जेएनयू प्रशासन और डीन की ओर से छात्रों के लिए 2 मई को एक नया मैनुअल जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि डीन ऑफ स्टूडेंट्स कार्यालय, किसी भी शैक्षणिक और प्रशासनिक परिसर के 100 मीटर के दायरे के भीतर भूख हड़ताल, धरना, सामूहिक घुसपैठ और अन्य कोई भी प्रदर्शन करना दंडनीय अपराध है।
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इसके अलावा कहा गया है कि किसी भी शैक्षणिक और प्रशासनिक परिसर के प्रवेश या निकास को रोकना नियमों के तहत दंडनीय अपराध है। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से यह नियम बीते साल कार्यकारी परिषद में पारित किया गया था। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों ने इन नियमों पर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज की है।
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जेएनयू की छात्रा शिखा स्वराज ने कहा कि छात्रों को अपनी समस्याओं को उठाने और विरोध करने का अधिकार है। यह नया नियम विरोध प्रदर्शन को रोकने का एक हथकंडा है। विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों के हितों की रक्षा करने में विफल रहा है। हम मांग करते हैं कि इस आदेश को तुरंत वापस लिया जाए।
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अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कहना है कि यह आदेश विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों के प्रदर्शन के अधिकार का हनन करता है। छात्रों का मानना है कि इस आदेश से छात्रों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहमति जताने के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा।यह आदेश जेएनयू वीसी, जेएनयू प्रशासन और डीओएस मनुराधा चौधरी के तानाशाही रवैया को दर्शाता है, जो लगातार छात्रों के आवाज को दबाने का प्रयास कर रहा है।
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