हालात

कर्नाटक चुनाव: 49 फीसदी महिला मतदाताएं तय करेंगी किसकी बनेगी सरकार

कर्नाटक में महिला मतदाताओं की संख्या 49 फीसदी है, इसके बावजूद इस बार चुनावों में महिला सुरक्षा संबंधी मुद्दों को खास तवज्जो नहीं दी गई। पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार राज्य में महिला मतदाताओं की संख्या बढ़कर 2.44 करोड़ हो गई है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया कर्नाटक चुनाव में महिला मतदाताएं निभा सकती हैं अहम भूमिका

कर्नाटक के सियासी दलों की किस्मत का फैसला 12 मई को करने वालों में बड़ी तादाद महिलाओं की होगी, जो महिला सुरक्षा के मुद्दे पर तमाम दलों की नजरअंदाजी को ध्यान में रखकर मतदान केंद्रों की ओर कूच करेंगी। कहा जा रहा है कि इस बार बागलकोट सहित कई शहरों की महिलाएं बड़ी संख्या में 'नोटा' का बटन दबाकर राजनीतिक दलों की उदासीनता का जवाब दे सकती हैं।

कर्नाटक में महिला मतदाताओं की संख्या 49 फीसदी है, इसके बावजूद इस बार चुनावों में महिला सुरक्षा संबंधी मुद्दों को खास तवज्जो नहीं दी गई। पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार राज्य में महिला मतदाताओं की संख्या बढ़कर 2.44 करोड़ हो गई है।

महिलाओं को लेकर राजनीतिक पार्टियां कितनी गंभीर हैं, यह इन पार्टियों द्वारा महिला उम्मीदवारों को किए गए टिकट आवंटन से पता चलता है। कांग्रेस ने चुनाव में अपने कुल 226 उम्मीदवारों में से 16 महिलाओं को टिकट दिया है, तो बीजेपी ने सिर्फ 6 महिलाओं को टिकट देकर खानापूर्ति की है। जेडीएस ने भी 126 उम्मीदवारों में से 4 महिलाओं को टिकट देकर नारी सम्मान दिखाया है।

बीते कुछ सालों में कर्नाटक में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बहुत तेजी से बढ़ी हैं। राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो (एनसीबी) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में बेंगलुरु का स्थान तीसरा है। यहां 2016 में महिला अपराधों की संख्या 3,412 थी, जो 2017 में बढ़कर 3,531 हो गई।

Published: 11 May 2018, 7:54 PM IST

कर्नाटक में बीजेपी महिला मोर्चा की प्रमुख भारती शेट्टी कहती हैं, “भाजपा के घोषणापत्र में महिलाओं को खास तवज्जो दी गई है। बीपीएल परिवारों की सभी परिवारों को निशुल्क स्मार्टफोन, दो लाख रुपये तक के कर्ज पर एक फीसदी ब्याज दर, भाग्यलक्ष्मी योजना, गरीब परिवारों की विवाहिता को तीन ग्राम सोने का मंगलसूत्र देने जैसी तमाम घोषणाएं महिलाओं के लिए की गई हैं।”

इसके जवाब में एनसीडब्ल्यू की सामाजिक कार्यकर्ता स्मिता झा कहती हैं, “सिर्फ सीसीटीवी कैमरे लगा देने और 3 ग्राम का सोने का मंगलसूत्र देकर आप महिलाओं को सुरक्षा को लेकर आश्वस्त नहीं कर सकते। दरअसल, महिलाओं को राजनीतिक रूप से सशक्त करने में सरकार की कथनी और करनी में फर्क रहा है। इसीलिए कहा जा रहा है कि बागलकोट और इसके आसपास के शहरों में महिलाएं नोटा का बटन दबाकर अपना विरोध दर्ज करने की तैयारी कर रही हैं।”

बीजेपी की ही तर्ज पर कांग्रेस भी महिला सुरक्षा को लेकर गंभीर बने रहने का दंभ भर रही है। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में पुलिस में महिलाओं की संख्या 33 फीसदी बढ़ाने का वादा किया है।

कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी कहती हैं, “कांग्रेस शुरू से ही महिला सुरक्षा को लेकर जागरूक रही है। कांग्रेस पार्टी ने सबसे अधिक 16 महिलाओं को चुनाव में टिकट दिया है। पार्टी राज्य में दोबारा सत्ता में आने पर पुलिसबल में महिलाओं की संख्या बढ़ाने के वादे को पूरा करेगी, जो मुझे लगता है कि महिला सुरक्षा की दिशा में बहुत बड़ा कदम होगा।”

महिलाओं को लेकर राजनीतिक दलों के उदासीन रवैये का चुनाव परिणामों पर क्या असर होगा, यह तो 15 मई को को पता चलेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पार्टी उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला नारी शक्ति करेगी?

Published: 11 May 2018, 7:54 PM IST

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: 11 May 2018, 7:54 PM IST