झारखंड में कथित तौर पर अवैध पत्थर खनन के जरिए एक हजार करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग के केस में ईडी ने गुरुवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से करीब नौ घंटे तक पूछताछ की। ईडी के समन पर हेमंत सोरेन दोपहर 12 बजकर पांच मिनट पर रांची के एयरपोर्ट रोड स्थित ईडी के जोनल कार्यालय पहुंचे थे, जहां से वह रात 9 बजकर 35 मिनट पर बाहर निकले। पूछताछ खत्म होने पर उनकी पत्नी कल्पना सोरेन उन्हें लेने खुद ईडी दफ्तर पहुंची थीं। सोरेन को आगे भी पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है।
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सूत्रों के मुताबिक ईडी के तीन अफसरों की टीम ने उनसे लगभग 100 सवाल किए। अवैध खनन घोटाले में पहले ही गिरफ्तार किए गए सोरेन के विशेष प्रतिनिधि पंकज मिश्र के घर पर छापामारी में हेमंत सोरेन के हस्ताक्षर वाले चेक बुक मिले थे। सोरेन से पूछा गया कि उन्होंने चेकबुक पंकज मिश्रा को क्यों दे रखा था? सूत्रों के अनुसार सोरेन ने इस पर बताया कि राजनीति में रहते हुए कई बार जरूरतमंदों की व्यक्तिगत तौर पर आर्थिक मदद करनी पड़ती है। चेक बुक इसी मकसद से उनके प्रतिनिधि के पास था।
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उनसे यह भी पूछा गया कि पंकज मिश्रा के संरक्षण में चल रहे अवैध खनन के रैकेट के बारे में उन्हें जानकारी थी या नहीं? इस बारे में उन तक कोई शिकायत पहुंची या नहीं और अगर पहुंची तो उन्होंने कोई कार्रवाई की या नहीं? मनी लांड्रिंग मामले में गिरफ्तार किए गए पावर ब्रोकर प्रेम प्रकाश और कारोबारी अमित अग्रवाल से रिश्तों के बारे में भी हेमंत सोरेन से सवाल किए गए। अवैध खनन के मामलों में छापेमारी के दौरान ईडी ने जो साक्ष्य जुटाए हैं, उनके आधार पर भी सीएम से कई जानकारियां मांगी गईं। बताया जा रहा है कि सीएम ने ईडी के कई सवालों पर कोई जवाब नहीं दिया।
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इसके पहले ईडी कार्यालय रवाना होने के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि उनपर लगाए गए आरोप निराधार हैं। उन्हें इस तरह समन भेजा गया जैसे वे देश छोड़कर भाग रहे हों। इस देश में घोटाला करने वाले व्यापारी देश छोड़कर भागते रहे हैं, लेकिन किसी राजनेता को लेकर ऐसा कोई उदाहरण नहीं है।
हेमंत सोरेन ने यह भी कहा था कि यह कार्रवाई उनकी सरकार को अस्थिर करने के षड्यंत्र का हिस्सा है। अवैध खनन को लेकर उनपर लगाए गए आरोप पूरी तरह निराधार हैं। ईडी का कहना है कि सिर्फ एक जिले में अवैध पत्थर खनन के जरिए एक हजार करोड़ का घोटाला हुआ है, जबकि पूरे राज्य में स्टोन चिप्स से साल भर में एक हजार करोड़ रुपए की आमदनी नहीं होती।
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मुख्यमंत्री ने झारखंड राज्यपाल रमेश बैस पर भी बड़ा हमला बोला और कहा कि राज्यपाल का पद राजनीति और पार्टी से ऊपर से होता है, लेकिन इनके कार्यकलापों से ऐसा लगता है कि वे षड्यंत्रकारी राजनीति करने वाले दलों को संरक्षण दे रहे हैं। एक तरफ माइनिंग लीज मामले में चुनाव आयोग के मंतव्य की चिट्ठी का लिफाफा राज्यपाल महीनों बाद भी नहीं खोलते और दूसरी तरफ बयान देते हैं राज्य में बम-पटाखा फूट सकता है। उनके बयान के तुरंत बाद ईडी का समन आता है और सत्ताधारी दलों के विधायकों के यहां आईटी और केंद्रीय एजेंसियों का छापा पड़ने लगता है।
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इधर, सीएम हेमंत सोरेन के प्रति समर्थन जताने के लिए जेएमएम के हजारों कार्यकर्ता, सरकार के मंत्री, विधायक और पार्टी के दर्जनों नेता गुरुवार को पूरे दिन कांके रोड स्थित सीएम कार्यालय के समक्ष जमे रहे। इस दौरान कार्यकतार्ओं को संबोधित करते हुए मंत्री मिथिलेश ठाकुर, बन्ना गुप्ता और अन्य ने कहा कि बीजेपी और केंद्र के इशारे पर हेमंत सोरेन सरकार को परेशान करने की साजिश की जा रही है, लेकिन ऐसी साजिशों से जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन के लोग घबराने वाले नहीं हैं। साजिश करने वाली पार्टी बीजेपी को मुंहतोड़ जवाब मिलेगा।
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