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कमलनाथ सरकार का बड़ा फैसला, मध्य प्रदेश में लागू होगा ‘पानी का अधिकार’ हर परिवार को मिलेगा सालों भर पानी

देश में जिस तरह सूचना हासिल करने के लिए सूचना का अधिकार, गरीबों को शिक्षा की सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा का अधिकार, रोजगार की गारंटी के लिए मनरेगा और भोजन का अधिकार लागू हैं, उसी तरह हर परिवार को पानी की सुविधा दिलाने के लिए पानी का अधिकार लागू किया जाने वाला है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

आने वाले दिनों में मध्यप्रदेश के लोगों को पानी के संकट से नहीं जूझना पड़ेगा, क्योंकि राज्य सरकार 'पानी का अधिकार' कानून लागू करने जा रही है। इसके तहत पूरे साल एक परिवार को जरूरत के मुताबिक पानी की उपलब्धता रहेगी।

राज्य के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुखदेव पांसे ने शुक्रवार को आईएएनएस से चर्चा करते हुए कहा, "प्रदेशवासियों को पानी उपलब्ध कराना राज्य सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है। लिहाजा, इसे पूरा करने के लिए कार्ययोजना बनाई जा रही है। आम लोगों को पानी के लिए परेशान न होना पड़े, इस मकसद से राज्य में 'पानी का अधिकार' कानून लागू किया जा रहा है। यह लागू हो जाने से एक परिवार और व्यक्ति को उसकी जरूरत के मुताबिक पानी जरूरी तौर पर उपलब्ध कराया जाएगा।"

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देश में जिस तरह सूचना हासिल करने के लिए सूचना का अधिकार, गरीबों को शिक्षा की सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा का अधिकार, रोजगार की गारंटी के लिए मनरेगा और भोजन का अधिकार लागू हैं, उसी तरह हर परिवार को पानी की सुविधा दिलाने के लिए पानी का अधिकार लागू किया जाने वाला है।

मंत्री ने आगे कहा, "राज्य सरकार की मंशा है कि हर घर तक नल का पानी पहुंचे। इसको ध्यान में रखते हुए नल-जल योजना भी बनाई जाएगी। इसके लिए नाबार्ड और एशियन बैंक से वित्तीय मदद ली जाएगी।"

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हर घर-परिवार को पानी मिले, इसके लिए सरकार द्वारा बनाई जा रही योजना का जिक्र करते हुए पांसे ने कहा कि हर घर तक पानी पहुंचे, इसके लिए हर बांध में एक हिस्सा पेयजल के लिए निर्धारित किया जाएगा, जो नल-जल योजना के जरिए घरों तक पहुंचेगा।

गर्मी के मौसम में राज्य के बड़े हिस्से में पानी का संकट गहराने संबंधी सवाल पर पांसे ने कहा, "पूर्ववर्ती सरकार ने 15 साल में बगैर जांचे-परखे, बिना आकलन के नल-जल योजना तैयार कर ली। पाइप लाइन बिछा दी, पानी की टंकी बना दी, मगर उस स्रोत को तलाशा ही नहीं, जिससे सालभर पानी की आपूर्ति हो सके। इसका नतीजा यह हुआ कि पाइप लाइन और टंकी तो नजर आती है, मगर क्षेत्रवासियों को पानी नहीं मिलता। यह नीतिगत दोष का नतीजा है।"

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मंत्री ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पानी के संकट से निपटने के लिए साफ तौर पर निर्देश जारी किए हैं, जिसमें कहा गया है कि पहले स्थायी जलस्रोत को तलाशा जाए, उसके बाद ही योजना को अमलीजामा पहनाया जाए। पूर्ववर्ती सरकार ने जलस्रोत पर ध्यान ही नहीं दिया और इस मद का बजट खर्च कर दिया। इसी का नतीजा है कि नल-जल योजना असफल रही है और पानी के संकट से मुक्ति नहीं मिल पाई है।

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पांसे ने राज्य की पानी की समस्या के लिए पूर्ववर्ती सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि देश के नागरिकों को पानी की सुविधा उपलब्ध कराए जाने के मामले में मध्यप्रदेश 17वें स्थान पर है। उन्होंने कहा, "हमारे राज्य से बेहतर स्थिति सिक्किम, गुजरात आदि की है।"

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