हरियाणा विधानसभा के आज से (17 दिसंबर से) शुरु हो रहे शीतकालीन सत्र में भी नौकरी घोटाला सरकार पर भारी पड़ने वाला है। विधानसभा के बाहर से लेकर सदन तक विपक्ष ने सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है। विपक्ष ने न सिर्फ काम रोको और ध्यानाकर्षण प्रस्ताव इस पर चर्चा के लिए स्पीकर को दे दिए हैं, बल्कि सदन में वह नौकरी घोटाले पर कोई भी अवसर सरकार को घेरने के लिए गंवाने वाला नहीं है। इसके अलावा बेरोजगारी और किसानों के मसले सरकार के लिए मुसीबत बनने वाले हैं।
हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र 17 से 22 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान विपक्ष के सवालों से भागना सरकार के लिए मुमकिन नहीं होगा। हरियाणा लोकसेवा आयोग और कर्मचारी चयन आयोग में नौकरी बिकने के गंभीर आरोपों से घिरी सरकार के लिए मुसीबत ही मुसीबत होने वाली है। विपक्षी विधायकों ने विधानसभा में ऐसे सवाल लगाए हैं, जिनसे अभी तक सत्तापक्ष पल्ला झाड़ने की कोशिश करता रहा है।
विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता के मुताबिक शीतकालीन सत्र के लिए 273 तारांकित और 173 अतारांकित प्रश्न विधान सभा सचिवालय को प्राप्त हुए हैं। सत्र के पहले 3 दिन के लिए ड्रॉ निकाला जा चुका है। 22 दिसंबर को होने वाले प्रश्नकाल के लिए ड्रा निकलना शेष है। इसके साथ ही विधायकों ने 33 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव भी भेजे हैं। तकरीबन यह सभी प्रस्ताव ज्वलंत मसलों पर हैं।
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पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल की बहू व तोशाम से विधायक किरण चौधरी का कहना है कि युवा बेरोजगार हैं, नौकरियों में भ्रष्टाचार है, लेकिन सरकार पारदर्शिता का राग अलाप रही है। आलम यह है कि एचपीएससी और एचएसएससी में नौकरियां परचून की दुकान की तरह बिक रही हैं। एचपीएससी के कार्यालय में करोड़ों रुपए के बैग मिल रहे हैं और सरकार बिना खर्ची-पर्ची की ईमानदारी का ढिंढोरा पीट रही है। सरकार अब इन मामलों पर पर्दा डालने का काम भी कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के युवा का इस गठबंधन की सरकार से पूरी तरह विश्वास उठ चुका है। हरियाणा बेरोजगारी में टॉप पर पहुंच चुका और नौकरियों को सरकार बेचने में लगी हुई है। प्रदेश के शिक्षित युवाओं के साथ पिछले सात साल में इस सरकार ने विश्वासघात किया है।
किरण चौधरी का कहना है कि जब मोदी सरकार ने तीन कृषि कानून बनाए थे तो हरियाणा विधान सभा से सरकार ने इनके समर्थन में धन्यवाद प्रस्ताव पास करवाया था। अब जब तीनों कानून केंद्र सरकार ने वापस ले लिए हैं तो सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि शीतकालीन सत्र में विधानसभा से केंद्र को एक प्रस्ताव भेजा जाए और एमएसपी पर कानून बनाने का समर्थन किया जाए। उन्होंने बताया, "मैंने एक प्रस्ताव इस मुद्दे पर भी स्पीकर को दिया है। किसान एमएसपी की गारंटी की मांग कर रहा है, लेकिन केंद्र सरकार अब एक कमेटी बनाकर फिर इसे ठंडे बस्ते में डालना चाहती है। किसानों को खाद थाने में जाकर लेनी पड़ी। हमारी मां-बहने थाने में लाइनों में खाद के लिए खड़ी नज़र आईं, जो सरकार के लिए शर्म की बात है। गठबंधन सरकार किसान को बर्बाद करने पर तुली हुई है।
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वहीं, रोहतक से कांग्रेस विधायक बीबी बत्रा ने हरियाणा लोकसेवा आयोग की ओर से करवाई गई परीक्षाओं और पेपर लीक होने का ब्यौरा सरकार से मांगा है। बत्रा भर्तियों की गड़बड़ी पर दर्ज केसों का ब्यौरा भी सरकार से लेने वाले हैं।
इसके अलावा इंडियन नेशनल लोकदल ने भी एचपीएससी और एचएसएससी की भर्तियों के घोटाले व पेपर लीक, बेरोजगारी की बढ़ती समस्या, महंगाई, डीएपी खाद की कमी, खराब फसलों के मुआवजे तथा बिगड़ती कानूनी व्यवस्था आदि पर 11 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिए हैं। साथ ही निर्दलीय विधायक सोमवार सांगवान और सरकार के समर्थक विधायक भी उसके लिए मुसीबत बनने वाले हैं
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