उमेरा और बीनिश ने 2015 में ‘क्राफ्ट वर्ल्ड कश्मीर’ नाम से अपना बिजनेस शुरू किया। वे नववधुओं के लिए फूलों वाले जेवरात, बच्चों के लिए कपड़े और अन्य चीजें बेचते थे। वे इन चीजों की बेसिक डिजाइन इंस्टाग्राम, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉम पर डाल देते। इस वजह से उनके पास ऑनलाइन ऑर्डर आ जाते और इस तरह उन्हें अपना वित्तीय भविष्य सुरक्षित लगने लगा था। लेकिन आज वे सिर्फ इस जुगत में हैं कि कैसे अपना बिजनेस बचा सकें।
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दरअसल, सबकुछ अगस्त, 2019 में बदल गया जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने, इसे दो भाग में बांटने और जम्मू और कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश में बदलने का फैसला किया। तब से घाटी में जनजीवन बदल गया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जनवरी में ही इंटरनेट तक पहुंच को मौलिक अधिकार बताया था और पूरी दुनिया 5-जी इंटरनेट सेवाओं के उपयोग की तरफ बढ़ रही है, फिर भी सरकार ने यहां केवल धीमी गति वाली 2-जी इंटरनेट सेवाओं की अनुमति दी है।
उमेरा ने कहा भी, ‘हमलोग 5 अगस्त, 2019 से पहले काफी अच्छा कर रहे थे। जब इंटरनेट सेवा महीनों तक बंद रही, तो हमारा कामकाज भी ठप हो गया। अब 2-जी इंटरनेट सेवाओं की अनुमति दी गई है लेकिन हम सोशल मीडिया पर तो अपने उत्पादों का डिस्प्ले नहीं ही कर पा रहे हैं, ग्राहकों तक हमें और हम तक ग्राहकों को पहुंचने में काफी दिक्कत होती है। इस कारण ऑनलाइन बिजनेस करना बहुत ही मुश्किल हो गया है।’ इस वक्त इन दोनों ने अपने साथ 20 लड़कियों को जोड़ रखा है जो सिलाई-कढ़ाई का काम करती हैं।
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यही हाल कई अन्य युवा उद्यमियों का है। 2019 में कश्मीरी हैंडीक्राफ्ट और ड्राई फ्रूट्स का आउटलेट कश्मीर ओरिजिन नाम से शुरू करने वाले चार उत्साही युवा हैं। इसके सहसंस्थापक और सीईओ आरिफ इरशाद का कहना है कि ‘हम हैंडीक्राफ्ट चीजों के साथ केसर, अखरोट और बादाम बेचते हैं। ये चीजें यहीं पैदा होती हैं।’ आरिफ और उनके साथी- मौरिफात, आदिल और समीर विभिन्न मंचों पर अपने उत्पादों के प्रचार के लिए किसानों और स्थानीय कारीगरों की मदद करते हैं। आरिफ इस बात पर पछता रहे हैं कि धीमी इंटरनेट स्पीड की वजह से उन्हें काफी घाटा हो रहा है।
वह बताते हैं कि ‘5 अगस्त, 2019 से पहले हमलोगों ने विभिन्न देशों में विभिन्न कूरियर कंपनियों के मार्फत ड्राई फ्रूट्स के 300 ऑर्डर भेजे थे। लेकिन संचार के सभी चैनल ठप हो जाने की वजह से ये सब चीजें फंस गईं। कई महीने तक तो हमें कुछ पता ही नहीं चला। वे वहां नहीं पहुंचीं जहां इन्हें पहुंचना था और इस वजह से हमें लाखों का नुकसान हो गया। यह हमलोगों के लिए गहरा धक्का था। अब भी धीमी इंटरनेट स्पीड की वजह से हम अपनी वेबसाइट नहीं खोल पाते और ग्राहकों के ऑर्डर नहीं ले पाते।’
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यही किस्सा तौफीक युसुफ का है। वह लेबनान में एक ई-कॉमर्स कंपनी में काम कर रहे थे और अगस्त, 2019 में कश्मीर लौटे थे। छह महीने पहले उन्होंने बी टेक कश्मीर नाम से एक ऑर्गेनिक किराना स्टोर शुरू किया। इसके जरिये सउदी अरब के आयातित खजूर, कश्मीर शहद, घी, केसर और ड्राई फ्रूट्स-जैसे खाने के सामान लोगों तक पहुंचाने की योजना थी। उन्होंने कहा, ‘हमारा सोशल मीडिया पेज है जहां हमें ऑर्डर मिलते हैं और उन्हें हम ग्राहकों तक पहुंचाते हैं।’ लेकिन इस व्यापार को चलाने में भी सबसे बड़ी दिक्कत धीमी इंटरनेट स्पीड ही है। वह कहते हैं, ‘हमारा व्यापार पूरी तरह इंटरनेट पर निर्भर है। 2-जी इंटरनेट से कश्मीर में इस तरह का व्यापार चलाना बहुत ही मुश्किल है। कई दफा धीमी इंटरनेट स्पीड की वजह से हमें ऑर्डर नहीं मिल पाते।’
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यही हाल मीर इकबाल का है। वह 31 साल के हैं। पहले वह पत्रकार थे लेकिन जब पत्रकारों पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगने लगे तो उन्होंने कश्मीर के शहद, घी, ड्राई फ्रूट्स, बादाम, अखरोट और केसर-जैसे उत्पादों की बिक्री के लिए मीर एग्रो फाम्र्स नाम से बिजनेस शुरू किया। इकबाल ने कहा कि ‘मुझे मुंबई, बेंगलुरु, दिल्ली, पश्चिम बंगाल-जैसे दूरदराज के इलाकों से भी आॅर्डर मिल रहे थे। जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनावों के दौरान हमारे जिले- शोपियां, में इंटरनेट पर रोक लगा दी गई और मुझे कई दिनों बाद कई ऑर्डर के बारे में जानकारी मिली। आखिरकार, मैं इन्हें नहीं भेज सका। अगर यहां 4-जी इंटरनेट सेवाएं होतीं, तो मेरा व्यापार दोगुना हो जाता।’
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