कर्नाटक में प्रगतिशील लेखकों को बार-बार मिल रही धमकियों पर कांग्रेस सरकार ने सख्त रुख अपना लिया है। सरकार के निर्देश पर कर्नाटक पुलिस ने धमकियों के सभी मामलों को सिटी सेंट्रल क्राइम ब्रांच की विशेष शाखा में स्थानांतरित कर दिया है। मामले की निगरानी और जांच के लिए एसीपी रैंक के एक पुलिस अधिकारी को तैनात करने का भी निर्णय लिया गया है।
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प्रगतिशील लेखकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने 23 अगस्त को मुख्यमंत्री सिद्दारमैया से मुलाकात कर धमकियों के मामले पर चिंता जताई थी। सिद्दारमैया ने लेखकों के प्रतिनिधिमंडल को मामले में उचित कार्रवाई शुरू करने का आश्वासन दिया था। अब तक, लेखकों को लगभग 15 धमकी भरे पत्र मिले हैं जिनमें तीन पत्र कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद लिखे गए हैं।
सूत्रों ने बताया कि इसके बाद सिद्दारमैया के सख्त निर्देश पर डीजीपी और आईजीपी आलोक मोहन ने इस संबंध में आवश्यक आदेश पारित कर दिए हैं। इसके अलावा संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) और संबंधित डीसीपी को दैनिक आधार पर मामलों को देखने के निर्देश दिए गए हैं।
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कई लेखकों को धमकी भरे पत्र मिले हैं और बेंगलुरु के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में शिकायतें दर्ज की गई हैं। जाने-माने लेखक के. मारुलासिद्दप्पा ने कहा कि साहित्यकारों को एक साल से फोन कॉल और पत्रों के जरिए धमकियां मिल रही हैं। इस घटनाक्रम ने चिंता पैदा कर दी है और यह स्थिति लेखकों को डर में जीने को मजबूर कर रही है।
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जाने-माने प्रगतिशील लेखक के. वीरभद्रप्पा, वसुंधरा भूपति और बंजगेरे जयप्रकाश को सबसे ज्यादा धमकियां मिली हैं। मारुलासिद्दप्पा ने कहा, "अगर सरकार इस मामले को गंभीरता से नहीं लेगी, तो लेखकों का भी वही हश्र होगा, जो स्वर्गीय गौरी लंकेश और एम.एम. कलबुर्गी का हुआ था, जिनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।"
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