मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर प्रदेश में चल रहे दल-बदल के खेल से अवगत कराते हुए आग्रह किया है कि वे प्रजातंत्र की गिरती साख को बचाने के लिए आगे आएं। कमलनाथ ने गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में कहा, "इन दिनों हमारा देश वैज्ञानिक परिपक्वता के चलते कोरोना जैसी महामारी का बेहतर तरीके से मुकाबला कर सकता है, परंतु इन दिनों फैली अप्रजातांत्रिक महामारी से आपको अवगत करा रहा हूं।"
कमलनाथ ने अपने पत्र में भारतीय संविधान का जिक्र करते हुए कहा, "बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के प्रयास से इस राष्ट्र को एक संघीय संविधान मिला है, जिसमें केंद्र और राज्य को अलग-अलग स्वायत्तता प्रदान की गई है। भारत की संघीय व्यवस्था के कारण ही संपूर्ण विश्व में हमारे प्रजातंत्र की एक विशिष्ट पहचान है। परंतु पिछले कुछ समय से बाबा साहब की भावनाओं को आहत करते हुए भारत की संघीय व्यवस्था पर निरंतर प्रहार किया जा रहा है। वर्तमान में जिन राज्यों में केंद्र में सत्तारूढ़ दल की विरोधी दलों की सरकारें हैं उन्हें अनैतिक तरीके से गिराया जा रहा है।"
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराए जाने का जिक्र करते हुए कमलनाथ ने लिखा है कि राज्य की निर्वाचित सरकार को गिराना भारत के प्रजातांत्रिक इतिहास के सबसे घृणित कृत्यों में से एक है। यह सोचकर ही दिल दहल जाता है कि जब एक ओर पूरा मानव समाज अपने अस्तित्व की लड़ाई के लिए कोरोना महामारी से लड़ रहा था, तब दूसरी ओर बीजेपी के वरिष्ठ नेता मध्यप्रदेश के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सहित कई मंत्रियों और विधायकों को लेकर राज्य की सरकार गिराने के लिए बेंगलुरु चले गए। राज्य के नागरिकों को महामारी की आग में झोंक दिया।
आम चर्चाओं का जिक्र करते हुए कमलनाथ ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है, "प्रदेश के कई मौकापरस्त, मतलबी लोभी और प्रलोभी नेताओं ने कांग्रेस की सरकार गिराने तक देश में लॉकडाउन को 24 मार्च के पहले लागू नहीं होने दिया। अभी भी प्रदेश में बीजेपी द्वारा प्रतिपक्षीय विधायकों को प्रलोभन देकर उनके इस्तीफे कराकर बीजेपी में शामिल कराया जा रहा है और ऐसे अनैतिक कृत्य कर उपचुनाव का बोझ प्रदेश के नागरिकों पर डाला जा रहा है।"
पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्य की सरकार गिराए जाने का एक बार फिर जिक्र करते हुए कहा, "कांग्रेस की सरकार गिरने तक मेरी चिंता सीमित नहीं है, बल्कि आज देश की प्रजातांत्रिक व्यवस्था में एक भूचाल आया हुआ है और ऐसी आशंका है कि इसका केंद्र बिंदु केंद्र में निहित है। इसके बावजूद मैं उम्मीद करता हूं कि मेरी शंकाएं निराधार साबित होंगी और भारत के लोकतंत्र की गिरती हुई साख को बचाने के लिए आप आगे आएंगे। इतना ही नहीं, ऐसे अवसरवादी नेताओं को अपनी सरकार और दल में कोई स्थान नहीं देंगे जिन पर प्रजातांत्रिक मूल्यों का सौदा करने का आरोप है।"
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