सुप्रीम कोर्ट में दायर मुकदमों के चुनिंदा आवंटन और कुछ अहम मामलों में न्यायिक फैसले के विरुद्ध देश के प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ एक तरह से बगावत का बिगुल फूंकने वाले सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम जजों में से एक न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने कहा है कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि उन्होंने जो मुद्दे उठाए हैं, उनका समाधान होगा। दिल्ली में तीन अन्य जजों के साथ प्रेस कांफ्रेंस के बारे में जस्टिस जोसेफ ने कहा कि उन्होंने जो किया वह न्याय और न्यायपालिका के हित में किया है।
देश के न्यायिक इतिहास में अभूतपूर्व घटना के एक दिन बाद केरल में कोच्चि के निकट कलाडी में अपने पैतृक घर पहुंचे न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा, “हम न्याय और न्यायपालिका के पक्ष में खड़े हुए। कल एक अहम मुद्दे की ओर ध्यान आकृष्ट किया गया। इस मुद्दे को उठाने पर निश्चित तौर पर यह मुद्दा सुलझ जाएगा।” न्यायमूर्ति जोसेफ ने बताया कि उनके साथ चार अन्य जजों ने न्यायपालिका में लोगों का भरोसा कायम रखने के लिए ये काम किया है।
इससे पहले 12 जनवरी के दिन देश की न्यायपालिका के इतिहास में अभूतपूर्व घटना घटी। पहली बार सुप्रीम कोर्ट के 4 वरिष्ठतम जज प्रधान न्यायाधीश और उच्च न्यायपालिका के कामकाज को लेकर मीडिया के सामने आए। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के बाद दूसरे सबसे सीनियर जज जस्टिस चेलमेश्वर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि देश के सर्वोच्च न्यायालय का प्रशासन सही तरीके से काम नहीं कर रहा है। जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा, “अगर ऐसा चलता रहा तो देश लोकतांत्रिक व्यवस्था ठीक नहीं रहेगी। उन्होंने कहा, हमने इस मुद्दे पर चीफ जस्टिस से बात की और उनको पत्र भी लिखा, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी। इसलिए मजबूर होकर हमें देश के सामने सारी बातें रखनी पड़ रही हैं।”
चारों जजों ने कहा कि अगर देश के सामने ये बातें नहीं रखी गईं तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। वरिष्ठतम जजों ने कहा था, “प्रधान न्यायाधीश पर देश को फैसला करना चाहिए, हम बस देश का कर्ज अदा कर रहे हैं।”
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