भ्रष्टाचार के मामले में निलंबित और जेल में बंद झारखंड की आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। शीर्ष अदालत की जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस ए. अमानुल्लाह की पीठ ने सोमवार को उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया। उनकी याचिका पर अब 25 सितंबर को सुनवाई होगी, तब तक उन्हें जेल में रहना होगा।
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फरवरी में पूजा सिंघल को कोर्ट से अंतरिम राहत मिली थी। बेटी के इलाज के लिए कोर्ट ने उन्हें अंतरिम राहत दी थी। इसके पहले भी उन्हें कंडीशनल अंतरिम राहत मिली थी। सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई अंतरिम जमानत की अवधि खत्म होने के बाद 12 अप्रैल को ईडी की पीएमएलए कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने का निर्देश दिया था। इसके बाद पूजा सिंघल को होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार भेज दिया गया था।
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मनी लॉन्ड्रिंग के इस मामले में पूजा सिंघल पर पीएमएलए कोर्ट में बीते दिनों आरोप तय कर दिए गए हैं और उनके खिलाफ ट्रायल की प्रक्रिया शुरू हो गई है। ईडी की ओर से पूजा सिंघल समेत अन्य के खिलाफ दाखिल गई गई चार्जशीट में बताया गया है कि चतरा, खूंटी और पलामू में डीसी रहते हुए उनके खाते में सैलरी से 1.43 करोड़ अधिक आए थे। ईडी ने इन तीनों जिलों में उनके डीसी के कार्यकाल के दौरान के अलग-अलग बैंक खातों व दूसरे निवेश की जानकारी जुटाई।
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खूंटी में मनरेगा घोटाला फरवरी 2009 से जुलाई 2010 के बीच हुआ था। उस समय पूजा सिंघल वहां की डीसी थीं। ईडी ने पिछले साल 6 मई को तत्कालीन खान सचिव पूजा सिंघल के सरकारी व निजी आवास, उनके पति अभिषेक झा और उनके सीए सुमन सिंह के आवास समेत 25 ठिकानों पर छापेमारी की थी। सीए सुमन सिंह के आवास से ईडी को 19.31 करोड़ रुपये नगद बरामद हुए थे। इसके बाद 11 मई को ईडी ने पूजा सिंघल को गिरफ्तार किया था।
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