कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलने की संभावना है। चुनाव को लेकर कन्नड़ न्यूज पोर्टल www.eedina.com द्वारा किए गए सर्वे के नतीजे बताते हैं कि कांग्रेस को 132 से 140 सीटें मिलने का अनुमान है। सर्वे के नतीजे सही साबित होते हैं या नहीं, यह तो 13 मई को मतगणना के दिन सामने आ जाएगा, लेकिन कई मामलों में यह सर्वे अहम है।
इस सर्वे के लिए न्यूज पोर्टल ने पैसा लेकर सर्वे करने वाली एजेंसियों के बजाए आम नागरिकों को स्वेच्छा से सर्वे का हिस्सा बनने के लिए तैयार किया और उन्हें लोगों से सही सवाल पूछने के लिए प्रशिक्षित किया। एक और विशेष प्रयास यह किया गया कि सर्वे के दौरान नागरिकों ने लोगों से फोन पर बात करने के बजाए उनके घरों पर जाकर बातचीत की। सर्वे के लिए प्रश्नावली तैयार करने में विशेषज्ञों और शिक्षाविदों की मदद ली गई। इसके अलावा सर्वे के आंकड़ों को विश्वविद्यालयों और शोधकर्ताओं के साथ साझा करने की पेशकश भी की गई।
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सर्वे के आंकड़ों में www.eedina.com ने जिन लोगों से बातचीत की उनका जातिवार ब्योरा भी सामने रखा है। इन जातियों का चुनाव कम्प्यूटर प्रोग्राम द्वारा किया गया था।
इस सर्वे के लिए कुछ 41,169 लोगों से बात की गई, जिनमें से 17 फीसदी लिंगायत समुदाय से, 10.9 फीसदी वोक्कालिगा, 4.6 फीसदी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (इनमें ब्राह्मण भी शामिल हैं), कुरुबा समुदाय से 8.5 फीसदी और मुस्लिम समुदाय के 10 फीसदी लोगों से बात की गई।
जाति और वर्ग के आंकड़ों से सर्वे में कुछ रोचक तथ्य सामने आए हैं। मसलन दलित और मुस्लिम समुदाय के धनी वर्ग ने बीजेपी को वोट देने के संकेत दिए, जबकि इन्हीं समुदायों के गरीबों ने कांग्रेस के पक्ष में बात कही।
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कुछ अन्य रोचक तथ्य इस तरह हैं:
सर्वे में शामिल 41,169 लोगों में से सिर्फ 12 फीसदी ही राज्य सरकार की किसी योजना का नाम बता पाए, हालांकि केंद्र सरकार द्वारा शुरु की गई योजनाओं की अधिकतर लोगों को जानकारी थी।
मुस्लिम समुदाय के अलावा किसी भी अन्य समुदाय ने एक मुश्त होकर किसी एक पार्टी के पक्ष में अपना रुझान नहीं दिखाया। मुस्लिमों में भी 73 फीसदी ने कांग्रेस के पक्ष में रुझान दिखाया जबकि बाकी ने जेडीएस या बीजेपी के पक्ष में वोट देने के संकेत दिए।
लिंगायत समुदाय के अधिकांश लोग बीजेपी के पक्ष में नजर आए, लेकिन करीब 28 फीसदी इस बार कांग्रेस के समर्थन में भी सामने दिखे।
सर्वे में शामिल कुल लोगों में से करीब दो तिहाई यानी 67 फीदी का मानना है कि कर्नाटक की बसवराज बोम्मई सरकार को दूसरा मौका नहीं मिलना चाहिए। इस आंकड़े से स्पष्ट होता है कि राज्य जबरदस्त सत्ता विरोधी लहर है।
कन्नड़ पोर्टल द्वारा यह चुनाव पूर्व सर्वे कर्नाटक में प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी के प्रचार अभियान में उतरने से पहले किया गया है, जिसमें बीजेपी के राज्य नेतृत्व के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश नजर आया, जबकि बीजेपी विधायकों को लेकर इतना आक्रोश नहीं दिखा।
सर्वे के दौरान करीब 42 फीसदी वर्तमान विधायकों को एक और मौका देने के पक्ष में दिखे, लेकिन साथ ही उनका मानना था कि बोम्मई सरकार कर्नाटक की अब तक की सबसे भ्रष्ट सरकार है और पिछली तीन सरकारों की तुलना में इसका प्रदर्शन बेहद खराब रहा है।
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कुल 224 विधायकों वाली कर्नाटक विधानसभा में सर्वे के मुताबिक कांग्रेस को 132 से 140 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि बीजेपी के खाते में 57 से 65 और जेडीएस के खाते में 19-25 सीटें जा सकती हैं। ध्यान रहे कि जो अन्य सर्वे हुए हैं उनमें भी कांग्रेस के पक्ष में 116 से 125 सीटों का अनुमान लगाया गया है।
क्षेत्रवार बात करें तो उत्तरी कर्नाटक में कांग्रेस की लहर है और यहां उसे भारी कामयाबी मिलने का अनुमान है, जबकि तटीय और केंद्रीय कर्नाटक में बीजेपी अच्छी स्थिति में है। www.eedina.com के सर्वे के मुताबिक दक्षिण कर्नाटक में बीजेपी के वोट शेयर में बढ़ोत्तरी हो सकती है, लेकिन इसका नुकसान जेडीएस को होगा, हालांकि इससे उसकी सीटों में कोई इजाफा होने की संभावना नहीं है।
इस सर्वे के लिए www.eedina.com के कोआर्डिनेटर वासु एच वी ने इस बात को स्पष्ट रेखांकित किया है कि बीजेपी से जबरदस्त नाराजगी का कारण भ्रष्टाचार और अक्षमता है।
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इस सर्वे के बारे में पूर्व चुनाव विश्लेषक और शोधकर्ता योगेंद्र यादव कहते हैं कि वे इस सर्वे के इस पहलू से काफी प्रभावित हैं कि इसमें नागरिकों की सीधी भागीदारी हुई है। वे कहते हैं, “सर्वे के लिए सैंपल के चयन में काफी मेहनत की गई है। मसलन बूथों बूथों का आकस्मिक चयन और वोटर लिस्ट से उत्तरदाताओं का चयन काफी उल्लेखनीय है। इसके लिए सैंपल साइज में कर्नाटक के जनसांख्यिकीय चरित्र को उचित प्रतिनिधित्व दिया गया है... इसलिए मेरे जैसे शोधकर्ता के लिए उनके निष्कर्षों को गंभीरता से लेने के पर्याप्त कारण हैं।”
इस सर्वे पर हुए एक पैनल डिस्कशन में योगेंद्र यादव और अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ पॉलिसी एंड गवर्नेंस के प्रोफेसर ए नारायण ने भी हिस्सा लिया। डिस्कशन के दौरान वासु ए एच ने कहा कि सत्ता पक्ष को लेकर वोटरों में नाराजगी के लिए आसमान छूती कीमतें और बेरोजगारी भी जिम्मेदार हैं। हालांकि मुख्यधारा का मीडिया लोगों से जुड़े इन मुद्दों पर खामोश रहता है, लेकिन ये दोनों ही मुद्दे लोगों को चुभते हैं और इसके लिए वे सरकारी नीतियों को ही दोष देते हैं।
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