दिल्ली के कंझावला इलाके में 31 दिसंबर की देर रात एक कार के नीचे घिसटने से मरने वाली अंजलि का अंतिम संस्कार तो दिल्ली पुलिस ने अभेदपूर्ण सुरक्षा के बीच करा दिया, लेकिन ऐसे कई सवाल हैं, जिनके जवाब पुलिस की थ्योरी से नहीं मिल रहे हैं और ना ही पुलिस उनके जवाब दे रही है। अभी तक मामले में सामने आए तथ्यों और मोड़ों से साफ लग रहा है कि दिल्ली पुलिस किसी जल्दी में है।
दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने मंगलवार को मामले की जांच का ब्योरा देते हुए महज 1.33 मिनट बात की। संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) सागर प्रीत हुड्डा ने कहा कि घटना के समय पीड़िता के साथ एक और महिला थी। हुड्डा ने कहा, "उसे कोई चोट नहीं आई थी और घटना के बाद वह अपने घर वापस चली गई। अब हमारे पास एक चश्मदीद गवाह है और उसका बयान दर्ज किया जा रहा है। यह हमारे मामले को मजबूत बनाता है और हम बहुत जल्द जांच पूरी करेंगे।"
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हालांकि, उन्होंने मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया, जिससे कई सवाल अनुत्तरित रह गए, जो इस प्रकार हैंः
युवती की स्कूटी को कार के टक्कर मारने के बाद वह कार के नीचे कैसे फंसी?
ऐसा कैसे हो सकता है कि कार के अंदर बैठे लोगों को ऐसा नहीं लगा कि कार के नीचे कुछ फंस गया है?
आरोपियों ने लगभग एक घंटे तक एक चुनिंदा मार्ग पर कार के नीचे शव को फंसाए क्यों रखा?
युवती को जब 12 किलोमीटर तक घसीटा गया, उस दौरान इलाके की पुलिस पेट्रोलिंग यूनिट कहां थी?
क्या 31 दिसंबर की रात से 1 जनवरी की सुबह तक शहर भर में 16,000 से अधिक जवानों की तैनाती के बावजूद उस इलाके में कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था?
ठीक कितने बजे हादसा हुआ और पीड़िता को मारुति बलेनो कार कितनी देर तक घसीटती रही?
पीड़िता की दोस्त हादसे के बाद उसे छोड़कर क्यों भागी?
पीड़िता की दोस्त ने आखिर पुलिस या लड़की के परिजनों को कोई जानकारी क्यों नहीं दी?
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ये वे सवाल हैं, जिनका पुलिस को जवाब देना होगा। दूसरी तरफ पीड़िता का परिवार भी पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं दिख रहा है। भारी पुलिस तैनाती में पीड़िता के अंतिम संस्कार के बाद उसकी मां ने कहा कि हम चाहते हैं कि सभी पांचों आरोपियों को फांसी दी जाए, यही हम चाहते हैं। जनता सिर्फ इसलिए चुप नहीं बैठेगी कि मेरी बेटी का अंतिम संस्कार कर दिया गया है।
बहरहाल इस घटना ने एक बार फिर राष्ट्रीय राजधानी में महिला सुरक्षा का मुद्दा खड़ा कर दिया है। इस बीच मामले में कार में सवार पांच लोगों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ए (लापरवाही से मौत) और 279 (तेजी से गाड़ी चलाने) के तहत मामला दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया गया है। पीड़िता के परिवार के सदस्यों के विरोध के बाद पुलिस ने प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और 120-बी (आपराधिक साजिश) को जोड़ा।
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पांचों आरोपियों के खून के नमूने जांच के लिए फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजे गए हैं कि कहीं वे शराब के नशे में तो नहीं थे। रिपोर्ट आना बाकी है। पुलिस ने शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर पीड़िता का यौन उत्पीड़न किए जाने से इनकार किया है। हालांकि, 'अंतिम राय' संरक्षित किए गए जैविक नमूनों की रासायनिक विश्लेषण रिपोर्ट मिलने के बाद आएगी। एक सूत्र ने कहा कि जांच रिपोर्ट के साथ पूरी रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी जाएगी, जिसे विशेष पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह तैयार कर रही हैं।
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