झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने सोमवार को विधानसभा के एकदिवसीय विशेष सत्र में हंगामे के बीच विश्वास मत हासिल कर लिया। मौजूदा विधानसभा में मौजूद 76 सदस्यों में से 45 ने सरकार के पक्ष में मतदान किया। विधानसभा के मौजूदा स्ट्रेंथ के हिसाब से बहुमत के लिए न्यूनतम 39 मतों की जरूरत थी।
BJP और आजसू के विधायकों ने वोटिंग के दौरान सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते हुए सदन का बहिष्कार किया। सीएम हेमंत सोरेन ने सुबह 11 बजकर 10 मिनट पर विश्वास प्रस्ताव पेश किया। इस पर वाद-विवाद के बाद अपराह्न 12 बजकर 20 मिनट पर वोटिंग कराई गई।
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हेमंत सोरेन ने विश्वास मत पर बहस का जवाब देते हुए कहा कि मेरे सदन में फिर से सीएम के रूप में आने से विपक्ष के पेट में दर्द हो रहा है। ये लोग जिस तरह का आचरण सदन में कर रहे हैं, उससे उनकी हताशा सामने आई है। चुनाव के बाद इनके आधे से ज्यादा विधायक दुबारा सदन में नहीं आएंगे।
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यह चौथा मौका है, जब हेमंत सोरेन बतौर सीएम झारखंड विधानसभा में विश्वास मत परीक्षण में सफल हुए हैं।
सबसे पहली बार 2013 में सीएम बनने के बाद वह फ्लोर टेस्ट में सफल हुए थे। दूसरी बार वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन की जीत के बाद सीएम बने थे और विधानसभा में विश्वास मत जीता था। तीसरी बार उन्होंने पत्थर खदान लीज विवाद में सरकार को राज्यपाल द्वारा बर्खास्त किए जाने की आशंका को देखते हुए 5 सितंबर, 2022 को एक दिन का विशेष सत्र बुलाकर विश्वास मत साबित किया था।
ईडी ने हेमंत सोरेन को जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में इसी साल 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था।
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इसके बाद उनके मंत्रिमंडल में शामिल रहे चंपई सोरेन ने 2 फरवरी को सीएम की कुर्सी संभाली थी। 28 जून को हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद हेमंत सोरेन जेल से बाहर आए और उसके छठे दिन ही चंपई सोरेन ने सीएम पद से इस्तीफा दिया। अगले दिन यानि 4 जुलाई को हेमंत सोरेन ने सीएम पद की शपथ ली।
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