हुए थे। कश्मीरी राष्ट्रवाद का स्थान अब चरमपंथ ने ले लिया है और यहां तक कि हुर्रियत के नेता भी हाशिये पर चले गए हैं।

हालांकि, 2010 से कश्मीरी कमोबेश शांति की तरफ बढ़े थे, यह देखते हुए कि हिन्दुस्तान छोड़ेगा नहीं, और पाकिस्तान अब कोई विकल्प नहीं रहा।

महत्वपूर्ण पल तब आया जब 2013 में अफजल गुरु को फांसी दी गई। हालांकि उमर अब्दुल्ला के प्रशासन ने समस्याओं को दूर रखने की कोशिश की, लेकिन शांति छिन्न भिन्न हो गई और दक्षिणपंथी बीजेपी के दक्षिणपंथी सॉफ्ट नरमपंथी पीडीपी के साथ सरकार बनाने से भी बात नहीं बनी और दिक्कतें बढ़ गईं।

इसके तुरंत बाद सैयद अली शाह गिलानी के उत्तराधिकारी माने जाने वाले खतरनाक विचारक मसरत आलम को रिहा किया गया और इसके साथ ही कोहराम बरपा हो गया।

देखते ही देखते दक्षिण कश्मीर में सऊदी अरब के धन की मदद से सांस्कृतिक इस्लाम की जगह धार्मिक इस्लाम लेने लगा और अरबीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई। लोगों के धार्मिक चरमपंथ और निजी व सामाजिक कारणों, अपनी तकलीफों के बने हुए अहसासों, आहत भावनाओं और नाराजगी ने कश्मीरियत के सूफी ताने-बाने को तोड़ना शुरू कर दिया।

इसने कश्मीरियों के मन में एक उत्पीड़न की मनोग्रंथि पैदा की कि उनके साथ उनकी पहचान की वजह से बुरा सलूक किया जा रहा है और नतीजे में आकांक्षा विहीन होने का अहसास पैदा हुआ। अब वे अपनी स्थानीय धार्मिक आकांक्षाओं को वैश्विक इस्लामी आकांक्षाओं और उद्देश्यों के साथ जोड़ रहे हैं।

इस 'लोकल सब्सक्रिप्शन' के फिर से उभार ने भारतीय सुरक्षा तंत्र को सबसे अधिक चिंता में डाल दिया है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई सी विंग को भी इसका अहसास हुआ है कि उसने पाकिस्तान के अंदर जिस जेहाद कांप्लेक्स को घाटी में आतंकवाद के लिए पाला पोसा है, वह जल्द ही रणनीति के स्तर पर बदलाव देख सकता है क्योंकि स्थानीय युवा धार्मिक विचारधारा की गिरफ्त में हैं जोकि आजादी की मांग से कहीं आगे की बात है।

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