सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष ने देश के पहले लोकपाल के तौर पर शपथ ले ली। जस्टिस घोष को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश के पहले लोकपाल के तौर पर शपथ दिलाई। इसके अलावा लोकपाल के अन्य 8 सदस्यों की भी नियुक्ति की गई है। राष्ट्रपति कोविंद ने जस्टिस दिलीप बी भोसले, जस्टिस पी के मोहंती, जस्टिस अभिलाषा कुमारी और जस्टिस एके त्रिपाठी को न्यायिक सदस्य और दिनेश कुमार जैन, अर्चना रामासुंदरम, महेंद्र सिंह और डॉ आईपी गौतम को गैर-न्यायिक सदस्य को शपथ दिलाई। इस मौके पर पीएम मोदी, उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू, मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई भी मौजूद थे।
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बता दें कि इसी हफ्ते राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष को देश का पहला लोकपाल नियुक्त किया था
पिनाकी चंद्र घोष का जन्म 28 मई 1952 को कोलकाता में हुआ। वह कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दिवंगत न्यायामूर्ति शंभू चंद्र घोष के बेटे हैं। उन्होंने कलकत्ता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से कॉमर्स में स्नातक के बाद कलकत्ता विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक (एलएलबी) किया और कलकत्ता उच्च न्यायालय से अटॉर्नी-एट-लॉ की डिग्री हासिल की। उन्होंने 30 नवंबर 1976 को बार काउंसिल ऑफ पश्चिम बंगाल में वकील के रूप में अपना पंजीकरण कराया।
इसके बाद घोष साल 1997 में कलकत्ता हाईकोर्ट के जज बने और उसके बाद दिसंबर 2012 में वह आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए। उन्होंने 8 मार्च, 2013 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर पदभार ग्रहण किया और 27 मई 2017 में रिटायर हुए। वर्तमान में 67 वर्षीय जस्टिस घोष राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सदस्य हैं। लोकपाल सर्च कमेटी द्वारा सूचीबद्ध किए गए शीर्ष 10 नामों में वह शामिल थे।
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