हालात

महिला आरक्षण बिल पर कनिमोझी की सरकार को खरी-खोटी, बिल के नाम पर उठाई आपत्ति, कहा- हमें वंदना नहीं, बराबरी चाहिए

महिला आरक्षण बिल पर बहस के दौरान डीएमके सांसद कनिमोझी ने बीजेपी और मोदी सरकार को खूब खरी-खोटी सुनाई। बिल को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि इसे परिसीमन और जनगणना से जोड़ना दक्षिण भारत के लिए चिंता का विषय है।

लोकसभा में मंगलवार को महिला आरक्षण बिल पर बोलती डीएमके सांसद कनिमोझी : फोटो सौजन्य संसद टीवी
लोकसभा में मंगलवार को महिला आरक्षण बिल पर बोलती डीएमके सांसद कनिमोझी : फोटो सौजन्य संसद टीवी 

महिला आरक्षण विधेयक पर लोकसभा में जारी बहस के बीच, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सांसद कनिमोझी ने सवाल उठाया है कि आखिर विधेयक को परिसीमन से क्यों जोड़ा गया है, क्योंकि इससे तो दक्षिण भारत को नुकसान ही होगा।

कनिमोझी ने कहा कि जब यूपीए सरकार विधेयक लेकर आई थी तो महिलाओं को आरक्षण देने के लिए कोई शर्त नहीं लगाई गई थी। परिसीमन पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन का हवाला देते हुए कनिमोझी ने कहा, “भारत एकमात्र देश है जिसने दशकीय जनगणना नहीं की है। यदि परिसीमन जनगणना के आधार पर होगा, तो यह दक्षिण भारतीय राज्यों के प्रतिनिधित्व को छीन ही नहीं लेगा, बल्कि उनका प्रतिनिधित्व और कम कर देगा। यह हमारे सिर पर लटकती तलवार की तरह हो जाएगा।”

"उन्होंने (स्टालिन) ने कहा है कि वह विधेयक का समर्थन करेंगे, लेकिन उन्होंने पूछा है, 'विधेयक को लागू करने के लिए इसे परिसीमन से क्यों जोड़ा जाना चाहिए?' यह 2024 के चुनावों को ध्यान में रखते हुए बीजेपी द्वारा रचा गया एक अजीब नाटक है। हम पिछड़े वर्ग की महिलाओं के प्रतिनिधित्व को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते। उन्होंने तमिलनाडु और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों के लोगों के मन में हमारा प्रतिनिधित्व कम होने को लेकर संदेह पर जोर दिया है। डर है कि हमारी आवाज़ें कमज़ोर कर दी जाएंगी। कनिमोझी ने कहा, इस बारे में स्पष्टीकरण होना चाहिए और हम नहीं चाहते कि हमारा प्रतिनिधित्व कहीं भी कम हो।

Published: undefined

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बीजेपी यह कहकर इसे नजरअंदाज नहीं कर सकती कि संख्या समान होगी और अन्य राज्यों को अधिक प्रतिनिधित्व मिलेगा। “हम चाहते हैं कि यह वैसे ही जारी रहे जैसे यह है। कनिमोझी ने कहा, ''जो चर्चा हो रही है उसमें हम समान रूप से अपनी बात रखना चाहते हैं।''

कनिमोझी ने कहा कि महिलाओं के प्रतिनिधित्व के मामले में भारत 193 देशों में 141वें स्थान पर है। उन्होंने बताया कि हमारा देश इस मामले में पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी पीछे है। इस विधेयक को अगले संसदीय चुनाव में आसानी से लागू किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, “यह विधेयक आरक्षण नहीं है, बल्कि पूर्वाग्रह और अन्याय को दूर करने का एक अधिनियम है। अगर आप परिसीमन के बाद इसे लागू करने का प्रावधान नहीं हटाएंगे तो इसका कोई मतलब नहीं है। हम नहीं जानते कि यह अत्यधिक विलंब कब तक चलता रहेगा। जनगणना और परिसीमन 20 या 30 साल बाद हो सकता है। इंतजार जारी रह सकता है।''

Published: undefined

उन्होंने संसद को याद दिलाया कि यह विधेयक 27 वर्षों से लटका हुआ है और वे इस मुद्दे को कई बार उठा चुकी हैं। उन्होंने कहा, “2010 में, जब यूपीए सरकार द्वारा विधेयक लाया गया था, तो उसमें कोई शर्तें नहीं थीं। विधेयक पारित होने के तुरंत बाद प्रभावी हो जैना था। लेकिन अभी जो बिल पेश किया गया है उसके खंड 5 में स्पष्ट रूप से कहा गया है, 'लोकसभा में महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण, राज्य की विधान सभाओं और दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में परिसीमन की प्रक्रिया के बाद लागू होगा।''

इसका मतलब यह है कि संशोधन के कानून बनने के बाद होने वाली पहली जनगणना के आंकड़ों के अनुसार परिसीमन किया जाएगा। वास्तव में, 2024 में आगामी आम चुनाव या आने वाले महीनों में होने वाले विभिन्न राज्य विधानसभा चुनावों में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित नहीं होंगी।

उन्होंने हैरानी जताई कि महिला आरक्षण विधेयक का मसौदा तैयार करने और उसे पेश करने को लेकर इतनी "गोपनीयता का पर्दा" क्यों था। उन्होंने कहा कि “मैं जानना चाहूंगी कि क्या सहमति बनी, क्या चर्चा हुई।“ कनिमोझी ने कहा, यह विधेयक गोपनीयता में छिपाकर लाया गया था।

Published: undefined

उन्होंने पूछा, “हमें नहीं पता कि यह सत्र क्यों बुलाया गया है। सर्वदलीय नेताओं की बैठक में इस विधेयक का कोई जिक्र नहीं हुआ। लेकिन अचानक बिल हमारे सामने रख दिया गया। क्या सरकार इसी तरह काम करेगी? क्या सब कुछ आश्चर्यचकित करने वाला ही होगा?”

जिस तरह से संसद के विशेष सत्र के दौरान एजेंडे में इसका उल्लेख किए बिना विधेयक पेश किया गया, उसकी आलोचना करते हुए कनिमोझी ने इस पर हुए विचार-विमर्श और बैठकों के बारे में जानना चाहा। उन्होंने कहा, ''मैंने विधेयक का मुद्दा संसद में कई बार उठाया है। मेरे सभी तारांकित और अतारांकित प्रश्नों पर सरकार का उत्तर सुसंगत था। उन्होंने कहा कि विधेयक लाने से पहले उन्हें सभी हितधारकों और राजनीतिक दलों से परामर्श करना होगा और आम सहमति बनानी होगी। यह हमारे कंप्यूटरों पर जैक-इन-द-बॉक्स की तरह उभर आया।''

उन्होंने पूछा, “क्या यह सरकार ऐसे ही काम करेगी?" संसद कर्मचारियों के लिए नई वर्दी पर कटाक्ष करते हुए, कनिमोझी ने पूछा, "जैसे हम अचानक सचिवालय कर्मचारियों की वर्दी से कमल खिलते हुए देख रहे हैं। क्या इस तरह सब कुछ आश्चर्यजनक होने वाला है?'' बता दें कि संसद कर्मचारियों की नई वर्दी पर कमल का फूल बना हुआ है।

Published: undefined

कनिमोझी ने सकारात्मक कार्रवाई पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश की पहली महिला विधायक डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी का चुनाव 1927 में तमिलनाडु विधानसभा में हुआ था। डीएमके सांसद ने कहा, “लेकिन उसके लगभग 100 साल बाद भी, हमने अभी भी विधेयक पारित नहीं किया है। 1929 में, पेरियार ने चेंगलपट्टू में स्वाभिमान सम्मेलन में शिक्षा, रोजगार और राजनीति में महिलाओं के लिए आरक्षण पर जोर देते हुए एक प्रस्ताव पारित किया।

विधेयक का इतिहास बताते हुए कनिमोझी ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक पहली बार 1996 में द्रमुक के समर्थन से संयुक्त मोर्चा सरकार द्वारा लाया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा इस विधेयक को संसद में लेकर आये। तत्कालीन पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी इसे संसद में लाए, लेकिन 2010 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने इस विधेयक को राज्यसभा में पारित कर दिया। विधेयक पारित होने में देरी पर टिप्पणी करते हुए कनिमोझी ने कहा कि उन्होंने 13 साल पहले राज्यसभा में विधेयक के बारे में बात की थी और वह फिर से विधेयक के बारे में बोल रही हैं और इस पर अभी भी बहस ही चल रही है।

Published: undefined

उन्होंने विधेयक के हिंदी नाम पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “कृपया दिखावा बंद करें। इस विधेयक को नारी शक्ति वंदन अधिनियम कहा गया है। हम सलाम नहीं चाहते। हम नहीं चाहते कि हमें आसन पर बिठाया जाये। हम नहीं चाहते कि हमारी पूजा की जाये। हम माँ कहलाना नहीं चाहते, हम आपकी बहनें या पत्नियाँ नहीं बनना चाहते। हम बराबर होना चाहते हैं। आइए हम आसन से नीचे उतरें और समान रूप से चलें। इस देश पर हमारा भी उतना ही अधिकार है जितना आपका है।”

रोचक है कि जब कनिमोझी ने बोलना शुरु किया तो उन्होंने सत्ता पक्ष के कुछ सांसदों ने बोलने से रोकने की कोशिश की जिस पर कुछ हंगामा भी हुआ। इसी को रेखांकित करते हुए कनिमोझी ने कहा कि जब वह बीजेपी सदस्यों को महिलाओं को रोकते-टोकते हुए देखती और सुनती हैं तो उन्हें पेरियार की कही बात याद आती है। कनिमोझी ने पेरियार के हवाले से कहा, "पुरुषों का यह दिखावा कि वे महिलाओं का सम्मान करते हैं और उनकी स्वतंत्रता के लिए प्रयास करते हैं, केवल उन्हें धोखा देने की एक चाल है।"

कनिमोझी का लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पर दिया गया भाषण नीचे दिए गए लिंक में देखा-सुना जा सकता है:

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined

  • छत्तीसगढ़: मेहनत हमने की और पीठ ये थपथपा रहे हैं, पूर्व सीएम भूपेश बघेल का सरकार पर निशाना

  • ,
  • महाकुम्भ में टेंट में हीटर, ब्लोवर और इमर्सन रॉड के उपयोग पर लगा पूर्ण प्रतिबंध, सुरक्षित बनाने के लिए फैसला

  • ,
  • बड़ी खबर LIVE: राहुल गांधी ने मोदी-अडानी संबंध पर फिर हमला किया, कहा- यह भ्रष्टाचार का बेहद खतरनाक खेल

  • ,
  • विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले कांग्रेस ने महाराष्ट्र और झारखंड में नियुक्त किए पर्यवेक्षक, किसको मिली जिम्मेदारी?

  • ,
  • दुनियाः लेबनान में इजरायली हवाई हमलों में 47 की मौत, 22 घायल और ट्रंप ने पाम बॉन्डी को अटॉर्नी जनरल नामित किया