जेएनयू में छात्रावास शुल्क बढ़ाने के खिलाफ जारी जेएनयू छात्रों के आन्दोलन के समर्थन में अब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के नेतृत्व में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) भी आ गया है। गुरुवार को जेएनयू और डीयू के छात्र संघ के नेतृत्व में सैकड़ों छात्रों ने एक साथ मंडी हाउस से एचआरडी मंत्रालय तक मार्च निकाला। छात्रों ने छात्रावास फीस वृद्धि को तुरंत वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि 40 फीसदी छात्र ऐसे हैं जो बढ़ी हुई फीस वहन नहीं कर सकते।
मार्च में शामिल आरएसएस की छात्र इकाई एबीवीपी ने इस मुद्दे पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से इस्तीफे की भी मांग की। शुल्क वृद्धि के खिलाफ मंडी हाउस से एचआरडी मंत्रालय तक मार्च में शामिल एबीवीपी के राज्य सचिव सिद्धार्थ यादव ने कहा, "पहली बात यह है कि हम बीजेपी की छात्र शाखा नहीं हैं और हम हमेशा से विद्यार्थियों के साथ खड़े हैं, चाहे सरकार किसी की भी हो।" उन्होंने कहा, "हम यहां विद्यार्थियों के हक के लिए खड़े हैं और हमारी मांग है कि एचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक इस्तीफा दें।"
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इससे पहले एबीवीपी और जेएनयू के छात्रों ने मंडी हाउस से शास्त्री भवन स्थित एचआरडी मंत्रालय के लिए कूच किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने पर रोक दिया। सभी संगठनों के छात्रों ने एक स्वर में जेएनयू होस्टल की बढ़ी फीस वापस लेने की मांग की। इसके साथ ही छात्रों ने वाइस चांसलर को हटाने और दिल्ली पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की।
हालांकि एबीवीपी ने कहा है कि उसकी मांग सिर्फ बढ़ी फीस वापस लेने की है। इसके साथ ही एबीवीपी नेता सिद्धार्थ ने जेएनयूएसयू पर फीस वृद्धि के खिलाफ आन्दोलन को गलत दिशा में ले जाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस मामले में एचआरडी मंत्रालय द्वारा गठित हाई पावर कमेटी को रिजेक्ट करते हुए कहा कि जेएनयू के वीसी और छात्र नेता सीधे इस मामले से निपटें। उन्होंने जेएनयूएसयू पर एचआरडी की हाई पावर कमेटी के सामने घुटने टेकने का भी आरोप लगाया।
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इससे पहले एबीवीपी के नेतृत्व वाले दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) ने एक बयान जारी कर जेएनयू छात्रों के समर्थन का ऐलान किया था। डूसू ने अपने बयान में लिखा, डूसू ने जेएनयूएसयू के समर्थन का फैसला किया है और इसके लिए एचआरडी मंत्रालय तक मार्च निकाला जाएगा। डूसू ने आगे कहा कि यह लड़ाई उच्च शिक्षा के लिए है और सस्ती शिक्षा अधिकार है, किसी तरह का विशेषाधिकार नहीं है।
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बता दें कि जेएनयू के छात्र पिछले कई दिनों से हॉस्टल फीस वृद्धि के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्र बढ़ी हुई फीस को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही जेएनयू छात्र 28 अक्टूबर को शुल्क वृद्धि के प्रस्ताव को पारित करने वाली इंटर-हॉल प्रशासन की बैठक के पुनर्गठन की मांग भी कर रहे हैं। अपनी मांगों के लिए जेएनयू छात्रों ने एक सप्ताह से भी अधिक समय से आन्दोलन चला रखा है।
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इसी आन्दोलन के तहत सोमवार को संसद मार्च के लिए निकले जेएनयू छात्रों पर दिल्ली पुलिस ने जमकर लाठियां भांजी थी, जिसमें कई छात्रों को गंभीर चोटें आई हैं। इस दौरान पुलिस ने दिव्यांग छात्रों पर भी लाठियां बरसाईं। इस पुलिसिया बरर्बता के खिलाफ छात्रों ने बुधवार को जेएनयू कैंपस से दिल्ली पुलिस मुख्यालय तक मार्च करने का ऐलान किया था। हालांकि पुलिस ने छात्रों को जेएनयू कैंपस के बाहर ही रोक दिया और सभी को बस में भर कर आईटीओ थाने ले गई।
इसके बाद छात्रों के आन्दोलन से दबाव में आए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक पैनल गठित कर जेएनयू छात्रों के साथ बुधवार को बातचीत की। हालांकि ये बैठक बेनतीजा रही। छात्रों ने बैठक के बाद अपना विरोध आन्दोलन जारी रखने का ऐलान किया है। हालांकि एचआरडी पैनल ने बातचीत को साकारात्मक बताया है। अब एचआरडी पैनल और छात्रों की अगली मुलाकात शुक्रवार को होगी।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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